
पटना। बिहार में बढ़ते अपराध पर सीनियर पुलिस अधिकारी कुंदन कृष्णन की तरफ से दिए गए बयान ने राज्य की सियासत में एक अलग गर्माहट ला दी है। बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन के बयान को कांग्रेस ने शर्मनाक बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने एक वीडियो बयान में कहा कि ये अधिकारी की नहीं, बल्कि एनडीए सरकार की मानसिकता है।
उन्होंने सवाल उठाया कि पारस अस्पताल के आईसीयू में गोली मारकर हत्या करना नया जंगलराज नहीं है? इसके साथ ही खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा कि क्या बिहार में कोई वेब सीरीज चल रही है, जिसमें हर सीजन में नया क्राइम एपिसोड आता है? उन्होंने कहा कि आज बिहार संभावनाओं का नहीं, बल्कि डर का प्रदेश बन चुका है।
एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने क्या कहा था?
बता दें कि हाल ही में बिहार में इन दिनों बढ़ते अपराध को लेकर एक सीनियर पुलिस अधिकारी के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया। बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने बुधवार शाम पत्रकारों से बातचीत में कहा कि फसलों के बीच खाली समय में बेरोजगारी के कारण युवाओं में अपराध बढ़ता है। उनके मुताबिक राज्य में अप्रैल से जुलाई के बीच कोई प्रमुख फसल नहीं होती, इसलिए खेतों में काम करने वाले मजदूर बेरोजगार रहते हैं और कुछ युवा पैसे कमाने के लिए सुपारी किलिंग यानी कॉन्ट्रैक्ट पर हत्या तक कर लेते हैं।
पुलिस अधिकारी ने दिया जवाब
हालांकि मामले में बढ़ते बयानबाजी को देखते हुए एडीजी कुंदन कृष्णन ने अपना जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि उनका बयान आंकड़ों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि हर साल मई से जुलाई के बीच हत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखी जाती है। उन्होंने कहा कि 2024 में अप्रैल में 231, मई में 254, जून में 292 और जुलाई में 279 हत्याएं हुईं।
उन्होंने कहा कि 2023 में अप्रैल में 215, मई में 279, जून में 278 और जुलाई में 270 हत्या के मामले सामने आए। साथ ही 2022 में अप्रैल में 256, मई में 301, जून में 297 और जुलाई में 262 हत्याएं हुईं। देखा जाए तो इन आंकड़ों को आधार बनाकर एडीजी कृष्णन ने अपने बयान को सही ठहराया।
कहां से शुरू हुआ पूरा मामला
गौरतलब है कि ये पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पटना के राजा बाजार अवस्थित बिहार के निजी क्षेत्र के बड़े हॉस्पिटल पारस में हथियारबंद अपराधियों ने अस्पताल में घुसकर मरीज की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक चंदन मिश्रा बक्सर का रहने वाला था और हत्या के एक मामले में बेऊर जेल में बंद था। गंभीर रूप से बीमार होने के बाद उसे पारस हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। इस हत्याकांड के बाद बिहार की राजनीति में बयानबाजी तेज हो गई और विपक्ष लगातार रूप से कानून व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार पर सवाल खड़े करने लगा।
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