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Udaipur में पुलिस कस्टडी में युवक की हालत बिगड़ी, शरीर पर गंभीर चोटों के निशान, आईसीयू में भर्ती

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जिले के खेरवाड़ा थाना क्षेत्र में पुलिस हिरासत में एक युवक की तबीयत बिगड़ने का मामला सामने आया है। गुरुवार रात बजरिया गांव निवासी 24 वर्षीय अभिषेक मीना को डकैती की साजिश रचने के आरोप में हिरासत में लिया गया। उसे शुक्रवार सुबह अदालत में पेश किया जाना था, लेकिन वह बेहोशी की हालत में सीधे एमबी अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में पहुंच गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। फिलहाल अभिषेक को आईसीयू में भर्ती कराया गया है।

उदयपुर रोडवेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अभिषेक की मां लीला देवी जब अस्पताल पहुंचीं तो अपने बेटे की हालत देखकर स्तब्ध रह गईं। उन्होंने बताया कि अभिषेक के हाथ, पैर, गर्दन और कान पर गंभीर चोटें आई हैं। गला सूजा हुआ था, कान से खून निकल रहा था और पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। लीला देवी ने आंखों में आंसू भरकर पुलिसवालों से पूछा, "क्या मेरे बेटे ने किसी की हत्या की है या पुलिस ने उसे इस हालत में पहुंचाया है?" लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला.

खेरवाड़ा थाने के प्रभारी दलपत सिंह राठौड़ ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अभिषेक पहले से ही बीमार था और नशे का आदी था। एएसपी अंजना सुखवाल ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि प्राथमिक मेडिकल रिपोर्ट में कोई गंभीर बाहरी चोट नहीं पाई गई है। हालांकि, परिवार पुलिस की इस थ्योरी को पूरी तरह से खारिज कर रहा है।

इस घटना से खीरवाड़ा पुलिस थाने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि थाने में युवक की तबीयत अचानक इतनी गंभीर कैसे हो गई? यदि वह बीमार था तो उसे समय पर चिकित्सा देखभाल क्यों नहीं दी गई? उन्हें निजी अस्पताल ले जाने का क्या कारण था और परिवार को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई? यदि वह नशे में था तो उसके शरीर पर इतने गंभीर चोट के निशान कैसे हैं? क्या हिरासत में कुछ ऐसा हुआ जिसे वे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?

मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट स्वयं एमबी अस्पताल पहुंचे और युवक की स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद अभिषेक को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया। वह फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं और डॉक्टर लगातार उनकी हालत पर नजर रख रहे हैं।

अब अभिषेक के होश में आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि हिरासत में वास्तव में क्या हुआ था, लेकिन फिलहाल खेरवाड़ा पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। यह मामला न केवल एक युवक के स्वास्थ्य का गंभीर मुद्दा बन गया है, बल्कि हिरासत में संभावित मानवाधिकार उल्लंघन का भी मुद्दा बन गया है।

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