'मेक इन इंडिया' के तहत राजस्थान में रक्षा क्षेत्र को नई पहचान मिलने जा रही है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अब 'मेड इन राजस्थान' ब्रांड के तहत अत्याधुनिक राइफलों और मल्टी बैरल मशीन गन का उत्पादन जोधपुर से शुरू होने जा रहा है। इस दिशा में जोधपुर को बड़ी उपलब्धि मिली है, जहां 1500 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश से संबंधित समझौता ज्ञापन (एमओयू) अब धरातल पर उतरने के लिए तैयार है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय से आवश्यक अनुमतियां मिल गई हैं और फील्ड परीक्षण भी सफल रहा है। इसका मतलब यह है कि अब राजस्थान न केवल देश के रक्षा क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है, बल्कि 'मेड इन इंडिया' अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'मेड इन राजस्थान' की धाक भी जमाएगा।
वैश्विक मानकों के अनुरूप, निर्यात के लिए भी तैयार
रक्षा स्टार्टअप से जुड़े प्रमुख उद्योगपति रविंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार, इस परियोजना के तहत बनाए जा रहे हथियारों का परीक्षण पहले ही विदेशों में हो चुका है। इन परीक्षणों के परिणाम काफी उत्साहजनक रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने इस परियोजना को दो चरणों में मंजूरी दी है, जिससे ये हथियार न केवल भारतीय सेना के लिए उपयोगी होंगे, बल्कि इनका निर्यात भी किया जा सकेगा। फिलहाल अफ्रीकी देश टोगो और एशियाई देश थाईलैंड ने इन हथियारों में रुचि दिखाई है, जो इस बात का प्रमाण है कि राजस्थान की यह तकनीक अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखती है।
मिलिट्री ग्रेड स्नाइपर राइफल: लंबी दूरी तक सटीक हमला
इस परियोजना के तहत मिलिट्री ग्रेड स्नाइपर राइफल तैयार की जा रही है, जिसे लंबी दूरी तक सटीक निशाना लगाने के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है। यह राइफल सब-एमओए (मिनट ऑफ एंगल) सटीकता हासिल करने में सक्षम है, यानी यह बहुत कम विचलन के साथ लंबी दूरी तक निशाना लगा सकती है। परीक्षण में यह राइफल 2.4 किलोमीटर तक प्रभावी फायरिंग करने में सफल रही है। साथ ही, यह अलग-अलग जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में स्थिर और सुसंगत प्रदर्शन कर रही है, जो इसे हर मौसम और मोर्चे पर उपयोगी बनाती है। गौरतलब है कि यह राइफल 100 फीसदी 'मेड इन इंडिया' होगी, यानी इसका हर हिस्सा देश में ही निर्मित होगा।
मल्टी बैरल मशीन गन: हर मिनट 6,000 राउंड फायर करने में सक्षम
इस प्रोजेक्ट का दूसरा अहम हिस्सा मल्टी बैरल मशीन गन है, जो तकनीकी रूप से बेहद उन्नत है। यह गन एक मिनट में करीब 6 हजार राउंड फायर करने की क्षमता रखती है और एक हजार गज तक सटीकता से मार कर सकती है। साथ ही इसमें एक बेल्ट में 15 हजार राउंड तक गोला बारूद फायर करने की सुविधा होगी। भविष्य में इसे सी-रैम (काउंटर रॉकेट, आर्टिलरी और मोर्टार) यानी एंटी एयरक्राफ्ट वेपन सिस्टम के तौर पर अपग्रेड किया जाएगा, जो इसे दुश्मन के ड्रोन और हवाई हमलों के खिलाफ भी कारगर हथियार बनाएगा। इस प्रोजेक्ट को भी 'मेक इन इंडिया' के तहत विकसित किया जा रहा है और इसकी तकनीक और निर्माण प्रक्रिया पूरी तरह स्वदेशी होगी।
जोधपुर, जयपुर समेत कई शहरों में बनेगा नेटवर्क
इस प्रोजेक्ट के तहत हथियारों के विभिन्न पार्ट्स का निर्माण जोधपुर, जयपुर और राज्य के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में किया जाएगा। मुख्य उत्पादन केंद्र जोधपुर के बोरानाडा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित फैक्ट्री होगी, जहां मशीन गन के बैरल तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा अन्य आवश्यक पार्ट्स राज्य के विभिन्न शहरों में बनाए जाएंगे और अंत में उन्हें एक गुप्त स्थान पर असेंबल किया जाएगा, जिसकी जानकारी सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं की गई है।
बारूद भंडारण के लिए मांगी गई विशेष भूमि
मशीनगन और स्नाइपर राइफलों के निर्माण के साथ-साथ उनके संचालन के लिए आवश्यक बारूद और गोलियों का उत्पादन भी इस परियोजना का अहम हिस्सा होगा। लेकिन बारूद भंडारण के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित नियम बहुत सख्त हैं। इसके तहत जिस स्थान पर बारूद का भंडारण किया जाएगा, उसके 8 से 10 किलोमीटर के दायरे में कोई आबादी नहीं होनी चाहिए। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार से ऐसी भूमि की मांग की गई है, जो सुरक्षा मानकों के अनुरूप हो और परियोजना का सुचारू संचालन सुनिश्चित कर सके।
राजस्थान की धरती से रक्षा आत्मनिर्भरता की ओर
रक्षा क्षेत्र में राजस्थान की यह नई पहल न केवल राज्य के औद्योगिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी मजबूती देगी। 'मेड इन राजस्थान' ब्रांड के तहत निर्मित ये आधुनिक हथियार आने वाले समय में भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाएंगे तथा राज्य को वैश्विक रक्षा मानचित्र पर नई पहचान दिलाएंगे। यह परियोजना राजस्थान के युवाओं के लिए रोजगार, तकनीकी कौशल और रक्षा उत्पादन क्षमता के मामले में अनगिनत अवसरों के द्वार भी खोलेगी।
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