पिछले कुछ समय से राजस्थान में ड्रोन की मदद से कृत्रिम बारिश कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। देश में यह इस तरह का पहला प्रयोग है जिसमें क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयोग में जमवारामगढ़ स्थित रामगढ़ बांध में कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए अब रामगढ़ बांध में कृत्रिम बारिश कराने वाली विदेशी कंपनी को 10 हजार फीट तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति मिल गई है। डीजीसीए ने देश के पहले ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट को 10 हजार फीट तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति दे दी है। अब एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से एनओसी का इंतजार है, उसी समय उड़ान का समय तय किया जाएगा। इससे पहले ड्रोन को 400 फीट तक ही उड़ाने की अनुमति थी। इससे जमवारामगढ़ स्थित रामगढ़ बांध में कृत्रिम बारिश की उम्मीदें एक बार फिर जाग गई हैं।
परियोजना सफल रही तो पानी की कमी दूर होगी
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की पहल के बाद, अमेरिका और बेंगलुरु की टेक्नोलॉजी कंपनी कृषि विभाग के साथ मिलकर जेन एक्स एआई परियोजना पर काम कर रही है। हाल ही में, मैंने इस संबंध में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री से भी मुलाकात की थी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह प्रक्रिया समय पर शुरू हो जाए, तो बांध में पानी की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
कभी जीपीएस फेल तो कभी खेत में गिर जाता है ड्रोन
देश में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग बार-बार परीक्षण के दौरान भी सफल नहीं रहा है। 12 अगस्त को जब पहली बार प्रयोग किया गया था, तब भीड़ के कारण जीपीएस सिस्टम काम नहीं कर रहा था। इसके बाद, रविवार, 18 अगस्त को परीक्षण के दौरान ड्रोन को फिर से उड़ाया गया, लेकिन कुछ देर बाद यह नियंत्रण से बाहर हो गया और खेत में गिर गया।
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