जब भारत की प्राकृतिक और ऐतिहासिक विरासत की बात आती है, तो अरावली पर्वतमाला एक गौरवपूर्ण नाम है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, यह पर्वतमाला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक है, जिसका इतिहास लगभग 3.2 बिलियन वर्ष पुराना है। लेकिन अरावली सिर्फ़ अपने भूवैज्ञानिक महत्व या इतिहास के लिए ही नहीं जानी जाती है - यह भारत के सबसे शानदार इको-टूरिज्म हॉटस्पॉट में से एक के रूप में भी उभर रही है।
अरावली का भूवैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व
अरावली पर्वतमाला उत्तर-पश्चिम भारत में फैली हुई है, जो राजस्थान से लेकर हरियाणा, दिल्ली और गुजरात तक फैली हुई है। यह पर्वतमाला भारत की जलवायु और पर्यावरण को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चट्टानें और संरचनाएं प्राचीन भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का दस्तावेजीकरण करती हैं जो पृथ्वी की उत्पत्ति और विकास की कहानी बताती हैं। इतिहासकारों के अनुसार, अरावली घाटियों और पहाड़ों में मानव सभ्यता के शुरुआती निशान भी मौजूद हैं। इस क्षेत्र ने वैदिक युग से लेकर महाजनपद काल, मौर्य, गुप्त और राजपूत काल तक कई ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है। यह वही पर्वत श्रृंखला है, जहां राजपूतों ने कभी अपनी वीर गाथाएं लिखी थीं और मेवाड़-मरुधर जैसे ऐतिहासिक क्षेत्रों की नींव रखी गई थी।
अरावली में छिपे हैं अद्भुत प्राकृतिक और पर्यटन स्थल
जहां एक ओर अरावली का इतिहास और भूविज्ञान शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए आकर्षण का केंद्र है, वहीं दूसरी ओर इसका हरा-भरा परिदृश्य, अनूठी वनस्पतियां और शांत वातावरण पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। आइए जानते हैं इसके कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में:
1. माउंट आबू - अरावली की गोद में बसा हिल स्टेशन
राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू, अरावली पर्वतमाला का सबसे ऊंचा स्थान है। यह न केवल अपनी ठंडी जलवायु के लिए जाना जाता है, बल्कि नक्की झील, दिलवाड़ा जैन मंदिर, गुरु शिखर और हनीमून पॉइंट जैसे आकर्षण इसे सभी उम्र के पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।
2. सरिस्का टाइगर रिजर्व - वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान अरावली पहाड़ियों में बसा है। बाघों के अलावा यहाँ तेंदुआ, चीतल, नीलगाय और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सरिस्का किला, पांडुपुल मंदिर और कल्याणी झील यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
3. जसलिया - ग्रीन टूरिज्म की नई पहचान
हाल ही में इको-टूरिज्म के नक्शे पर एक नया नाम उभर कर आया है जसलिया (राजस्थान)। अरावली की गोद में बसा यह गाँव उन यात्रियों के लिए है जो शहर की भीड़-भाड़ से दूर शांति, हरियाली और ग्रामीण संस्कृति का अनुभव करना चाहते हैं।
4. जयपुर का झालाना लेपर्ड सफारी - रोमांच का दूसरा नाम
अरावली की सीमाओं में फैला झालाना लेपर्ड सफारी जयपुर के पास स्थित है। यह भारत के उन कुछ स्थानों में से एक है जहाँ आप खुले जंगल में प्राकृतिक वातावरण में तेंदुओं को देख सकते हैं। जंगल सफारी के दौरान मोर, सियार, साही और कई पक्षी प्रजातियाँ भी देखी जा सकती हैं।
5. संजय वन, दिल्ली - महानगर में अरावली की छाया
दिल्ली जैसे महानगर में अरावली की मौजूदगी किसी चमत्कार से कम नहीं है। संजय वन, अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क और असोला भट्टी वन्यजीव अभ्यारण्य जैसी जगहें शहरवासियों को प्रकृति के करीब लाती हैं। ये जगहें ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग और मॉर्निंग वॉक के लिए आदर्श हैं।
अरावली पर मंडरा रहा संकट
अरावली वैसे तो इतिहास और पर्यटन की दृष्टि से अमूल्य है, लेकिन आज यह अवैध खनन, अतिक्रमण और वनों की कटाई जैसी समस्याओं से जूझ रही है। कई रिपोर्टों के अनुसार, खनन के कारण अरावली की विशाल चट्टानें और पहाड़ियाँ समतल भूमि में तब्दील हो रही हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है, बल्कि जलवायु असंतुलन भी बढ़ रहा है।
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