
बिहार चुनाव की तारीख़ों का एलान हो गया है.
प्रदेश में दो चरणों में चुनाव होगा. 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 14 नवंबर को नतीजों का एलान होगा.
इसके अलावा उम्मीदवारों के लिए पहले चरण की नामांकन दाखिल करने की आख़िरी तारीख़ 17 अक्तूबर है और दूसरे चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की आख़िरी तारीख़ 20 अक्तूबर है.
पहले चरण के लिए नामांकन वापिस लेने की आख़िरी तारीख़ 20 अक्तूबर और दूसरे चरण के लिए नामांकन वापिस लेने की आख़िरी तारीख़ 23 अक्तूबर है.
केंद्रीय चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि बिहार चुनाव में 17 नए क़दम उठाए जा रहे हैं जो बाद में पूरे देश में लागू किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि पोलिंग स्टेशन के ठीक बाहर मतदाता अपना मोबाइल जमा करा सकते हैं जिन्हें वोट डालने के बाद वो वापस ले सकते हैं.
चुनाव आयोग ने ये भी बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कुल मतदाता लगभग 7.43 करोड़ हैं. इनमें करीब 3.92 करोड़ पुरुष, 3.50 करोड़ महिलाएं और 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं. इनमें 14 लाख से ज़्यादा ऐसे मतदाता हैं जो पहली बार वोट डालेंगे.
चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में कुल 90,712 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इनमें से 76,801 ग्रामीण इलाकों में और 13,911 शहरी क्षेत्रों में हैं. हर मतदान केंद्र पर औसतन 818 मतदाता होंगे. सभी केंद्रों पर 100% वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई है. इनमें 1,350 मॉडल मतदान केंद्र, 1,044 महिलाओं द्वारा संचालित केंद्र, 292 दिव्यांग मतदाताओं के प्रबंधन वाले केंद्र और 38 युवाओं द्वारा संचालित केंद्र शामिल हैं.
इसके पहले रविवार को भी मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी.
जिसमें उन्होंने बताया था कि बिहार में सफलता के साथ एसआईआर की प्रक्रिया पूरी हुई है.
बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चुनाव आयोग ने एसआईआर शुरू किया था. इसकी टाइमिंग को लेकर विपक्षी दलों ने कई सवाल उठाए जबकि चुनाव आयोग ने इसे वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की प्रक्रिया करार दिया.
बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज़ हैं. पार्टियों के बीच साधे जा रहे सीटों के समीकरण के बीच भारतीय निर्वाचन आयोग ने एसआईआर यानी गहन मतदाता पुनरीक्षण के आंकड़े भी जारी कर दिए हैं.
इसके मुताबिक़, बिहार में अब 7.42 करोड़ मतदाता हैं.
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रविवार को आधार कार्ड से जुड़े एक सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार बोले, ''सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के अनुसार, आधार एक्ट के तहत न तो इसे जन्मतिथि का प्रमाण माना जा सकता है, न निवास का, और न ही नागरिकता का. आधार केवल पहचान का प्रमाण है, नागरिकता या जन्म का नहीं.''
उन्होंने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम यह मानते हैं कि आधार कार्ड पहचान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसे नागरिकता या जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता. आधार एक्ट की धारा 9 में भी साफ़ लिखा है कि आधार किसी व्यक्ति की नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है."
''इसलिए, जो लोग 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रमाण देने के लिए केवल आधार कार्ड दिखाते हैं, उनके लिए यह पर्याप्त नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन पात्रता या आयु से जुड़ी पुष्टि के लिए अन्य दस्तावेज़ों की भी आवश्यकता होगी.''
2020 के बाद की राजनीति में क्या हुआ?राज्य में 2020 के चुनाव के बाद एनडीए की सरकार बनी, लेकिन अगस्त 2022 में बीजेपी से रिश्ता तोड़ते हुए नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन थाम लिया.
बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते इतने तल्ख़ हो गए थे कि नीतीश कुमार ने ये बयान तक दिया कि वो मरना पसंद करेंगे लेकिन बीजेपी के साथ कभी नहीं जाएंगे.
वहीं, दूसरी तरफ़ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो गए हैं.
लेकिन जैसा कि राजनीति में कुछ भी अंतिम सत्य नहीं होता है, उसी क्रम में चीजें एक बार फिर बदल गईं.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन तैयार करने की कोशिश में जुटे चेहरों में नीतीश कुमार अहम नेता माने जा रहे थे.
लेकिन जनवरी, 2024 में वो एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए और आरजेडी से अपनी राहें अलग कर लीं.
साल 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयू और राष्ट्रीय जनता दल ने मिलकर लड़ा था और बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी. तब ये गठजोड़ 2017 में टूट गया था.
बिहार विधानसभा की स्थिति क्या है?बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन के पास 122 सीटें होना ज़रूरी है.
बिहार में फ़िलहाल जेडीयू और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के घटक दलों वाली एनडीए सरकार है और आरजेडी के तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.
बिहार विधानसभा में अभी बीजेपी के 80 विधायक हैं, आरजेडी के 77, जेडी(यू) के 45 और कांग्रेस के 19 विधायक हैं.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) (लिबरेशन) के 11, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के 4, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के 2, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के 2, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के 1 और 2 निर्दलीय विधायक हैं.
कौन-कौन से गठबंधन मैदान में हैं?राज्य में इस बार भी अहम मुक़ाबला एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच माना जा रहा है.
एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी (आर), जीतनराम मांझी की हम (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा जैसे दल हैं.
वहीं महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई (माले), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), जेएमएम और राष्ट्रीय एलजेपी शामिल हैं.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम इन दोनों गठबंधन में से किसी का भी हिस्सा नहीं है. 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी पांच सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रही थी, लेकिन बाद में उनकी पार्टी के चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे.
अभी तक न तो एनडीए ने और न ही महागठबंधन ने सीट बंटवारे के आंकड़े जारी किए हैं. दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीट शेयरिंग पर पेच फंसता दिख रहा है.
सीट बंटवारे को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. दोनों गठबंधनों में शामिल छोटे दल 'सम्मानजनक सीटों' के लिए अपना दावा पेश कर रहे हैं.
नीतीश कुमार की ख़राब सेहत की ख़बरों, जेडीयू में उत्तराधिकारी पर अटकलों और प्रशांत किशोर की एंट्री और रह-रह कर चिराग पासवान के चुनाव लड़ने की ख़बरों से चुनाव और दिलचस्प होता जा रहा है.
नीतीश कुमार से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर से बीबीसी ने एक इंटरव्यू में जब ये सवाल किया था कि उनको कितनी सीटों पर जीत का भरोसा है तो उनका कहना था कि या तो उनकी पार्टी अर्श पर होगी या फर्श पर.
उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी और वो बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी.
इसके अलावा बिहार में एक और नई पार्टी का उदय हुआ है. तीन महीने पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को उनकी एक फ़ेसबुक पोस्ट के बाद पार्टी से निकाल दिया था. अब उन्होंने अपनी एक नई पार्टी बना ली और इसका नाम रखा है जनशक्ति जनता दल.
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बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए यह कहकर मैदान में उतर रही है कि उसने राज्य का हर तरह से विकास किया है और युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ लड़कियों-महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं.
वहीं, महागठबंधन रोजगार, पेपर लीक समेत एसआईआर को लेकर एनडीए को घेर रही है और युवाओं से सरकारी नौकरियां तथा रोजगार सृजन समेत कई वादे कर रही है.
राज्य में तेजस्वी यादव के साथ 'वोट अधिकार यात्रा' करते हुए राहुल गांधी ने लगातार एसआईआर और 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाया.
हालांकि, बीजेपी और जेडीयू इसे विपक्षी दलों की हताशा वाली राजनीति बता रही है और उनका आरोप है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो राज्य का विकास रुक जाएगा.
अब तक कितने विधानसभा चुनाव हो चुके हैं?1952 से बिहार में विधानसभा चुनाव की शुरुआत हुई थी. इसके बाद से 2020 तक बिहार में 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.
साल 2005 की फ़रवरी में हुए चुनाव में सरकार नहीं बन पाने के कारण अक्तूबर में फिर से चुनाव आयोजित करने पड़े थे.
आज़ादी के बाद पहले चुनाव में क्या हुआ था?आज़ादी के बाद पहली बार हुए 1951 के चुनाव में कई पार्टियों ने भाग लिया, लेकिन कांग्रेस ही उस समय सबसे बड़ी पार्टी थी.
इन चुनाव में कांग्रेस को 322 में से 239 सीटें मिली थीं.
1957 के चुनाव में भी कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी बनी. उसे 312 में से 210 सीटें मिली थीं.
1962 के चुनाव में कांग्रेस को 318 में से 185 सीटों के साथ बहुमत हासिल हुआ था. उसके बाद स्वतंत्र पार्टी को सबसे ज़्यादा 50 सीटें मिली थीं.
श्री कृष्ण सिन्हा बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने थे.
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