भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल एपी सिंह ने दावा किया है कि इस साल मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमानों और एक बड़े विमान को मार गिराया था.
पहलगाम हमले के बाद छह-सात मई की रात पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी कैंपों को भारतीय सेना ने निशाना बनाया.
इस अभियान को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हुआ.
10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति की घोषणा के बाद संघर्ष रुका. उस वक्त पाकिस्तान ने भारत के 'पांच लड़ाकू विमान गिराने' का दावा किया था, जिसे भारत ने सिरे से ख़ारिज कर दिया.
वायु सेना प्रमुख का ये दावा भारतीय सेना के दो शीर्ष अधिकारियों के उन बयानों के बाद आया है जिनमें कुछ विमानों के खोने का ज़िक्र किया गया था. इनमें एक सीडीएस जनरल अनिल चौहान थे और दूसरे इंडोनेशिया में भारतीय डिफ़ेंस अताशे. हालांकि बाद में भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि डिफ़ेंस अताशे के बयान का संदर्भ से बाहर हवाला दिया गया.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय लड़ाकू विमानों के गिराए जाने और संघर्ष विराम को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को लगातार घेरा है. हाल ही में संसद के मानसून सत्र के दौरान इस पर बहस भी हुई.
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एयर चीफ़ मार्शल ने क्या कहा?बेंगलुरू में 16वें एयर चीफ़ मार्शल एलएम कात्रे लेक्चर के दौरान एयर चीफ़ मार्शल एपी सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विस्तार से बात रखी.
उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना ने "इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के कम से कम पांच लड़ाकू विमानों और एक बड़ा विमान नष्ट किया था. यह बड़ा विमान ईएलआईएनटी या एईडब्ल्यूएंडसी हो सकता है."
उन्होंने कहा कि इस विमान को "ज़मीन से हवा में 300 किलोमीटर की दूरी पर निशाना बनाया गया था" और "एक तरीक़े से यह अब तक का सबसे बड़ा ज़मीन से हवा में मार करने का रिकॉर्ड है."
एयर चीफ़ मार्शल के दावों पर भारत की विपक्षी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सरकार से सवाल किया है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, "एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह द्वारा आज किए गए नए खुलासे के बाद, यह सब और भी अधिक चौंकाने वाला हो जाता है कि प्रधानमंत्री ने 10 मई की शाम को अचानक ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोक दिया. प्रधानमंत्री पर दबाव कहाँ से आया और उन्हें इतनी जल्दी क्यों झुकना पड़ा?"
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एयर चीफ़ मार्शल ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष को 'हाईटेक वॉर' बताया है.
उन्होंने कहा, "मैं कह सकता हूं कि यह हाईटेक वॉर से ज़्यादा था जो हमने लड़ा. ये तक़रीबन 80-90 घंटे तक चला युद्ध था. इसमें हमने बड़े पैमाने पर उनके एयर डिफ़ेंस सिस्टम का नुक़सान किया."
"इस नुक़सान को देखते हुए उनको साफ़ हो गया था कि अगर ये जारी रहता है तो उन्हें और नुक़सान उठाना पड़ेगा. इस वजह से वह आगे आए उन्होंने हमारी डीजीएमओ को दोबारा संदेश भेजा कि हम बात करना चाहते हैं. उच्च स्तर पर इसको स्वीकार किया गया."
एयर चीफ़ मार्शल ने रूस से ख़रीदे गए एयर डिफ़ेंस सिस्टम एस-400 को 'गेम चेंजर' बताया.
उन्होंने कहा, "हमारी वायु रक्षा प्रणाली ने शानदार काम किया है. हाल ही में खरीदी गई एस-400 प्रणाली एक गेम-चेंजर साबित हुई है. इस प्रणाली की मारक क्षमता ने उनके विमानों को उनके हथियारों, जैसे लंबी दूरी के ग्लाइड बम से दूर रखा है. वे इनमें से एक भी इस्तेमाल नहीं कर पाए क्योंकि वे इस प्रणाली को भेद नहीं सके."
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वायु सेना प्रमुख ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का एक 'प्रमुख कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना' था.
उन्होंने कहा, "हमें बहुत स्पष्ट निर्देश दिए गए थे. हम पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई गई थी. अगर कोई बाधा थी तो वह हमारी खु़द की बनाई हुई थी. हमने तय किया कि स्थिति को कितना बढ़ाना है. हमें योजना बनाने और उसे लागू करने की पूरी स्वतंत्रता थी."
"हमारे हमले सोच-समझ कर किए गए थे, हम हमलों में मैच्योर रहना चाहते थे. तीनों सेनाओं के बीच तालमेल था. सीडीएस की मौजूदगी से वाक़ई फ़र्क पड़ा. वह हमें एकजुट करने के लिए मौजूद थे. एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने भी सभी एजेंसियों में तालमेल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई."
उन्होंने उन बयानों का भी उत्तर दिया जिसमें विपक्ष के कुछ नेताओं ने कहा था कि भारत को सैन्य कार्रवाई नहीं रोकनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा, "जहां तक हमारे आक्रामक अभियान का सवाल है, उस रात हमने कोई रोक-टोक नहीं रखी और तय किया कि हम पैन फ्रंट पर हमला करेंगे, संसाधनों को फैलाएंगे. मक़सद किसी एक एयरफ़ील्ड को निशाना बनाकर पूरी तरह नष्ट करना नहीं था."
एयर चीफ़ मार्शल ने कहा, "पाकिस्तान के अंदर तक हमले का मक़सद था उन्हें यह अहसास या संकेत देना कि हम भीतर तक और अपनी मर्ज़ी से, जहां चाहें हमला कर सकते हैं."
उन्होंने कहा, "युद्ध के दौरान लोग अपने ईगो (अहंकार) में उलझ गए. जब हमने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया, तो हमें संघर्ष रोकने के सभी अवसरों को तलाशना चाहिए था. मेरे बहुत नज़दीकी कुछ लोगों ने कहा, 'और मारना था'. लेकिन क्या हम लगातार युद्ध में रह सकते हैं? देश ने अच्छा फै़सला लिया."
असल में भारतीय सेनाओं को पूरी स्वतंत्रता दिए जाने को लेकर बहस इंडोनेशिया में भारतीय दूतावास में तैनात नौसेना के अफ़सर कैप्टन शिव कुमार के बयान से शुरू हुई थी.
बीते जून में जकार्ता में एक सेमिनार में उन्होंने कथित तौर पर 'ऑपरेशन सिंदूर' के शुरुआती चरण के दौरान 'भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान खोने और राजनीतिक नेतृत्व की ओर से कुछ बाधाएं खड़ी करने का' ज़िक्र किया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, उन्होंने कहा कि "हमने कुछ विमान खो दिए और ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि सैन्य प्रतिष्ठान या उनकी वायु रक्षा प्रणाली पर हमला न करने को लेकर राजनीतिक नेतृत्व की ओर से बाधाएं खड़ी की गई थीं."
इसे लेकर संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर "सेना को खुली छूट न देने" के आरोप लगाए थे.
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एयर चीफ़ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय पर हमला सटीक था और उसके आसपास कोई और नुक़सान नहीं हुआ.
उन्होंने हमलों के पहले और बाद की तस्वीरें दिखाईं और कहा, "यहां मुश्किल से कोई और नुक़सान हुआ है. पास की इमारतें लगभग सही सलामत हैं. हमारे पास न केवल उपग्रह से ली गई तस्वीरें थीं, बल्कि स्थानीय मीडिया से भी तस्वीरें मिलीं, जिनके ज़रिये हमें अंदर की तस्वीरें देखने को मिलीं. "
एपी सिंह ने भारत के हमले और पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई पर कहा, "उनके कोई भी विमान आकाश और यहां तक कि एमआरएसएएम की रेंज के आसपास भी नहीं आ सके. उनके सभी विमानों को एलआरएसएएम ने निशाना बनाया क्योंकि वे दूर रहने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन फिर भी वे कभी-कभी हमारी मारक क्षमता के भीतर आ जाते थे और यही वे अवसर थे जिनका हमने लाभ उठाया."
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एयर चीफ़ मार्शल ने कहा, "भोलारी में एक एईडब्ल्यू एंड सी हैंगर पर हमला किया गया. हमारे पास बहुत स्पष्ट संकेत हैं कि इस हमले के समय वहां एक विमान मौजूद था."
उन्होंने कहा कि सिंदूर ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के "बहुत से एयर डिफ़ेंस सिस्टम को नुक़सान पहुंचा और उनको साफ़ हो गया था कि मौजूदा स्थिति जारी रही तो उन्हें और भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है."
उन्होंने कहा, "सरगोधा के एयरफ़ील्ड से एफ़-16 जेट, श्रीनगर और आदमपुर पर हमला करने के लिए उड़ान भरते थे. हमने उस एयरफ़ील्ड को निशाना बनाया. हमने वहां अन्य उपकरणों को निशाना नहीं बनाया क्योंकि हमने आकलन किया था कि उससे हालात ग़ैरज़रूरी रूप से ख़राब होते."
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के एक प्रमुख एयरफ़ील्ड में से एक "जकोबाबाद को भी निशाना बनाया गया. यहां एफ़-16 का हैंगर था."
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7 से 10 मई के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच चले सैन्य संघर्ष के दौरान कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं.
पाकिस्तान ने दावा किया था कि सैन्य संघर्ष के दौरान भारत के 'पांच लड़ाकू विमान मार गिराए' गए थे.
31 मई को भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल अनिल चौहान से जब भारतीय विमानों के मार गिराने के पाकिस्तान के दावे के बारे में पूछा गया था तो उनका कहना था, "ये बिल्कुल ग़लत है."
उन्होंने कहा, "लेकिन जैसा मैंने कहा ये जानकारी बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है. जो महत्वपूर्ण है, वह यह है कि जेट क्यों गिरे और इसके बाद हमने क्या किया. ये हमारे लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण है."
वहीं बीते महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच चले संघर्ष में "पांच लड़ाकू विमानों को मार गिराया गया था."
हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया था कि किस देश के कितने लड़ाकू विमानों को नुक़सान पहुंचा था.
ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने दो परमाणु हथियार संपन्न देश भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराया था, लेकिन अभी तक भारत की ओर से इन बयानों की पुष्टि नहीं की गई है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संघर्ष विराम को 'पूरी तरह द्विपक्षीय' बताया था.
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