भारत लंबे समय से दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक रहा है। हालांकि भारत ने पिछले कुछ सालों से स्वदेशी हथियारों को बेचने की कोशिश भी कर रहा है। ऐसे में भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ पहलगाम हमले का जवाब ही नहीं था, बल्कि इससे दुनिया को भारत में बनें हथियारों और डिफेंस सिस्टम की मारक क्षमता का भी पता चला है। इस ऑपरेशन ने अप्रत्यक्ष रूप से बड़ा लाभ मिला, जब भारत के हथियारों की क्षमता को पूरी दुनिया देखा। इस ऑपरेशन के बाद कई देशों ने भारत के स्वदेशी हथियारों में रुचि दिखाई है, जिनमें हाल ही में फ्रांस भी शामिल है। आने वाले समय में भारत दुनिया में रक्षा निर्यातकों में प्रमुख स्थान बना सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी हथियारों की भूमिका
फ्रांसीसी सेना प्रमुख जनरल पियरे शिल ने भारत के स्वदेशी हथियारों में विशेष रुचि जताई। फ्रांस पिनाका रॉकेट सिस्टम और लंबी दूरी वाले हथियारों में सहयोग के अवसर तलाश रहा है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक वॉर और एआई के क्षेत्र में सहयोग की संभावना भी है।
वैश्विक अवसर और रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर की वजह से दुनियाभर में भारतीय हथियारों की विश्वसनीयता बढ़ी। युद्ध परिस्थितियों में काम करने की क्षमता, ड्रोन हमलों से निपटना, रात में और जटिल लक्ष्यों पर सटीक हमला करना। ये सभी भारतीय हथियारों की ताकत दिखाते हैं। कई डिफेंस सिस्टम DRDO और प्राइवेट सेक्टर द्वारा तैयार किए गए हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला, तकनीकी समर्थन और अनुकूलन की सुविधा भी मिलती है।
हालांकि, भारत को अब भी कुछ क्षेत्रों में सुधार करना है। जैसे रेगुलेेशन और लाइसेंसिंग, तकनीक, डिलीवरी और सपोर्ट फ्रेमवर्क जैसी चीजों को बेहतर करने की जरूरत है।
ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी हथियारों की भूमिका
- आकाश मिसाइल सिस्टम: यह मिड रेंज की सर्फेस टू एयर डिफेंस सिस्टम है, जो पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को नाकाम करने में सक्षम रही। इसे भारतीय सेना और वायु सेना ने पाकिस्तान की सीमा पर रूप से तैनात किया।
- एंटी-ड्रोन D-4 सिस्टम: यह DRDO द्वारा विकसित और BEL द्वारा निर्मित प्रणाली पाकिस्तान के तुर्की ड्रोन हमलों का मुकाबला करने में सफल रही।
- नागास्त्र-1 और स्काईस्ट्राइकर ड्रोन: ये स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन हैं, जिनका उपयोग सटीक लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए किया गया। नागास्त्रा-1 को सोलर इंडस्ट्रीज ने और स्काईस्ट्राइकर को भारत में इजरायल की साझेदारी में अल्फा डिजाइन ने विकसित किया।
- ब्रह्मोस मिसाइल: भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के हवाई अड्डों पर प्रिसिजन स्ट्राइक के लिए ब्रह्मोस का उपयोग किया। यह मिसाइल भारतीय रक्षा निर्यात की प्रमुख पहचान बन चुकी है।
फ्रांसीसी सेना प्रमुख जनरल पियरे शिल ने भारत के स्वदेशी हथियारों में विशेष रुचि जताई। फ्रांस पिनाका रॉकेट सिस्टम और लंबी दूरी वाले हथियारों में सहयोग के अवसर तलाश रहा है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक वॉर और एआई के क्षेत्र में सहयोग की संभावना भी है।
वैश्विक अवसर और रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर की वजह से दुनियाभर में भारतीय हथियारों की विश्वसनीयता बढ़ी। युद्ध परिस्थितियों में काम करने की क्षमता, ड्रोन हमलों से निपटना, रात में और जटिल लक्ष्यों पर सटीक हमला करना। ये सभी भारतीय हथियारों की ताकत दिखाते हैं। कई डिफेंस सिस्टम DRDO और प्राइवेट सेक्टर द्वारा तैयार किए गए हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला, तकनीकी समर्थन और अनुकूलन की सुविधा भी मिलती है।
हालांकि, भारत को अब भी कुछ क्षेत्रों में सुधार करना है। जैसे रेगुलेेशन और लाइसेंसिंग, तकनीक, डिलीवरी और सपोर्ट फ्रेमवर्क जैसी चीजों को बेहतर करने की जरूरत है।
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