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पिता को खोया, मां ने नौकरी कर 3 बच्चों का किया पालन पोषण, आज 20 मिलियन डॉलर है नेटवर्थ, जानें कैसे किया ये कमाल

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आज हम आपको दिव्या सूर्यदेवरा की कहानी के बारे में बताने वाले हैं. दिव्या सूर्यदेवरा की उम्र 42 साल है. वह अमेरिका में यूनाइटेड हेल्थ ग्रुप की कंपनी ऑप्टम इनसाइट एंड फाइनेंशियल की सीईओ है. उनका जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था. दिव्या का शुरुआती जीवन काफी कठिन था लेकिन अपनी मेहनत के दम पर आज वह इस मुकाम पर है और करोड़ों रुपये की संपत्ति की मालिक हैं. आइए जानते हैं दिव्या सूर्यदेवरा की सफलता की कहानी के बारे में.



दिव्या सूर्यदेवरा का शुरुआती जीवनदिव्या सूर्यदेवरा का जन्म चेन्नई में हुआ था. उन्होंने छोटी सी उम्र में अपने पिता को खो दिया, जिसक बाद उनकी मां ने 3 बच्चों की परवरिश की. उनकी मां सिंडिकेट बैंक में काम करती थी. 12वीं कक्षा के बाद दिव्या ने मद्रास यूनिवर्सिटी से बिजनेस, फाइनेंस और इकोनॉमिक्स में डिग्री हासिल की है, जिसके बाद उन्होंने सीएफए और सीए की डिग्री ली.



अमेरिका में किया MBA22 साल की उम्र में दिव्या अमेरिका चली गई और वहां पर हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया. एमबीए की डिग्री लेने के बाद दिव्या ने अपने करियर की शुरुआत PwC से की और बाद में उन्होंने वर्ल्ड बैंक के साथ इंटर्नशिप की. बाद में वह यूबीएस इन्वेस्टमेंट बैंक में एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में शामिल हुईं. इसके बाद दिव्या ने साल 2005 में अमेरिका की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी जनरल मोटर्स को जॉइन किया और यहां पूरे 16 साल तक अपनी सेवा दी. इसके बाद वह सीनियर फाइनेंशियल एनालिस्ट से लेकर चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर तक के पद पर पहुंची. साल 2018 तक दिव्या अपने करियर में काफी आगे निकल गई.



साल 2018 में दिव्या जनरल मोटर्स की सीएफओ बन गई. बाद में दिव्या ने मल्टीनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज एंड सॉफ्टवेयर कंपनी स्ट्राइप में भी सीएफओ का पद संभाला. साल 2024 में दिव्या ने ऑप्टम इनसाइट एंड फाइनेंशियल में सीईओ के पद पर ज्वाइन किया. आज दिव्या की नेटवर्थ 20 मिलियन डॉलर है और वह अभी ऑप्टम इनसाइट एंड फाइनेंशियल की सीईओ हैं.



लोन लेकर की थी पढ़ाईदिव्या सूर्यदेवरा बताती है कि उनके लिए यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि पढाई के दौरान उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे. ऐसे में वह कॉलेज ट्रिप को अवॉइड करती थी. इसके अलावा उनके ऊपर स्टूडेंट लोन भी था, जिसे उन्हे अपनी पढाई के बाद चुकाना था. ऐसे में उनके ऊपर बहुत बड़ा दबाव था.

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