Apple ने भारत में एक बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। इस साल के पहले छह महीने (FY25) यानी अप्रैल से सितंबर 2025 तक, Apple ने भारत से करीब 10 अरब डॉलर यानी लगभग 88,730 करोड़ रुपये के iPhones दुनिया भर में भेजे। यह पिछले साल की तुलना में 75% ज्यादा है। खास बात ये है कि ये बढ़ोतरी ऐसे समय हुई है जब अगस्त और सितंबर आमतौर पर धीमे महीने माने जाते हैं। फिर भी, सितंबर 2025 में Apple ने 1.25 अरब डॉलर के iPhones एक्सपोर्ट किए, जो पिछले साल के 490 मिलियन डॉलर से 155% ज्यादा है। अब Apple भारत को अपनी ग्लोबल सप्लाई चेन का एक अहम हिस्सा बना रहा है। भारत में पांच फैक्ट्रियां, नई यूनिट्स, लोकल सप्लायर्स और लाखों नौकरियां बन रही हैं। ये सब मिलकर भारत को "Made in India, Sold to the World" का उदाहरण बना रहे हैं।
एक्सपोर्ट और नई ऊँचाइयाँफाइनेंशियल ईयर 2025 के पहले छह महीनों (अप्रैल से सितंबर) में Apple ने भारत से 10 अरब डॉलर के iPhones का एक्सपोर्ट किया, जो पिछले साल के 5.71 अरब डॉलर से 75% ज्यादा है। आमतौर पर सितंबर महीना धीमा होता है क्योंकि लोग नए मॉडल का इंतजार करते हैं, लेकिन इस बार सितंबर 2025 में Apple ने 1.25 अरब डॉलर के iPhones विदेश भेजे, जो पिछले साल के 490 मिलियन डॉलर से लगभग तीन गुना ज्यादा हैं। इसके बावजूद भारत में iPhone 17 सीरीज की घरेलू मांग भी बहुत अच्छी रही, जिससे पता चलता है कि भारत अब iPhone मैन्युफैक्चरिंग और यूटिलाइजेशन दोनों का बड़ा केंद्र बन गया है।
पहली बार सभी मॉडल भारत से लॉन्चपहले Apple भारत में सिर्फ बेस मॉडल बनाता था, और Pro या Pro Max जैसे महंगे मॉडल कुछ महीनों बाद विदेश भेजे जाते थे। लेकिन इस बार सब बदल गया है। iPhone 17 सीरीज के सभी मॉडल, iPhone 17, 17 Plus, 17 Pro, 17 Pro Max और Air लॉन्च के दिन से ही भारत में बने और पूरी दुनिया में भेजे गए। इसे Apple ने “India Manufacturing 2.0 कहा है, क्योंकि अब भारत सिर्फ असेंबली की जगह नहीं, बल्कि एक बड़ा ग्लोबल प्रोडक्शन हब बन चुका है।
नई फैक्ट्रियां, बढ़ता उत्पादन और सरकारी प्रोत्साहनApple के इस तेज़ बढ़ोतरी के पीछे दो नई फैक्ट्रियों का बड़ा योगदान है। अप्रैल 2025 में Tata Electronics की Hosur फैक्ट्री और Foxconn की Bengaluru फैक्ट्री शुरू हुईं। इनके आने के बाद भारत में कुल पांच iPhone फैक्ट्रियाँ हो गई हैं। वित्त वर्ष 2025 में Apple ने भारत में 22 अरब डॉलर के iPhones बनाए, जिनमें से 80% यानी 17.5 अरब डॉलर के iPhones विदेशों को भेजे गए। ये आंकड़े FOB (Freight on Board) वैल्यू पर हैं, मतलब फोन की कीमत तब जब वह फैक्ट्री से बाहर निकलता है। इसके मुकाबले रिटेल कीमत लगभग 50-60% ज्यादा होती है। सरकार PLI (Production Linked Incentive) योजना के तहत कंपनियों को इसी FOB वैल्यू पर इंसेंटिव देती है। FY22 में Apple का उत्पादन 2 अरब डॉलर था, जो FY25 में बढ़कर 22 अरब डॉलर हो गया है, यानी तीन साल में ग्यारह गुना बढ़ोतरी हुई है।
भारत की सप्लाई और चुनौतियांApple की भारत में सप्लाई चेन अब लगभग 45 कंपनियों तक बढ़ चुकी है, जिनमें स्थानीय पार्ट बनाने वाली कंपनियां और छोटे-छोटे असेंबली यूनिट शामिल हैं। इन कंपनियों की वजह से करीब 3.5 लाख लोगों को नौकरी मिली है, जिनमें से 1.2 लाख सीधे तौर पर रोजगार हैं। इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग भारत के तकनीकी उत्पादन प्रणाली के अहम हिस्से बन गए हैं। अमेरिका Apple का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बाजार है। अप्रैल से अगस्त 2025 तक भारत से अमेरिका को 8.43 अरब डॉलर के स्मार्टफोन भेजे गए, जबकि पिछले साल यह संख्या 2.88 अरब डॉलर थी। इस एक्सपोर्ट में Apple सबसे ऊपर है, उसके बाद Samsung और Motorola आते हैं। फिर भी, भविष्य में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं। अमेरिकी सरकार सेमीकंडक्टर टैरिफ की जांच कर रही है और नए शुल्क लग सकते हैं, जो भारत से होने वाले एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकते हैं। अभी स्मार्टफोन इन टैरिफ में नहीं हैं, लेकिन अगर नियम बदले तो इसका असर पड़ सकता है। इस बीच, Apple ने इस एक्सपोर्ट की रिपोर्ट पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
“Made in India” की नई परिभाषाभारत अब Apple की सप्लाई चेन का एक छोटा हिस्सा नहीं, बल्कि ग्लोबल रणनीति का केंद्र बन गया है। जहाँ एक ओर फैक्ट्रियों से बने iPhones सीधे अमेरिका और यूरोप जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लाखों भारतीय युवाओं के लिए यह नए अवसरों के दरवाज़े खोल रहा है।
एक्सपोर्ट और नई ऊँचाइयाँफाइनेंशियल ईयर 2025 के पहले छह महीनों (अप्रैल से सितंबर) में Apple ने भारत से 10 अरब डॉलर के iPhones का एक्सपोर्ट किया, जो पिछले साल के 5.71 अरब डॉलर से 75% ज्यादा है। आमतौर पर सितंबर महीना धीमा होता है क्योंकि लोग नए मॉडल का इंतजार करते हैं, लेकिन इस बार सितंबर 2025 में Apple ने 1.25 अरब डॉलर के iPhones विदेश भेजे, जो पिछले साल के 490 मिलियन डॉलर से लगभग तीन गुना ज्यादा हैं। इसके बावजूद भारत में iPhone 17 सीरीज की घरेलू मांग भी बहुत अच्छी रही, जिससे पता चलता है कि भारत अब iPhone मैन्युफैक्चरिंग और यूटिलाइजेशन दोनों का बड़ा केंद्र बन गया है।
पहली बार सभी मॉडल भारत से लॉन्चपहले Apple भारत में सिर्फ बेस मॉडल बनाता था, और Pro या Pro Max जैसे महंगे मॉडल कुछ महीनों बाद विदेश भेजे जाते थे। लेकिन इस बार सब बदल गया है। iPhone 17 सीरीज के सभी मॉडल, iPhone 17, 17 Plus, 17 Pro, 17 Pro Max और Air लॉन्च के दिन से ही भारत में बने और पूरी दुनिया में भेजे गए। इसे Apple ने “India Manufacturing 2.0 कहा है, क्योंकि अब भारत सिर्फ असेंबली की जगह नहीं, बल्कि एक बड़ा ग्लोबल प्रोडक्शन हब बन चुका है।
नई फैक्ट्रियां, बढ़ता उत्पादन और सरकारी प्रोत्साहनApple के इस तेज़ बढ़ोतरी के पीछे दो नई फैक्ट्रियों का बड़ा योगदान है। अप्रैल 2025 में Tata Electronics की Hosur फैक्ट्री और Foxconn की Bengaluru फैक्ट्री शुरू हुईं। इनके आने के बाद भारत में कुल पांच iPhone फैक्ट्रियाँ हो गई हैं। वित्त वर्ष 2025 में Apple ने भारत में 22 अरब डॉलर के iPhones बनाए, जिनमें से 80% यानी 17.5 अरब डॉलर के iPhones विदेशों को भेजे गए। ये आंकड़े FOB (Freight on Board) वैल्यू पर हैं, मतलब फोन की कीमत तब जब वह फैक्ट्री से बाहर निकलता है। इसके मुकाबले रिटेल कीमत लगभग 50-60% ज्यादा होती है। सरकार PLI (Production Linked Incentive) योजना के तहत कंपनियों को इसी FOB वैल्यू पर इंसेंटिव देती है। FY22 में Apple का उत्पादन 2 अरब डॉलर था, जो FY25 में बढ़कर 22 अरब डॉलर हो गया है, यानी तीन साल में ग्यारह गुना बढ़ोतरी हुई है।
भारत की सप्लाई और चुनौतियांApple की भारत में सप्लाई चेन अब लगभग 45 कंपनियों तक बढ़ चुकी है, जिनमें स्थानीय पार्ट बनाने वाली कंपनियां और छोटे-छोटे असेंबली यूनिट शामिल हैं। इन कंपनियों की वजह से करीब 3.5 लाख लोगों को नौकरी मिली है, जिनमें से 1.2 लाख सीधे तौर पर रोजगार हैं। इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग भारत के तकनीकी उत्पादन प्रणाली के अहम हिस्से बन गए हैं। अमेरिका Apple का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बाजार है। अप्रैल से अगस्त 2025 तक भारत से अमेरिका को 8.43 अरब डॉलर के स्मार्टफोन भेजे गए, जबकि पिछले साल यह संख्या 2.88 अरब डॉलर थी। इस एक्सपोर्ट में Apple सबसे ऊपर है, उसके बाद Samsung और Motorola आते हैं। फिर भी, भविष्य में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं। अमेरिकी सरकार सेमीकंडक्टर टैरिफ की जांच कर रही है और नए शुल्क लग सकते हैं, जो भारत से होने वाले एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकते हैं। अभी स्मार्टफोन इन टैरिफ में नहीं हैं, लेकिन अगर नियम बदले तो इसका असर पड़ सकता है। इस बीच, Apple ने इस एक्सपोर्ट की रिपोर्ट पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
“Made in India” की नई परिभाषाभारत अब Apple की सप्लाई चेन का एक छोटा हिस्सा नहीं, बल्कि ग्लोबल रणनीति का केंद्र बन गया है। जहाँ एक ओर फैक्ट्रियों से बने iPhones सीधे अमेरिका और यूरोप जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लाखों भारतीय युवाओं के लिए यह नए अवसरों के दरवाज़े खोल रहा है।
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