अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने का हवाला देते हुए भारत पर 50% का टैरिफ लगा दिया। जिसमें 25% का बेस टैरिफ और 25% का अतिरिक्त टैरिफ शामिल है। इसके साथ ही अमेरिका के द्वारा लगातार भारत पर कटाक्ष किए जा रहे हैं। ट्रंप और उनके अधिकारियों के द्वारा लगातार हो रही भारत की आलोचना के बीच तेल मंत्री हरदीप पुरी ने अमेरिका को जवाब दिया है। उन्होंने यह कहा है कि भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात से वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतों में वृद्धि को रोकने में मदद की है। द हिंदू अखबार में छपे एक लेख में उन्होंने यह जानकारी दी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था का बड़ा झटका टला पुरी का कहना है कि भारत के द्वारा अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया गया है। जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर $200 प्रति बैरल का बड़ा झटका लग सकता था जो टल गया है। इसके साथ ही भारत पर लगातार प्रतिक्रिया कर रहे अमेरिका को भी उन्होंने करारा जवाब दिया।
व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने यह तर्क दिया था कि भारत रूस से तेल खरीद कर युद्ध में भागीदारी कर रहा है। रूस को मदद करके यूक्रेन के खिलाफ रुसी युद्ध मशीन को ईंधन दिया जा रहा है। इस आप पर पुरी ने जवाब दिया कि भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं किया है। रूस से तेल खरीदना भारत के हक और नियमों के अंतर्गत है।
उन्होंने यह कहा कि यह पहली बार नहीं है भारत किसी देश से पेट्रोलियम निर्यात कर रहा है। भारत ऐसा दशकों से करता आया है। भारत पर आरोप लगा रहे यूरोपीय खरीदारों ने भी भारतीय उत्पादों की ओर रुख किया है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत दशकों से दुनिया के शीर्ष पेट्रोलियम निर्यातकों में से एक रहा है, जो दुनिया भर से कच्चे तेल की विविध टोकरी का शोधन करता है। रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाने के बाद यूरोपीय खरीदारों ने खुद भारतीय उत्पादों की ओर रुख किया। पुरी ने ज़ोर देकर कहा कि शोधन मार्जिन स्थिर रहा है, जिससे मुनाफाखोरी की संभावना खत्म हो गई है। ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का तेजी से विकास हो रहा है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता बन चुका है। रिफाइनिंग क्षमता पहले में भी वृद्धि हो रही है। साल 2030 तक इसमें सालाना 400 मिलियन टन से अधिक विस्तार हो सकता है।
पुरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में एनर्जी डिमांड साल 2047 तक डबल हो सकती है। सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर रक्षा और विशिष्ट रसायनों तक के क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है। भारत अपने विकास को बनाए रखने के लिए जो सही कदम होंगे उसे उठाएगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था का बड़ा झटका टला पुरी का कहना है कि भारत के द्वारा अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया गया है। जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर $200 प्रति बैरल का बड़ा झटका लग सकता था जो टल गया है। इसके साथ ही भारत पर लगातार प्रतिक्रिया कर रहे अमेरिका को भी उन्होंने करारा जवाब दिया।
व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने यह तर्क दिया था कि भारत रूस से तेल खरीद कर युद्ध में भागीदारी कर रहा है। रूस को मदद करके यूक्रेन के खिलाफ रुसी युद्ध मशीन को ईंधन दिया जा रहा है। इस आप पर पुरी ने जवाब दिया कि भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं किया है। रूस से तेल खरीदना भारत के हक और नियमों के अंतर्गत है।
उन्होंने यह कहा कि यह पहली बार नहीं है भारत किसी देश से पेट्रोलियम निर्यात कर रहा है। भारत ऐसा दशकों से करता आया है। भारत पर आरोप लगा रहे यूरोपीय खरीदारों ने भी भारतीय उत्पादों की ओर रुख किया है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत दशकों से दुनिया के शीर्ष पेट्रोलियम निर्यातकों में से एक रहा है, जो दुनिया भर से कच्चे तेल की विविध टोकरी का शोधन करता है। रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाने के बाद यूरोपीय खरीदारों ने खुद भारतीय उत्पादों की ओर रुख किया। पुरी ने ज़ोर देकर कहा कि शोधन मार्जिन स्थिर रहा है, जिससे मुनाफाखोरी की संभावना खत्म हो गई है। ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का तेजी से विकास हो रहा है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता बन चुका है। रिफाइनिंग क्षमता पहले में भी वृद्धि हो रही है। साल 2030 तक इसमें सालाना 400 मिलियन टन से अधिक विस्तार हो सकता है।
पुरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में एनर्जी डिमांड साल 2047 तक डबल हो सकती है। सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर रक्षा और विशिष्ट रसायनों तक के क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है। भारत अपने विकास को बनाए रखने के लिए जो सही कदम होंगे उसे उठाएगा।
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