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सूर्य की विकिरण: अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा

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सूर्य की विकिरण का प्रभाव If sun gets this craze then life can go on earth in two weeks

सूर्य की किरणें न केवल दृश्यता में सुंदरता लाती हैं, बल्कि वे हमें ऊर्जा भी प्रदान करती हैं। हालांकि, दोपहर के समय सूर्य की तीव्रता के बारे में क्या कहा जा सकता है? वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य से निकलने वाली विकिरण अत्यधिक खतरनाक हो सकती है। एक बार, इस विकिरण ने पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल को सीधे प्रभावित किया था।


10 ग्रे विकिरण अत्यधिक खतरनाक है। वर्तमान में, पृथ्वी पर रहने वालों के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और विशेष मिशनों पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए यह समस्या उत्पन्न कर सकता है। यदि विकिरण का स्तर 10 ग्रे से अधिक हो जाए, तो जीवित रहना कठिन हो सकता है।


मंगल ग्रह पर कोई मैग्नेटिक फील्ड नहीं है, जिससे उच्च ऊर्जा वाले कणों को रोकना मुश्किल हो जाता है। इसी तरह, चंद्रमा पर भी मैग्नेटिक फील्ड की कमी के कारण कॉस्मिक विकिरण का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि चंद्रमा पर कोई मानव बस्ती नहीं है, लेकिन स्पेसक्राफ्ट को इससे समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


विकिरण की मात्रा को ग्रे में मापा जाता है। यदि कोई व्यक्ति 10 ग्रे के विकिरण का सामना करता है, तो उसकी मृत्यु केवल दो हफ्तों में हो सकती है। वहीं, 700 मिलीग्रे का विकिरण स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में सूरज से आने वाला विकिरण 10 मिलीग्रे मापा गया है, इसलिए फिलहाल कोई खतरा नहीं है।


1972 में, सूर्य से विकिरण की मात्रा 10 ग्रे से अधिक थी, जिससे चंद्रमा पर सीधा प्रभाव पड़ा। सौभाग्य से, अपोलो 16 और अपोलो 17 मिशन इस समय के बीच में थे, इसलिए अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रहे।


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