सर क्रीक विवाद
क्या भारत और पाकिस्तान के बीच सर क्रीक विवाद एक नए युद्ध का कारण बन सकता है? जिस दलदली क्षेत्र को पहले नजरअंदाज किया गया, अब उसी पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी है। इन दोनों नेताओं के बयानों ने सभी को चौंका दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि पाकिस्तान ने सर क्रीक की ओर कोई कदम बढ़ाया, तो 'इतिहास और भूगोल' में बदलाव आ जाएगा।
संगठित चेतावनी: इरादे स्पष्टअक्टूबर 2025 की शुरुआत में, भारत की शीर्ष सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व ने पाकिस्तान को एक अभूतपूर्व चेतावनी दी है। यह कोई अकेला बयान नहीं है, बल्कि एक समन्वित संदेश है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2 अक्टूबर को गुजरात के कच्छ क्षेत्र में शस्त्र पूजन के दौरान कहा: “अगर पाकिस्तान ने सर क्रीक क्षेत्र में कोई दुस्साहस किया, तो उसे ऐसा जवाब दिया जाएगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे। पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची का एक रास्ता क्रीक से गुजरता है।”
रक्षा मंत्री के बयान के अगले दिन, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर चेतावनी दी और कहा कि “अगर पाकिस्तान को अपनी जगह बनाए रखनी है, तो उसे स्टेट-स्पोंसर्ड आतंकवाद को रोकना होगा। इस बार हम संयम नहीं दिखाएंगे और एक कदम आगे बढ़ेंगे।”
इस बीच, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने भी सैनिकों को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहने को कहा। तीनों सेना प्रमुखों का एक साथ इतना कड़ा संदेश देना यह दर्शाता है कि भारत के पास सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान के सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार के बारे में विश्वसनीय खुफिया जानकारी है।
सर क्रीक का महत्वसर क्रीक एक 96 किलोमीटर लंबा दलदली क्षेत्र है, जो गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच स्थित है। यह विवाद भारत की स्वतंत्रता से पहले का है, जब 1914 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी के सिंध और कच्छ डिवीजनों के बीच क्षेत्राधिकार का विवाद हुआ था। विभाजन के बाद, सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और कच्छ भारत का। ब्रिटिश राज के समय इसे बन गंगा कहा जाता था।
पाकिस्तान का दावा है कि सर क्रीक की पूर्वी सीमा उसकी है, जबकि भारत थालवेग सिद्धांत के अनुसार मध्य नेविगेबल लाइन को असली सीमा मानता है। इस विवाद का असली दांव समुद्र है, क्योंकि सर क्रीक अरब सागर में मिलती है, जहां करोड़ों डॉलर के तेल और गैस के संसाधन हैं।
विवाद की जड़ेंविवाद की जड़ें 1914 के बॉम्बे सरकार प्रस्ताव की अलग-अलग व्याख्याओं में हैं। पाकिस्तान अनुच्छेद 9 का हवाला देता है, जबकि भारत अनुच्छेद 10 और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून के थालवेग सिद्धांत का। थालवेग सिद्धांत कहता है कि सीमा को उस जलमार्ग के सबसे गहरे चैनल के बीच में निर्धारित किया जाना चाहिए।
भारत का तर्क है कि उच्च ज्वार के दौरान सर क्रीक जहाज़ों के चलने लायक हो जाता है, जबकि पाकिस्तान इसे मानने से इनकार करता है। इस छोटे से अंतर से अरब सागर में हजारों वर्ग किलोमीटर का समुद्री इलाका दांव पर लगा हुआ है।
भविष्य की चुनौतियाँभारत की चेतावनी केवल एक बयान नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़े आर्थिक और सामरिक कारण हैं। यदि पाकिस्तान के दावे को मान लिया जाता है, तो भारत अरब सागर में अपने अनन्य आर्थिक क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा खो देगा। इसके अलावा, सर क्रीक क्षेत्र हाइड्रोकार्बन संसाधनों से समृद्ध है, और सीमा में बदलाव से भारत को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।
पाकिस्तान इस क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहा है, जिसमें नौसेना के ठिकाने और सैनिकों की तैनाती शामिल हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वह सीमा विवादों पर कोई कमजोर नीति नहीं अपनाएगा। पाकिस्तान को आतंकवाद बंद करके बातचीत की मेज पर आना होगा, या फिर भारत की चेतावनी का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
You may also like
170 Naxalites Surrender In Chhattisgarh : नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता, छत्तीसगढ़ में 170 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
'रेयर अर्थ' का नया युद्धक्षेत्र: चीन की मजबूत पकड़, ट्रंप का यू-टर्न और भारत के लिए अवसर
उत्तराखंड में ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए हिन्दुस्तान जिंक की पहल — मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोबाइल हेल्थ वैन को दिखाई हरी झंडी
चीन महिला सशक्तीकरण और समानता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठा रहा है : डोमिनिका की राष्ट्रपति
OTT की मोस्ट अवेटेड सीरीज Delhi Crime 3 की रिलीज़ डेट से उठा पर्दा, इस दिन क्राइम के नए और थ्रिलिंग राज खोलने आ रही शेफाली शाह