एक समृद्ध व्यक्ति एक खूबसूरत बंगले में रहता था। एक दिन, जब वह शहर से बाहर गया था, लौटने पर उसने देखा कि उसके घर में धुआं उठ रहा है। आग ने उसके घर को घेर लिया था।
घर की स्थिति देखकर वह बहुत चिंतित हो गया और सोचने लगा कि उसे अपने घर को कैसे बचाना है। तभी उसका बड़ा बेटा आया और बोला, "पिताजी, चिंता मत कीजिए, सब कुछ ठीक हो जाएगा।" पिता ने कहा, "मेरा सुंदर घर जल रहा है, मैं कैसे न घबराऊं?"
बेटे की सकारात्मक सोच
बेटे ने कहा, "मैंने आपको नहीं बताया, कुछ दिन पहले मुझे घर का एक खरीदार मिला था और मैंने उसे घर तीन गुना कीमत पर बेच दिया।" यह सुनकर पिता को राहत मिली और उन्होंने बाकी लोगों की तरह जलते घर को देखने का फैसला किया।
दूसरे बेटे की चिंता

तभी उनका दूसरा बेटा आया और बोला, "पिताजी, हमारा घर जल रहा है, आप कुछ करें।" पिता ने कहा, "कोई चिंता नहीं, बड़े भाई ने इसे अच्छी कीमत पर बेच दिया है। अब यह हमारा घर नहीं रहा।"
बेटा बोला, "लेकिन सौदा पक्का नहीं हुआ है, पैसे अभी नहीं मिले हैं। अब इस जलते घर की कौन कीमत देगा?" यह सुनकर पिता फिर से चिंतित हो गए।
तीसरे बेटे का आश्वासन
फिर उनका तीसरा बेटा आया और बोला, "पिताजी, चिंता मत कीजिए। मैंने उस व्यक्ति से बात की है जिसने घर खरीदने का वादा किया था। वह निश्चित रूप से घर खरीदेगा और पैसे भी देगा।" यह सुनकर पिता ने फिर से राहत महसूस की।
सीख
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि परिस्थितियों के अनुसार इंसान का व्यवहार बदलता है। सकारात्मक सोच रखने से दुख और परेशानियों से दूर रहना संभव है। यदि हम चीजों से लगाव न रखें और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं, तो दुख समाप्त हो जाता है।
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