Himachali Khabar
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट कोच
मैं उन मां बाप को सचेत करना चाहता हूं जो अपने बच्चों से सीधी बात नही करते हैं, उन पर कटाक्ष करते रहते हैं तथा व्यंग करते हैं। ऐसे ऐसे माता पिता है जिनके पास अपने बच्चों से बात करने का समय भी नही होता हैं, उनके बच्चे कहां जा रहे है, किन की संगत में घूम रहे है, इतना ध्यान भी माता पिता नही करते हैं। कैसे कैसे पेरेंट्स हैं जो बच्चो को डॉक्टर्स इंजीनियर्स या सफल तो बनाना चाहते हैं परंतु अपने बच्चों को दिन में एक मिनट भी नहीं देना चाहते हैं। जिनके पास जितने ज्यादा संसाधन या धन संपदा होते हैं वो तो केवल पैसे के दम पर ही अपने बच्चो को सफल नागरिक बनाना चाहते हैं, लेकिन अपना समय नहीं देना चाहते हैं। मैं उन्ही माता पिता को सलाह दे रहा हैं, जो पैसे से अपने बच्चो का भविष्य तथा उनके जीवन को सार्थक बनाना चाहते हैं लेकिन उनकी ये सोच बिलकुल गलत हैं, बिल्कुल नकारात्मक है, क्योंकि बच्चों को कभी भी पैसों के बल पर सफल किया जा सकता। मैंने बहुत बड़े बड़े लोगो के बच्चे नशे की लत में तथा अपराधिक गतिविधियों में जाते देखा हैं, बच्चो को पैसा नही, पास चाहिए। माता पिता का मोटिवेशन चाहिए, बच्चो को अपने परिवार का प्रोत्साहन चाहिए, बच्चों स्नेह चाहिए, तारीफ चाहिए, उनके जीवन में प्रेरणा माता पिता के कारण ही आती हैं। मैं उन सभी माता पिता को संदेश देना चाहता हूं कि वो अपने बच्चो से सीधा संवाद करें, कभी भी इनडायरेक्ट बात ना करें, किसी मेहमान या बाहर के व्यक्ति के माध्यम से बात ना करे और ना ही अपने बच्चों पर कटाक्ष करें, जो भी कहना है जो भी संदेश देना है , अपने बच्चो को प्रेम से, स्नेह से समझाकर बात करें, किसी से भी अपने बच्चों को कंपेयर ना करें, उनसे कभी कंपीट ना करें, केवल करेक्ट करें। अपने बच्चो को वात्सल्य दें तथा जीवन में सदैव बच्चो को अच्छी सलाह दें, संस्कार दें और केवल जरूरत को ही पूरा करो, ना कि उन्हे लग्जरी चीजे उपलब्ध कराने में ही अपनी शान समझें।
कुछ माता पिता अपनी हैसियत दिखाने के लिए अपने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चो को बाइक तथा कार पकड़ा देते है और अपने बच्चों को गाड़ी खूब स्पीड से चलाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, कभी उन को ये कहने की हिम्मत नही रखते कि तुम्हे 18 साल से पहले गाड़ी चलाने को नही मिलेगी। हम कभी नही कहते है कि जरूरत से ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा, तुम्हे तीन जोड़ी कपड़े से ज्यादा नही मिलेंगे। मातापिता कभी भी अपने बच्चो की डिमांड का विश्लेषण नही करते , वो चाहे कितना भी ड्रामा करें, कोई पेरेंट्स ये अपने बच्चो को नही समझाते कि तुम्हारी जो जरूरत आसानी से पूरी हो रही है, विश्व में ऐसे कितने बच्चे है जिनको खाने के लिए भोजन भी नही मिलता है और तुम पीज़ा के लिए लड़ाई कर रहे हो। युवा साथियों, हो सकता हैं आपके मातापिता आपको ये ना सिखा पाएं, परंतु देश के सभी बच्चों को ये खुद सीखना है। मैं सभी माता पिता को यही तो कहना चाहता हूं कि सभी बच्चे अपने जीवन में जो भी गलत कदम उठाते है या गलत संगत में पड़ते है वो अपनी नकारात्मक सोच में ही उठाते होंगें, और जब बच्चों को कोसा जाता है या अपने बच्चों पर व्यंग या कटाक्ष किया जाता है तो बच्चों में नेगेटिविटी पैदा होती हैं, इसमें जो बच्चें बेचारे शरीफ होते है उन बच्चों में डिप्रेशन पैदा होता हैं, और जो बेचारे डिप्रेशन में नहीं जाते है उन बच्चों में एरोगेंसी पैदा होती हैं।
बच्चों में असम्मान की भावना पैदा होती हैं, इसलिए मैं तो यही कहना चाहता हूं कि कभी भी अपने बच्चों को हतोत्साहित ना करें, कभी भी अपने बच्चो का दूसरो से कंपेयर ना करें, अपने बच्चों से कभी इनडायरेक्ट बात ना करें। बस सभी माता पिता अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें, अपने बच्चों से लगातार बातचीत करें, उन्हे प्रेम से आगे बढ़ने की प्रेरणा दें, बच्चों को भौतिक संसाधन की बजाय आध्यात्मिक संसाधन के लिए प्रेरित करें। मैं प्रत्येक माता पिता को तथा सभी नागरिकों को बहुत ही काम की एक बात पर विमर्श करने जा रहा हूं, कृपया मनन वा मंथन करना, जिससे सभी बच्चों का कल्याण होगा;
1. प्रशंसा
2. प्रोत्साहन
3. पुरस्कार
ये तीनो स्किल बच्चों , किशोरों तथा युवाओं को ही नही बल्कि सभी लोगों को आगे बढ़ने के लिए लगन पैदा करती हैं, इससे भी ज्यादा अगर तीन बाते अपने व्यवहार में और शामिल कर ली जाए तो आप अपने बच्चों को ना केवल सफल बना सकते है बल्कि बेहतरीन नागरिक भी बना सकते हैं और वो है ;
1. प्रेम
2. प्रेरणा
3. प्रयत्न
ये तीनो तो हर बच्चे में एक ऐसी ऊर्जा का संचार करते है कि बच्चों में स्वत ही ईमानदारी, जिम्मेदारी तथा जवाबदेही आ जाती है जिससे किसी भी बच्चे का जीवन बदल जाता हैं।
मैं सभी माता पिता तथा अभिभावकों से यही कहना चाहता हूं कि बच्चो को पॉजिटिव ऊर्जा दें जिससे उनमें पॉजिटिव ऊर्जा ही उत्पन्न हो, और जीवन को सफलता तथा सार्थकता की तरफ लेकर जाएं।
जयहिंद, वंदे मातरम
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