‘भंडारा.. भंडारा.. भंडारा.. विशाल भंडारा..’ ये शब्द सुनते ही लोगों के मन में लड्डू फूटने लगते हैं। उनके मुंह से लार टपकने लगती है। वह फौरन भंडारे में जाने की पूरी प्लानिंग बना लेते हैं। कुछ तो सुबह से भूखे रहते हैं ताकि भंडारे में ज्यादा खा सके। फिर कुछ महान लोग ऐसे भी होते हैं जो भंडारे का खाना टिफिन में पैक कर घर ले जाते हैं।
वैसे एक बात तो है भंडारे के खाने का स्वाद ही निराला होता है। यहां गरमा गरम पूरी, रामभाजी, सेव, मीठी बूंदी और किस्मत अच्छी हुई तो मिठाई का एक टुकड़ा भी मिल जाता है। आय-हाय ये बातें करने मात्र से हमारे मुंह में भी पानी आने लगा। पेट में चूहे कबड्डी खेलने लगे। अब इसके पहले आप अपने आसपास कोई भंडारा निपटाने जाने लगो, एक मिनट रुककर हमारी बातें सुन लो।
आपको जान हैरानी होगी कि हम में से कई लोगों को भंडारे का खाना नहीं खाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं की माने तो कुछ खास लोगों को भंडारे का खाना खाने से परहेज करना चाहिए। अब ऐसा क्यों है? आखिर वह क्या वजह है जिसके चलते अधिकतर लोगों को भंडारे में नहीं खाना चाहिए? और यदि आपने खा लिया तो आपके साथ क्या होगा? तो चलिए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।
कैसे शुरू हुई भंडारे की परंपरा?
सबसे पहले ये जानते हैं कि आखिर ये भंडारे होते क्यों हैं? इसकी शुरुआत कहां से हुई? हमारे शास्त्रों और पुराणों को खंगाला जाए तो उसमें अन्नदान की बात कई बार पढ़ने को मिलती है। इन शास्त्रों की माने तो गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना और कपड़े बांटना शुभ और नेक काम माना जाता है। ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं और हमे अच्छा फल देते हैं। बस इसी अन्नदान की परंपरा ने धीरे-धीरे भंडारे का रूप ले लिया।
इस कारण भंडारे में नहीं करना चाहिए भोजनतो चलिए फिर से मुद्दे की बात पर आते हैं। आखिर हमे भंडारे का भोजन क्यों नहीं करना चाहिए? आखिर इसमें दिक्कत क्या है? तो देखो भाई, भंडारा कराने का मुख्य उद्देश्य गरीबों की सहायता करना होता है। इस दौरान ऐसे लोगों को अच्छा और भरपेट खाना खिलाया जाता है जो इसे अफोर्ड नहीं कर सकते हैं। इसलिए जब उन्हें ये स्वादिष्ट भोजन मिलता है तो उनका मन प्रसन्न हो जाता है। अब यदि हम और आप जैसे सक्षम लोग फ्री फोकट में भंडारे में खाकर आ जाएं तो ये उन गरीबों और जरूरतमंदों का हक मारना होगा।
भंडारा खाने के पहले करें ये कामअब ये बात सुनकर आप में से कई लोग उदास हो गए होंगे। क्योंकि बहुत से लोगों को भंडारे का खाना लाजवाब लगता है। वह इसका हिस्सा बनना चाहते हैं। तो जनाब आप टेंशन मत लीजिए। शास्त्रों में इसका तोड़ भी बताया गया है। आप भंडारे में अपनी क्षमता के अनुसार पैसों की मदद कर सकते हैं। इसके अलावा भंडारे में आए लोगों को भोजन परोसने का काम भी कर सकते हैं। इस तरह आप फ्री फोकट में नहीं खाएंगे। बल्कि अपने खुद के पैसों का खाएंगे और दूसरों को भी अपने पैसों से खिलाएंगे। मतलब आपको अन्न दान का लाभ मिलेगा।
तो देर किस बात की आज ही अपने आसपास एक विशाल भंडारे का आयोजन कराइए। और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा तक उन्हें भी भंडारे के खाने की सच्चाई बताइए।
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