Asteroid, NASA News: अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) एक बड़े अंतरिक्ष खतरे से निपटने की तैयारी कर रहा है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि ‘2024 YR4’ नाम का एक एस्टेरॉयड साल 2032 में चांद से टकरा सकता है. इससे निपटने के लिए अब न्यूक्लियर बम इस्तेमाल यूज करने पर चर्चा हो रही है.
पृथ्वी सुरक्षित, चांद पर खतरा
शुरुआत में आशंका थी कि यह एस्टेरॉयड सीधे धरती से टकराएगा, लेकिन नई गणना के अनुसार धरती फिलहाल सुरक्षित है. समस्या यह है कि अब इसके चांद से टकराने की संभावना बढ़ गई है.
भारी मात्रा में फैलेगा मलबा
अगर यह एस्टेरॉयड चांद से टकराता है, तो चांद की सतह से भारी मात्रा में मलबा निकलकर अंतरिक्ष में फैल जाएगा. यह मलबा धरती की ओर आ सकता है. जिससे स्पेस में तैर रहे सैटेलाइट्स, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
क्या है नासा की नई योजना?
नासा इस एस्टेरॉयड को रोकने के लिए न्यूक्लियर वेपन (परमाणु हथियार) के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है. एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि 2029 से 2031 के बीच “न्यूक्लियर डिसरप्शन मिशन” चलाया जा सकता है. इसमें एस्टेरॉयड को बम से तोड़कर उसके खतरे को टाला जाएगा.
टक्कर की संभावना
पिछले साल जब इस एस्टेरॉयड को पहली बार देखा गया था, तब इसके धरती से टकराने की संभावना 3.1% बताई गई थी. अब नई गणना में धरती सुरक्षित मानी जा रही है, लेकिन चांद से टकराने की संभावना 4.3% तक बढ़ गई है.
कितना बड़ा धमाका होगा?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ‘2024 YR4’ का आकार लगभग 174 से 220 फीट के बीच है. अगर यह चांद से टकराता है, तो करीब 10 करोड़ किलोग्राम मलबा निकलेगा. इसकी टक्कर से 6.5 मेगाटन TNT के बराबर ऊर्जा निकलेगी. तुलना करें तो, 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए एटम बम की ताकत सिर्फ 0.015 मेगाटन TNT थी. यानी यह धमाका उससे कई सौ गुना ज्यादा ताकतवर होगा.
चांद पर गड्ढा और धरती पर असर
इस टक्कर से चांद पर करीब 1 किलोमीटर गहरा गड्ढा बन जाएगा. वहीं, जो मलबा धरती की ओर आएगा, उससे हमारे उपग्रह और अंतरिक्ष यान गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. इससे पृथ्वी के चारों ओर धूल का बड़ा गुब्बार छा सकता है.
लगातार निगरानी कर रहे वैज्ञानिक
फिलहाल यह सिर्फ संभावना है और वैज्ञानिक लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं. नासा का मानना है कि समय रहते कदम उठाया गया तो खतरे को टाला जा सकता है. लेकिन अगर यह एस्टेरॉयड सच में चांद से टकराता है, तो इसका असर धरती पर भी साफ दिखाई देगा.