जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सोमवार को भारतीय सेना के पैरा कमांडोज ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. एक मुठभेड़ में तीन पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया. ये आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे. इन तीन आतंकियों में से एक सुलेमान उर्फ आसिफ है. आसिफ को 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. बाकी दो आतंकियों के नाम यासिर और अबू हमजा है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर इनका सुराग मिला कहां से? तो आपको जानकर हैरानी होगी कि आतंकियों को पकड़ने में एक चाइनीज डिवाइस ने मदद की है. ये कौनसा डिवाइस और इसने कैसे मदद की इसकी पूरी डिटेल्स नीचे दी गई हैं.
कैसे मिला आतंकियों का सुराग?इंडियन सिक्योरिटी ऑफिशियल्स को आतंकियों के ठिकाने का पता एक चीनी कम्युनिकेशन डिवाइस से चला जो दो दिन पहले एक्टिव हुआ था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 11 जुलाई को बाईसरन इलाके में एक चीनी सैटेलाइट फोन का सिग्नल पकड़ा गया था. इसके बाद लगातार 14 दिन तक खुफिया जानकारी जुटाई गई.
इस डिवाइस को Ultra Set कहा जाता है. ये एक एडवांस सिक्योर चाइनीज कम्युनिकेशन सिस्टम है. इसे पाकिस्तान की सेना इस्तेमाल करती है. ये GSM या CDMA नेटवर्क पर नहीं चलता, बल्कि रेडियो वेव्स से काम करता है. इसकी हर यूनिट पाकिस्तान में एक कंट्रोल स्टेशन से जुड़ी होती है.
ऑपरेशन महादेव तेज और सफलइस खुफिया जानकारी के आधार पर सेना ने ऑपरेशन महादेव शुरू किया. महादेव पीक, जबरवान रेंज में आता है और श्रीनगर के पास है. उस इलाके में आतंकी घने जंगलों में छिपे हुए थे. 24 नेशनल राइफल्स और 4 पैरा यूनिट की टीम ने 11 बजे इलाके में संदिग्ध एक्टिविटी देखी और कार्रवाई शुरू कर दी. सेना को सभी आतंकी एक टेंट में छिपे हुए मिले. कुछ ही मिनटों में सेना ने इन तीनों को ढेर कर दिया.
चीनी डिवाइस और Pahalgam हमलारिपोर्टस के मुताबिक, पहलागाम हमले (22 अप्रैल, 2024) में भी आतंकियों ने Huawei के प्रतिबंधित सैटेलाइट फोन और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल किया था ताकि वो बॉर्डर पार अपने हैंडलर्स से कॉन्टैक्ट में रह सकें. ये मामला बताता है कि कैसे पाकिस्तान का आतंकी ग्रुप अब चीनी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर भारत में हमलों की प्लानिंग कर रहे हैं.
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