देश में सनातन धर्म का प्रचार बहुत समय पहले से होता आ रहा है। अब तो विदेशों में भी कई जगह हरे रामा-हरे कृष्णा सुनने को मिलता है। लोगों में श्रीकृष्ण को लेकर अलग ही माहौल है और विदेशियों को भारत का सनातन धर्म खूब भा रहा है। इनमें एक जापानी लड़की भी शामिल है जो जिसे एक आदमी ने श्रीमद्भागवत गीता उपहार किया था और माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ पढ़ा रही है भारतीय दर्शन, जानिए कौन है ये?
माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ पढ़ा रही है भारतीय दर्शनश्रीमद्भागवत गीता ने जापान की एक युवती के जीवन पर ऐसी छाप छोड़ी है कि उसने माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनी की नौकरी को ठुकरा दिया और अब जापान में गीता और भारतीय दर्शन पढ़ाने का काम शुरु किया है। इस युवती का नाम रीको वाथाबे है और इनको किसी अनजान व्यक्ति गीता भेंट की थी और मात्र तीन दिनों में वे कुरुक्षेत्र आ गई थीं। य
हां पर उन्होंने श्रीमद्भगवत गीता पर आयोजित संगोष्ठी में जापान में श्रीमद्भागवत गीता पर अपना शोध पत्र पढ़ा। गीता पढ़ने के बाद रीको का पूरा जीवन बदल गया और उन्होंने बताया कि स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद कानागावा कॉलेज ऑफ फॉरेन स्टडीज में पढाई की, फिर अंग्रेजी और कॉमर्स की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड़ गईं और वहां पर इंग्लैंड में लोकर गवर्मेंट के साथ ट्रेनी के तौर पर जुड़ी। जापान में बतौर जापानी और इंग्लिश ट्रांसलेटर की ट्रांसलेटर की माइक्रोसॉफ्ट और फूजी जैसी कंपनियों के साथ भी काम किया। इसी दौरान एक दिन टोक्यो रेलवे स्टेशन पर एक अनजान व्यक्ति ने इन्हें गीता भेंट की और वो गीता जापानी भाषा में थी। गीता पढ़ने के बाद उनके मन में भगवान श्रीकृष्ण और दूसरे धार्मिक ग्रंथों के बारे में जानने की इच्छा हुई।
रीको ने बताया कि टोक्यो डिजनी के दौरान उनकी मुलाकात दिल्ली के मुकेश हुई थी और मुकेश भारत के कपड़े अयात कर जापान में बेचने का काम करते हैं। इसके बाद दोनों की मुलाकातें होने लगी, मुकेश की जापानी अच्छी नहीं थी, लेकिन रीको ने उसे सिखा दी। मुकेश और रीको ने शादी करने का फैसला ले लिया लेकिन दोनों के माता-पिता इसके खिलाफ रहे। मुकेश ने अपने परिवार वालों को मना लिया लेकिन रीको के परिवार वाले नहीं माने। इसके बाद रीको और मुकेश ने साल 2000 में शादी कर ली और इसके बाद दिल्ली आकर भारतीय रीति-रिवाजों के साथ शादी कर ली। रीको अकेली भारत आईं और साल 2005 में उन्हें बेटा हुआ जिसका नाम उन्होंने अर्जुन रखा। बेटे के पैदा होने के बाद रीको के परिवार वालो ने उन्हें स्वीकार कर लिया।
अब जापान में पढ़ाती है रीकोशादी के बाद रीको ने मुकेश से भारतीय दर्शन के बारे में पूछा तो उन्होंने ओडिशा के गुरु एमके पांडा से मिलवाया। रीको ने गुरु पांडा के पास गीता, वेद, योग और भारतीय दर्शन की पढ़ाई की। उसने फैसला किया कि वो जापान में रहकर इसे प्रचारित करेंगी। इसके बाद रीको ने नौकरी को छोड़ दिया और जापान में गीता, वेद, रामायण का ज्ञान का प्रसार करना शुरु किया। अब वे अलग-अलग जगह चल रहे योग इंस्टीट्यूट में गीता और भारतीय दर्शन पढ़ा रही हैं।
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