बीजिंग, 7 सितंबर . 5 सितंबर को 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चीन द्वारा प्रस्तुत “संयुक्त राष्ट्र और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बीच सहयोग” संबंधी प्रस्ताव को भारी बहुमत से पारित किया. इस प्रस्ताव का सह-प्रायोजन सभी एससीओ सदस्य देशों सहित लगभग 40 देशों ने किया.
प्रस्ताव में क्षेत्रीय शांति, विकास, आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने में एससीओ की रचनात्मक भूमिका की सराहना की गई है. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र के कार्यों के समर्थन में एससीओ के प्रयासों का सकारात्मक मूल्यांकन करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और एससीओ के बीच संवाद एवं समन्वय को और मजबूत करने का समर्थन व्यक्त किया गया. प्रस्ताव में चीन द्वारा 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित थ्येनचिन शिखर सम्मेलन और वहां से जारी थ्येनचिन घोषणा का भी स्वागत किया गया.
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधिमंडल के प्रभारी राजदूत कंग शुआंग ने महासभा में मसौदा प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि अपनी स्थापना के 24 वर्षों में “शंघाई भावना” के मार्गदर्शन में एससीओ निरंतर विकसित होकर आज दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बन गया है.
उन्होंने उल्लेख किया कि थ्येनचिन शिखर सम्मेलन का एक मुख्य आकर्षण “एससीओ+” बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की वैश्विक शासन पहल रही, जिसमें सभी देशों से संप्रभु समानता बनाए रखने, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने, बहुपक्षवाद को मजबूत करने, जन-केंद्रित और कार्य-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने तथा एक अधिक न्यायसंगत और संतुलित वैश्विक शासन प्रणाली के निर्माण का आह्वान किया गया. इस पहल को सभी पक्षों ने गर्मजोशी से स्वीकार किया और सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.
रूस, किर्गिज़स्तान, बेलारूस, पाकिस्तान, ईरान, कंबोडिया, क्यूबा, वेनेज़ुएला और सर्बिया सहित कई देशों ने अपने वक्तव्यों में एससीओ थ्येनचिन शिखर सम्मेलन और चीन द्वारा किए गए कार्यों की उच्च प्रशंसा की.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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