Mumbai , 22 अगस्त . मशहूर फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने सोशल मीडिया पर महिला और पुरुष ऊर्जा के संतुलन पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती की पौराणिक कथा के माध्यम से इस संतुलन की महत्ता पर प्रकाश डाला है.
निर्देशक ने इंस्टाग्राम पर भगवान शिव और पार्वती की एक तस्वीर पोस्ट की और अपनी बात को एक प्रसिद्ध हिंदू पौराणिक कथा से शुरू करते हुए कैप्शन में लिखा, “एक बार भगवान शिव गहरी तपस्या में लीन हो गए थे. इस दौरान देवताओं को चिंता होने लगी कि शिव के तांडव के बिना तो ब्रहाांड स्थिर हो जाएगा. न ही नक्षत्र बनेंगे और न ही विस्फोट होंगे, न किसी का जन्म होगा और न ही मृत्यु. इसके बाद देवताओं ने माता पार्वती के पास जाकर उनसे भोलेनाथ को तपस्या से जागृता करने का अनुरोध किया. हालांकि, देवताओं को ये भी डर था कि अगर भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई, तो उनका क्रोध माता पार्वती को झेलना पड़ सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मां पार्वती ने शिव जी को जगाया और दोनों ने एक साथ नृत्य किया.”
निर्देशक ने इस कथा को एक प्रतीक के रूप में पेश करते हुए कहा कि यह कथा हमें सिखाती है कि हम सभी के अंदर पुरुष और नारी ऊर्जा मौजूद है. शिव और पार्वती हमारे भीतर नृत्य करते हैं. नारी ऊर्जा रचनात्मकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जबकि पुरुष ऊर्जा अहंकार और योद्धा भावना को दर्शाती है. इन दोनों का संतुलन होना बहुत जरूरी है ताकि हमारे जीवन में प्रेम, मृत्यु, रचनात्मकता और ज्ञान का उदय हो सके.
वर्तमान विश्व परिदृश्य की ओर इशारा करते हुए, शेखर ने कहा कि आज विश्व में बहुत अधिक पुरुष ऊर्जा हावी है, खासकर वैश्विक राजनीति और युद्ध के मैदानों में. उन्होंने यह भी कहा कि इस असंतुलन के कारण विश्व में संघर्ष बढ़ रहे हैं.
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एनएस/डीएससी
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