नई दिल्ली, 8 मई . उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली और पड़ोसी राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) में रिक्त पदों को न भरने पर कड़ी नाराजगी जताई. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों को अदालत के अगस्त 2024 के आदेश का पालन न करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया.
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में इन राज्यों को निर्देश दिया था कि वे 30 अप्रैल 2025 तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्त पदों को भरें. हालांकि, दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर के बावजूद दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) में 55 प्रतिशत पद खाली पाए गए, जिसे कोर्ट ने गंभीर चूक माना.
पीठ ने कहा, “दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए यह आश्चर्यजनक है कि डीपीसीसी लगभग निष्क्रिय है.” कोर्ट ने इसे पर्यावरण संरक्षण के प्रति लापरवाही करार दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि अगस्त 2025 तक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में खाली पदों को भरें और इसकी सूचना सुप्रीम कोर्ट को दें. नोटिस जारी करते हुए, शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को यह बताने का आदेश दिया कि अनुपालन नहीं करने के लिए उन्हें न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दंडित क्यों न किया जाए.
दिल्ली के मुख्य सचिव को 19 मई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है, जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को 18 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होने को कहा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार आदेशों की अनदेखी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की निष्क्रियता से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण की समस्या और गंभीर हो रही है. कोर्ट ने जोर दिया कि इन बोर्डों को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी और संसाधन आवश्यक हैं.
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि रिक्त पदों को जल्द भरने से प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने में मदद मिलेगी. मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट राज्यों की प्रगति की समीक्षा करेगा और अनुपालन न होने पर कठोर कदम उठा सकता है.
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एकेएस/एकेजे
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