Mumbai , 29 अक्टूबर . Actor हर्षवर्धन राणे अपनी नई फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ की सफलता का जश्न मना रहे हैं. इस बीच उन्होंने अपने शुरुआती संघर्षों को याद करते हुए बताया कि कैसे वे कभी रोजाना सिर्फ 10 रुपये और एक प्लेट छोले-चावल में गुजारा किया करते थे.
उन्होंने बताया कि उनके जीवन में बहुत कठिन दिन आए जब उन्होंने घर छोड़कर खुद को साबित करना शुरू किया.
से बात करते हुए हर्षवर्धन राणे ने कहा, ”घर छोड़ने के बाद सबसे पहली जरूरत होती है खाने की. खाने के लिए पैसे चाहिए, पैसे के लिए नौकरी चाहिए और नौकरी मिलना आसान नहीं होता. मैंने उस समय कई मुश्किलें देखीं.”
उन्होंने अपनी शुरुआत के दिनों की याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने छोटे-मोटे काम किए ताकि जीने के लिए पर्याप्त पैसे मिल सकें.
Actor ने को बताया, ”शुरुआत में किसी ने मुझे काम नहीं दिया. सबसे आसान काम जिसे कोई भी कर सकता था, वह था वेटर का काम. इसके लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं होती. बस टेबल पर खाना परोसना होता था. मैंने इस तरह की नौकरी की. मुझे सिर्फ प्रतिदिन 10 रुपये और एक प्लेट छोले-चावल मिलते थे. यह मेरी शुरुआती सैलरी थी और इस काम से मैंने खुद का जीवन चलाना शुरू किया.”
उन्होंने आगे बताया, ”इसके बाद मैंने साइबर कैफे में रजिस्टर संभालने का काम किया. मुझे यह काम जल्दी मिल जाता था क्योंकि मेरी हैंडराइटिंग अच्छी थी. एसटीडी बूथ और साइबर कैफे में मुझे रोजाना 10 से 20 रुपये मिलते थे. यह समय 2002 का था. दो साल बाद, 2004 में, मैं एक डिलीवरी बॉय बन गया. मुझे एक बाइक शोरूम से हेलमेट होटल तक पहुंचाने का काम मिला. जब मैं होटल पहुंचा, तो पता चला कि हेलमेट जॉन अब्राहम के लिए था.”
हर्षवर्धन ने उस पल को याद करते हुए कहा कि वह बहुत नर्वस और घबराए हुए थे. उन्हें डर था कि कहीं कोई गलती न हो जाए. जैसे ही उन्होंने हेलमेट जॉन को दिया, तो उन्होंने हर्षवर्धन को धन्यवाद कहा.
हर्षवर्धन ने कहा, “उस दिन मैंने महसूस किया कि अगर एक बड़ा स्टार भी एक डिलीवरी बॉय को धन्यवाद कह सकता है, तो इसमें इंसानियत की बड़ी सीख छिपी है. कुछ ऐसी थी मेरी जॉन अब्राहम से पहली मुलाकात.”
कई सालों बाद, हर्षवर्धन ने जॉन अब्राहम के प्रोड्यूसर बनने वाली फिल्म में अभिनय किया. उन्हें यह अनुभव बेहद खास लगा क्योंकि वही व्यक्ति, जिन्हें वे पहले हेलमेट दे रहे थे, अब उनके फिल्म प्रोजेक्ट में उनका मार्गदर्शन कर रहे थे.
हर्षवर्धन ने कहा कि आज भी जब वह जॉन को देखते हैं, तो वही भावना महसूस होती है, जैसे 20 साल पहले हेलमेट उनके हाथ में था और जॉन सामने खड़े थे.
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पीके/एएस
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