15 अगस्त 1947… भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय। वह रात जब देश ने औपनिवेशिक जंजीरों को तोड़कर नई सुबह का स्वागत किया। लेकिन इस तारीख के चयन के पीछे केवल राजनीतिक चर्चाएँ या प्रशासनिक औपचारिकताएँ ही नहीं थीं—इसमें ज्योतिषीय गणना का भी एक अनदेखा लेकिन अहम पहलू शामिल था। मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक नगर उज्जैन, जो प्राचीन काल से ज्योतिष और खगोल विद्या का प्रमुख केंद्र रहा है, इस ऐतिहासिक निर्णय में निर्णायक साबित हुआ। यहां के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्यनारायण व्यास ने ही भारत की आजादी का शुभ मुहूर्त तय किया था।
जब तारीख चुनने का सवाल उठा
1946 के उत्तरार्ध तक यह लगभग निश्चित हो गया था कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत से विदा लेने वाला है। जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बनने की तैयारी में थे और डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति पद संभालने वाले थे। लेकिन एक अहम सवाल बाकी था—आजादी किस दिन घोषित की जाए? अंग्रेजी हुकूमत ने दो संभावित तारीखें सुझाईं: 14 अगस्त या 15 अगस्त। राजनीतिक दृष्टि से दोनों ही संभव थीं, पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जो धार्मिक आस्था और पारंपरिक मान्यताओं में विश्वास रखते थे, ने तय किया कि यह फैसला ज्योतिष की सलाह से होगा।
दिल्ली बुलाए गए उज्जैन के विद्वान
राष्ट्रपति-निर्वाचित डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने विश्वस्त गोस्वामी गणेश दत्त महाराज के माध्यम से उज्जैन के विद्वान पंडित सूर्यनारायण व्यास को बुलावा भेजा। पंडित व्यास न केवल ज्योतिष के गहरे ज्ञाता थे, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी और लेखक भी थे। दिल्ली पहुंचते ही उनसे सीधा प्रश्न पूछा गया—इन दो तारीखों में से कौन-सी भारत के भविष्य के लिए अधिक शुभ होगी?
15 अगस्त के पक्ष में तर्क
पंडित व्यास ने पंचांग खोला, ग्रह-नक्षत्रों की सूक्ष्म गणना की और अपना निर्णय सुनाया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि 14 अगस्त की कुंडली में लग्न अस्थिर है, जो देश के लिए अस्थिरता का संकेत देता है। जबकि 15 अगस्त की मध्यरात्रि में स्थिर लग्न बन रहा है, जो राष्ट्र को दीर्घकालीन स्थिरता और लोकतंत्र में मजबूती प्रदान करेगा। इस गणना को मानते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 15 अगस्त को ही मुहूर्त घोषित कर दिया।
पाकिस्तान और भारत का अलग चयन
दिलचस्प तथ्य यह है कि कुछ अन्य ज्योतिषियों ने 15 अगस्त को अशुभ बताया था, जबकि व्यास जी ने इसके पक्ष में दृढ़ता से तर्क दिया। पाकिस्तान ने अपनी आजादी की तारीख 14 अगस्त चुन ली, लेकिन भारत ने पंडित व्यास के तय किए शुभ मुहूर्त को अपनाया। 14 और 15 अगस्त की आधी रात को संसद भवन को शुद्ध कर आजादी की घोषणा की गई।
उज्जैन में अब भी कायम परंपरा
यह घटना केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर नहीं रह गई है। उज्जैन के बड़ा गणेश मंदिर में आज भी स्वतंत्रता दिवस उसी तिथि-पंचांग के अनुसार मनाया जाता है, जैसा कि 1947 में श्रावण कृष्ण चतुर्दशी पर हुआ था। यह परंपरा हर वर्ष बिना रुके निभाई जाती है।
पंडित सूर्यनारायण व्यास—एक विलक्षण व्यक्तित्व
पंडित व्यास अपने समय के अत्यंत सम्मानित ज्योतिषाचार्य और लेखक थे। वे दोनों हाथों से एक साथ लिखने की अद्भुत क्षमता रखते थे और उनकी भविष्यवाणियां अक्सर सटीक सिद्ध होती थीं। 1930 में ही उन्होंने भविष्यवाणी कर दी थी कि भारत 1947 में स्वतंत्र होगा और डॉ. राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति बनेंगे—दोनों बातें सच साबित हुईं। देश के कई बड़े नेता उनकी ज्योतिषीय राय को गंभीरता से लेते थे।
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