जयपुर। महेश नगर स्थित श्री 1008 महावीर दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण महापर्व के अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस धार्मिक पर्व के तहत प्रतिदिन की तरह आज भी विशेष आयोजन हुए, जिनमें बच्चों ने अपनी प्रतिभा का मनमोहक प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में 18 बच्चों ने भावनृत्य प्रस्तुत किए, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति भाव से सराबोर कर दिया।
इस कार्यक्रम की संयोजक अंजू पाटौदी, रेशु जैन और सुरभि जैन ने बताया कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए नृत्यों ने दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में ईरिन जैन, अनया जैन, गवीस जैन, सुभिधि, अनिशा, अतीक्षा, स्वस्ति, लायना, तितिक्षा और नीतिशा ने विशेष रूप से भाग लिया। इनकी प्रस्तुतियों को समाज के लोगों ने सराहा और बच्चों के उत्साह की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
सांस्कृतिक संध्या में महिला मंडल की इंदु सेठी, कुसुम शाह, स्नेह सोगानी और तारा अजमेरा सहित समाज के प्रबुद्धजन डॉ. जितेश, संदीप, महेंद्र सेठी, महेंद्र सोगानी और सुरेंद्र सोगानी भी उपस्थित रहे। सभी ने बच्चों को प्रोत्साहित किया और उन्हें आगे भी इस प्रकार धार्मिक आयोजनों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
संयोजकों ने जानकारी दी कि दशलक्षण महापर्व के समापन अवसर पर अनंत चतुर्दशी के दिन इन सभी बच्चों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा।
दशलक्षण महापर्व का महत्व
जैन धर्म में दशलक्षण महापर्व को आत्मशुद्धि और आत्मसंयम का सर्वोच्च अवसर माना जाता है। यह पर्व दस धर्मलक्षणों—क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य—को जीवन में धारण करने का संदेश देता है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी से प्रारंभ होकर यह पर्व दस दिनों तक मनाया जाता है और अनंत चतुर्दशी के दिन इसका समापन होता है।
इन दिनों श्रद्धालु उपवास, स्वाध्याय, ध्यान और पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं। जैन समाज का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मानुशासन, सहिष्णुता और समाज में शांति स्थापित करने की प्रेरणा भी देता है।
महेश नगर जैन मंदिर में आयोजित इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम बच्चों और युवाओं में धार्मिक मूल्यों को स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनते हैं। भक्ति और संस्कृति से परिपूर्ण इस आयोजन ने समाज में उत्साह का नया संचार किया।
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