डायबिटीज वैश्विक स्तर पर एक बढ़ता खतरा है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर उसका सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इससे खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है और आपको डायबिटीज हो जाती है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 830 मिलियन लोगों को डायबिटीज है। अधिकतर लोग डायबिटीज के दो प्रकार से ही वाकिफ रहते हैं, टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। लेकिन क्या आपने कभी टाइप-5 डायबिटीज का नाम सुना है।
जी हां, कुपोषण से जुड़े मधुमेह का नाम टाइप-5 डायबिटीज रखा गया है और ये दशकों बाद दुनिया भर में अटेंशन पा रहा है। लगभग 75 साल पहले पहली बार इस बीमारी का जिक्र हुआ था, हालांकि तब इसे ठीक से नहीं समझा गया था। आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी और इसे सबसे पहले कब दर्ज किया गया।
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टाइप-5 डायबिटीज क्या है?

हाल ही में थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) की वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ डायबिटीज 2025 में कुपोषण से जुड़े मधुमेह को ‘टाइप-5 डायबिटीज’ के तौर पर नामित किया गया है। यह स्थिति युवा, कुपोषित वयस्कों में आम है। डॉक्टरों का अनुमान है कि दुनिया भर में अनुमानित 20-25 मिलियन लोग हैं, मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका में, इस बीमारी से पीड़ित हैं।
टाइप1या टाइप2डायबिटीजसे अलग होते हैं लक्षण
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर (सीएमसी) में एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और टाइप5टास्क फोर्स का नेतृत्व करने वालों में से डॉ. निहाल थॉमस ने कहा, "टाइप5डायबिटीजसे पीड़ित लोग आमतौर पर कम वजन वाले होते हैं,उनके परिवार मेंडायबिटीज कीकोई हिस्ट्री नहीं होती है और ऐसे लक्षण दिखते हैं जो टाइप1या टाइप2डायबिटीजसे मेल नहीं खाते हैं।"टाइप5आमतौर पर18.5किग्रा/एम2से कम बेहद कम बीएमआई वाले लोगों में देखा जाता है।
पहली बार कब पता चला था

‘टाइप-5 डायबिटीज’का पहली बार जिक्र सालों पहले किया गया था। इसका पहला मामला1955 में जमैका में सामने आया था। उस समय,कुपोषण से संबंधितडायबिटीजको जे-टाइपडायबिटीजके रूप में परिभाषित किया गया था। 1985 में,वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानीWHOने इसे अपने क्लासिफिकेशन में शामिल किया था,लेकिन फिर फॉलो-अप स्टडी और सहायक साक्ष्य की कमी के कारण 1999 में इसे हटा दिया।
न्यूयॉर्क स्थित'अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन'में प्रोफेसर मेरीडिथ हॉकिंस,कहती हैं,कुपोषण से संबंधितडायबिटीज’का ऐतिहासिक रूप से बहुत कम निदान किया गया है और इसे कम समझा गया है। डॉ. हॉकिंस और उनके सहयोगियों ने एक अध्ययन में यह साबित किया कि यह बीमारी टाइप-2 और टाइप-1 डायबिटीज से बिल्कुल अलग है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्षों से पता चला कि इस प्रकार कीडायबिटीजवाले लोगों में इंसुलिन स्रावित करने की क्षमता में गहरा दोष होता है,जिसे पहले पहचाना नहीं गया था। इस खोज ने इस स्थिति के बारे में हमारी सोच और हमें इसका इलाज कैसे करना चाहिए,इसमें क्रांति ला दी है।
टीबी और एचआईवी जितना आम
डॉ. हॉकिन्स के मुताबिक ,Malnutrition-related diabetes टीबी से अधिक आम है और लगभग एचआईवी/एड्स जितना ही आम है,लेकिन आधिकारिक नाम की कमी ने मरीजों का निदान करने या प्रभावी इलाज खोजने की कोशिशों में बाधा उत्पन्न की है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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