नोएडा: जहां हर साल प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से ओखला बर्ड सैक्चुरी गूंज उठती थी, वहीं इस बार यहां सिर्फ सन्नाटा पसरा है। सैंक्चुरी का एक बड़ा हिस्सा सूखकर बंजर में तब्दील हो चुका है, जिससे पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों में गहरा निराशा है। प्रवासी पक्षियों के आगमन के चरम पर वेटलैंड का यह बंजर नजारा किसी सदमे से कम नहीं है। पानी की घोर कमी ने पक्षियों के भोजन पर भी संकट खड़ा कर दिया है, नतीजतन वे यहां से मुंह मोड़कर दूसरे वेटलैंड्स का रुख कर रहे हैं।
वन रेंज अधिकारी अमित गुप्ता ने बताया कि उन्होंने सिंचाई विभाग को पानी छोड़ने के लिए दो बार पत्र लिखा, लेकिन उनकी गुहार अनसुनी कर दी गई। इस साल मानसून में यमुना में अप्रत्याशित बाढ़ के कारण ओखला बैराज की मरम्मत का काम गर्मियों के बजाय समय से पहले शुरू करना पड़ा। यही बैराज सैक्चुरी तक पानी पहुंचाने का मुख्य जरिया है। मरम्मत कार्य के चलते सैंक्चुरी तक पानी पहुंच ही नहीं सका और यह दलदली जमीन अब धूल फांक रही है।
पानी छोड़ने का आश्वासन दियाअमित गुप्ता ने बताया कि सिंचाई विभाग ने मरम्मत पूरी होते ही पानी छोड़ने का आश्वासन दिया है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। छठ पर्व के दौरान हिंडन नदी से आने वाला पानी भी अस्थायी रूप से रोक दिया गया था, जिससे रही-सही कसर भी पूरी हो गई और सैंक्चुरी का एक बड़ा हिस्सा सूख गया। हालांकि ठंड अभी पूरी तरह से नहीं आई है, फिर भी प्रवासी पक्षियों का आगमन बेहद सीमित है।
ये पक्षी नहीं आ रहेइस बार सैक्चुरी में टफ्टेड डक, नॉर्दर्न शोवेलर, यूरेशियन विगॉन, फेरुजिनस डक और बार-हेडेड गूस जैसी प्रमुख प्रवासी प्रजातिया दिखाई नहीं दी। यहां तक कि स्पॉट-बिल्ड डक और रेड-नेप्ड आइबिस जैसी स्थानीय प्रजातियां भी पानी की तलाश में आगे निकल गई हैं।
अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही पानी छोड़ा जाएगा, सैक्चुरी में पक्षियों की वापसी शुरू हो जाएगी। जो पक्षी आ भी रहे हैं, वे सूरजपुर और धनौरी जैसे अन्य वेटलैंड्स में अधिक दिखाई दे रहे है, जहा पानी की उपलब्धता बेहतर है।
वन रेंज अधिकारी अमित गुप्ता ने बताया कि उन्होंने सिंचाई विभाग को पानी छोड़ने के लिए दो बार पत्र लिखा, लेकिन उनकी गुहार अनसुनी कर दी गई। इस साल मानसून में यमुना में अप्रत्याशित बाढ़ के कारण ओखला बैराज की मरम्मत का काम गर्मियों के बजाय समय से पहले शुरू करना पड़ा। यही बैराज सैक्चुरी तक पानी पहुंचाने का मुख्य जरिया है। मरम्मत कार्य के चलते सैंक्चुरी तक पानी पहुंच ही नहीं सका और यह दलदली जमीन अब धूल फांक रही है।
पानी छोड़ने का आश्वासन दियाअमित गुप्ता ने बताया कि सिंचाई विभाग ने मरम्मत पूरी होते ही पानी छोड़ने का आश्वासन दिया है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। छठ पर्व के दौरान हिंडन नदी से आने वाला पानी भी अस्थायी रूप से रोक दिया गया था, जिससे रही-सही कसर भी पूरी हो गई और सैंक्चुरी का एक बड़ा हिस्सा सूख गया। हालांकि ठंड अभी पूरी तरह से नहीं आई है, फिर भी प्रवासी पक्षियों का आगमन बेहद सीमित है।
ये पक्षी नहीं आ रहेइस बार सैक्चुरी में टफ्टेड डक, नॉर्दर्न शोवेलर, यूरेशियन विगॉन, फेरुजिनस डक और बार-हेडेड गूस जैसी प्रमुख प्रवासी प्रजातिया दिखाई नहीं दी। यहां तक कि स्पॉट-बिल्ड डक और रेड-नेप्ड आइबिस जैसी स्थानीय प्रजातियां भी पानी की तलाश में आगे निकल गई हैं।
अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही पानी छोड़ा जाएगा, सैक्चुरी में पक्षियों की वापसी शुरू हो जाएगी। जो पक्षी आ भी रहे हैं, वे सूरजपुर और धनौरी जैसे अन्य वेटलैंड्स में अधिक दिखाई दे रहे है, जहा पानी की उपलब्धता बेहतर है।
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