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एक्ट्रेस कंगना रनौत के मामले में हुई दोनों पक्षों की ओर से जोरदार बहस, 6 मई को अदालत सुनाएगी फैसला

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सुनील साकेत, आगरा: फिल्म अभिनेत्री बीजेपी सांसद कंगना रनौत के मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। उनके खिलाफ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने कोर्ट में वाद दाखिल किया था। उन पर किसानों और महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के आरोप लगाए थे। कंगना रनौत की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अनसुइया चौधरी पैरवी करने पहुंची थीं। 9 महीने पूर्व दाखिल किए गए इस केस में पहली बार दोनों पक्षों की ओर से अदालत में बहस हुई। स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए अनुज कुमार सिंह की कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। कोर्ट ने कहा कि 6 मई 2025 को इस मामले में आदेश जारी होगा।राजीव गांधी एसोशिएशन बार के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने 11 सितंबर 2024 को फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ आगरा कोर्ट वाद दाखिल किया था। अधिवक्ता ने कहा कि कंगना ने किसानों को बलात्कारी, हत्यारा और अलगाववादी बताया साथ महात्मा गांधी के अहिंसावादी सिद्यांतों का अपमान करके 1947 में मिली आजादी को भीख में मिली बताया था। अधिवक्ता ने कंगना रनौत के खिलाफ स्पेशल एमपी/एमएलए अनुज कुमार सिंह की कोर्ट में राष्ट्रद्रोह और अपमान की धाराओं में वाद प्रस्तुत किया था। इस केस में गुरुवार को पहली बार दोनों पक्षों की ओर से बहस हुई थी। डेढ़ घंटे चली बहसवादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने बताया कि स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए अनुज कुमार सिंह की कोर्ट में दोपहर 2:30 बजे से 4 बजे तक दोनों पक्षों की ओर से जोरदार बहस हुई। कंगना की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अनसूईया चौधरी ने कोर्ट में कहा कि अखबारों में न्यूज चैनलों में जो भी समाचार छपे हैं। वह कंगना द्वारा नहीं दिए गए है। कंगना ने न्यूज एजेंसी और अखबारों में छपा हुआ पढ़ा, वहीं बोला था। छपी खबर पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।इस पर वादी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने कहा कि अगर विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध अखबारों और न्यूज चैनलों के आधार पर एफआईआर की जा सकती है। या कोर्ट तलब कर सकता है। तो फिर कंगना रनौत के खिलाफ क्यों नहीं कर सकता? 6 मई को कोर्ट करेगी आदेशवादी अधिवक्ता ने कहा कि कंगना के महात्मा गांधी को लेकर दिए गए विवादित बयान और इंस्टाग्राम पर पोस्ट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं भाजपा अन्य नेताओं ने उनकी निंदा की थी। इसके अलावा इतिहासकारों एवं साहित्यकारों ने उनसे अपने पद्मश्री वापस करने की तक की मांग कर डाली थी। अनसूईया ने कहा कि आजादी की बात उन्होंने बीजेपी के मेनिफेस्टो में लिखी गई बात पर की थी।शहीदों के शहादत के बारे में कुछ नहीं बोला था। दोनों पक्षों की ओर से करीब डेढ़ घंटे तक बहस हुई। दोनों ओर की दलीलें सुनने के बाद स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए अनुज कुमार सिंह ने 6 मई 2025 को अपना निर्णय सुनाने का आदेश दिया है। वादी पक्ष की ओर से दुर्ग विजय सिंह भईया, सुरेंद्र लाखन, रामदत्त दिवाकर, सुमंंत चतुर्वेदी, राममोहन शर्मा समेत तीन दर्जन अधिवक्ताओं ने प्रतिभाग किया।
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