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Bihar Chunav 2025: बिहार में अब NDA के वादों को लेकर जिज्ञासा, शुक्रवार को जारी होगा संयुक्त घोषणा पत्र

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 31 अक्टूबर को अपना संयुक्त घोषणापत्र जारी करेगा। इस मौके पर गठबंधन के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। बिहार में चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने हैं और नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे। विपक्षी दलों का महागठबंधन अपना घोषणापत्र 'बिहार का तेजस्वी प्रण' जारी कर चुका है, जिसमें कई लोकलुभावन वादे किए गए हैं।

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन का घोषणा पत्र आने के बाद राज्य के लोगों में एनडीए के घोषणा पत्र के प्रति जिज्ञासा बढ़ गई है। वैसे तो जेडीयू के प्रमुख और बिहार की एनडीए सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने पिछले कुछ माहों में राज्य के लोगों को लुभाने वाली कई घोषणाएं की हैं और कई योजनाएं लागू कर दी हैं, लेकिन अब जिज्ञासा इसको लेकर है कि चुनावी घोषणा में एनडीए और कौन-कौन से वादे करने जा रहा है।

विपक्षी दलों के महागठबंधन का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) कर रहा है। इसमें कांग्रेस, सीपीआई-एमएल, सीपीआई, सीपीएम और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं। सत्ता पक्ष, यानी एनडीए में बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल हैं।

महागठबंधन का नौकरी का लुभावना वादा महागठबंधन ने अपने घोषणापत्र में सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। यह एक बड़ा वादा है जो युवाओं को आकर्षित कर सकता है। इसके अलावा 'माई-बहिन सम्मान योजना' के तहत महिलाओं को 1 दिसंबर से अगले पांच वर्षों तक हर महीने 2,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

महागठबंधन ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने का भी वादा किया है। यह कांग्रेस के एजेंडे में शामिल रहा है और हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सत्ता में आते ही ओपीएस को बहाल कर दिया था। कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए भी इसे अपने घोषणापत्र में शामिल किया था।

कांग्रेस-आरजेडी की अल्पसंख्यक वोटरों पर नजर घोषणापत्र में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को होल्ड पर रखने और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को कल्याण-उन्मुख और पारदर्शी बनाने का भी वादा किया गया है। यह अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया था और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी थी। धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए एक और महत्वपूर्ण वादे में बोधगया में स्थित बौद्ध मंदिरों के प्रबंधन को बौद्ध समुदाय को सौंपना शामिल है। यह कदम धार्मिक स्थलों के प्रबंधन में स्थानीय समुदायों को अधिक अधिकार देने की दिशा में एक पहल है।

चुनाव वादों में पंचायत और नगर निकायों में अति पिछड़ी जातियों (ईबीसी) के लिए वर्तमान 20 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव है। अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए यह सीमा 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत की जाएगी, और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए भी आरक्षण में आनुपातिक वृद्धि सुनिश्चित की जाएगी। यह वादा पिछड़े और दलित समुदायों को लुभाने का प्रयास है।

मुफ्त बिजली और किसानों से एमएसपी का वादा घोषणापत्र के अनुसार, हर परिवार को हर महीने 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी। यह बिजली की बढ़ती कीमतों के दौर में एक राहत भरा वादा है। किसानों के लिए, सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी दी गई है। मंडी और बाजार समितियों को पुनर्जीवित किया जाएगा और मंडियां डिवीजनल, सबडिवीजनल और ब्लॉक स्तर पर खोली जाएंगी। एपीएमसी अधिनियम को फिर से लागू किया जाएगा। यह किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और कृषि बाजार को मजबूत करने का वादा है।

गठबंधन ने यह भी वादा किया है कि 'जन स्वास्थ्य सुरक्षा योजना' के तहत हर व्यक्ति को 25 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। यह स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को बेहतर बनाने और लोगों को महंगे इलाज के बोझ से बचाने का एक बड़ा कदम हो सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होंगे। अलग-अलग राज्यों में आठ सीटों पर उपचुनाव भी 11 नवंबर को होंगे। नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
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