खंडवा: कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक मुस्लिम युवक ने इस्लाम धर्म त्याग कर सनातन धर्म अपना लिया है। जिले के महादेव गढ़ मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद वह सनातन धर्म में प्रवेश किया है।
दरअसल, अनीश नाम के मुस्लिम युवक ने बताया कि बचपन से ही भागवत कथाओं में भगवान कृष्ण के चरित्र, उनकी मित्रता, त्याग और करुणा से जुड़े प्रसंगों को सुनता था। इन कथाओं ने उसके मन पर गहरा प्रभाव डाला। विशेषकर भगवान कृष्ण के बचपन की लीलाएं और गीता के उपदेश उसे जीवन की सच्चाई के करीब ले जाते रहे।
नया नाम रखा गया-कृष्णा
धीरे-धीरे उसमें कृष्ण भक्ति की गहरी आस्था उत्पन्न हुई और उसने निर्णय लिया कि वह भी अपनी शेष जीवन यात्रा श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में गुजारेगा। इसी कारण उसने जन्माष्टमी जैसे पावन दिन को अपने धर्म परिवर्तन का शुभ अवसर चुना। धर्म परिवर्तन का विधि विधान पूरा होने के बाद अनीश का नामकरण संस्कार भी हुआ और उसका नया नाम रखा गया– कृष्णा। मंदिर परिसर में पुष्प वर्षा कर युवक का भव्य स्वागत किया गया।
मुस्लिम कवियों से प्रेरित था अनीश
महादेव गढ़ मंदिर के संचालक अशोक पालीवाल ने बताया कि अनीश रसखान और अन्य मुस्लिम कवियों के कृष्ण भक्ति से प्रभावित था। रसखान जैसे कवियों ने अपने साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके आध्यात्मिक स्वरूप का अद्भुत वर्णन किया है। इन्हीं साहित्यिक रचनाओं से प्रभावित होकर अनीश के मन में भी भक्ति का भाव जागृत हुआ और उसने दृढ़ निश्चय किया कि वह कृष्ण की राह पर चलेगा।
दरअसल, अनीश नाम के मुस्लिम युवक ने बताया कि बचपन से ही भागवत कथाओं में भगवान कृष्ण के चरित्र, उनकी मित्रता, त्याग और करुणा से जुड़े प्रसंगों को सुनता था। इन कथाओं ने उसके मन पर गहरा प्रभाव डाला। विशेषकर भगवान कृष्ण के बचपन की लीलाएं और गीता के उपदेश उसे जीवन की सच्चाई के करीब ले जाते रहे।
नया नाम रखा गया-कृष्णा
धीरे-धीरे उसमें कृष्ण भक्ति की गहरी आस्था उत्पन्न हुई और उसने निर्णय लिया कि वह भी अपनी शेष जीवन यात्रा श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में गुजारेगा। इसी कारण उसने जन्माष्टमी जैसे पावन दिन को अपने धर्म परिवर्तन का शुभ अवसर चुना। धर्म परिवर्तन का विधि विधान पूरा होने के बाद अनीश का नामकरण संस्कार भी हुआ और उसका नया नाम रखा गया– कृष्णा। मंदिर परिसर में पुष्प वर्षा कर युवक का भव्य स्वागत किया गया।
मुस्लिम कवियों से प्रेरित था अनीश
महादेव गढ़ मंदिर के संचालक अशोक पालीवाल ने बताया कि अनीश रसखान और अन्य मुस्लिम कवियों के कृष्ण भक्ति से प्रभावित था। रसखान जैसे कवियों ने अपने साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके आध्यात्मिक स्वरूप का अद्भुत वर्णन किया है। इन्हीं साहित्यिक रचनाओं से प्रभावित होकर अनीश के मन में भी भक्ति का भाव जागृत हुआ और उसने दृढ़ निश्चय किया कि वह कृष्ण की राह पर चलेगा।
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