सुनील सोनकर, मसूरी: लंबे समय की सुस्ती के बाद एक बार फिर पहाड़ों की रानी मसूरी अपने असली रंग में लौट आई है। अक्टूबर की गुलाबी ठंड और सुहावने मौसम ने देश-विदेश के पर्यटकों को इस हिल स्टेशन की ओर खींच लाया है। छुट्टियों के सीजन में यहां की सड़कों पर रौनक लौट आई है। माल रोड पर शाम ढलते ही सैलानियों की चहल-पहल, चाय और कॉफी की खुशबू, और कैमरे की फ्लैश के साथ मसूरी फिर से मुस्कुरा उठी है।
स्थानीय होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल बताते हैं। पिछले कई हफ्तों से होटल खाली पड़े थे। अब हालात ऐसे हैं कि बुकिंग मिलना मुश्किल हो गया है। अक्टूबर के दूसरे हफ्ते से ही ऑक्यूपेंसी 90 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उन्होने बताया कि पर्यटन ही मसूरी की जीवनरेखा है और सैलानियों की वापसी ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भर दी है। मसूरी टैक्सी यूनियन के महामंत्री राकेश कुठाल के मुताबिक अब दिनभर गाड़ियां बुक रहती हैं। सुबह से रात तक यात्रियों को घूमाने का सिलसिला जारी है। दो महीने की मंदी के बाद अब आमदनी दोगुनी हो गई है। वहीं माल रोड के फोटोग्राफर, रिक्षा चालक और पटरी दुकानदार भी खुश हैं। उनके मुताबिक, सैलानियों की भीड़ ने फिर से बाजारों में जान डाल दी है।
दिल्ली से आए पर्यटक राजीव मल्होत्रा कहते हैं, “मसूरी की ठंडी हवाएं चेहरे को छू जाएं तो सारी थकान मिट जाती है। यहां का मौसम और नजारे किसी जादू से कम नहीं। वहीं लखनऊ से आईं नीति गुप्ता का कहना है, “कैंपटी फॉल और कंपनी गार्डन की खूबसूरती देख कर दिल खुश हो गया। माल रोड की शामें यादगार हैं। कैंपटी फॉल, कंपनी गार्डन, गन हिल, झड़ीपानी और लाल टिब्बा जैसे प्रसिद्ध स्थल इन दिनों सैलानियों से खचाखच भरे हैं। कई विदेशी सैलानी भी यहां पहुंचकर पहाड़ी संस्कृति और स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं।
सैलानियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी मोर्चा संभाल लिया है। नगर पालिका की टीम लगातार सफाई और सार्वजनिक सुविधाओं पर नजर रखे हुए है। वहीं ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रखने के लिए पुलिस का अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि मसूरी की अर्थव्यवस्था काफी हद तक सैलानियों पर निर्भर है। गर्मियों के बाद बारिश के मौसम में आई सुस्ती अब पूरी तरह खत्म होती दिख रही है। अब हर कोई उम्मीद जता रहा है कि यह रौनक नवंबर तक बनी रहे।
स्थानीय होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल बताते हैं। पिछले कई हफ्तों से होटल खाली पड़े थे। अब हालात ऐसे हैं कि बुकिंग मिलना मुश्किल हो गया है। अक्टूबर के दूसरे हफ्ते से ही ऑक्यूपेंसी 90 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उन्होने बताया कि पर्यटन ही मसूरी की जीवनरेखा है और सैलानियों की वापसी ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भर दी है। मसूरी टैक्सी यूनियन के महामंत्री राकेश कुठाल के मुताबिक अब दिनभर गाड़ियां बुक रहती हैं। सुबह से रात तक यात्रियों को घूमाने का सिलसिला जारी है। दो महीने की मंदी के बाद अब आमदनी दोगुनी हो गई है। वहीं माल रोड के फोटोग्राफर, रिक्षा चालक और पटरी दुकानदार भी खुश हैं। उनके मुताबिक, सैलानियों की भीड़ ने फिर से बाजारों में जान डाल दी है।
दिल्ली से आए पर्यटक राजीव मल्होत्रा कहते हैं, “मसूरी की ठंडी हवाएं चेहरे को छू जाएं तो सारी थकान मिट जाती है। यहां का मौसम और नजारे किसी जादू से कम नहीं। वहीं लखनऊ से आईं नीति गुप्ता का कहना है, “कैंपटी फॉल और कंपनी गार्डन की खूबसूरती देख कर दिल खुश हो गया। माल रोड की शामें यादगार हैं। कैंपटी फॉल, कंपनी गार्डन, गन हिल, झड़ीपानी और लाल टिब्बा जैसे प्रसिद्ध स्थल इन दिनों सैलानियों से खचाखच भरे हैं। कई विदेशी सैलानी भी यहां पहुंचकर पहाड़ी संस्कृति और स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं।
सैलानियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी मोर्चा संभाल लिया है। नगर पालिका की टीम लगातार सफाई और सार्वजनिक सुविधाओं पर नजर रखे हुए है। वहीं ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रखने के लिए पुलिस का अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि मसूरी की अर्थव्यवस्था काफी हद तक सैलानियों पर निर्भर है। गर्मियों के बाद बारिश के मौसम में आई सुस्ती अब पूरी तरह खत्म होती दिख रही है। अब हर कोई उम्मीद जता रहा है कि यह रौनक नवंबर तक बनी रहे।
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