रांचीः झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने इस खबर को सच बताया है।1990 बैच आईपीएस अधिकारी को सेवानिवृत्ति के बाद डीजीपी बनाए जाने के फैसले को कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी।
नियुक्ति पर विवाद और कानूनी चुनौती
भाजपा नेता और झारखंड में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने उनकी नियुक्ति को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दायर अवमानना याचिका स्वीकृत नहीं की जा सकती है।
केंद्र सरकार ने इस नियुक्ति को लेकर लगातार तीन बार राज्य सरकार को पत्र लिखकर इसे नियम विरुद्ध करार दिया था। उन्हें आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति से संबंधित यूपीएससी की बैठक में भी आमंत्रित नहीं किया गया था, जो केंद्र के असंतोष को दर्शाता था।
पद को लेकर बढ़ा असमंजस
डीजीपी अनुराग गुप्ता की भूमिका पर झारखंड के डीएसपी रैंक के अधिकारियों के प्रमोशन से संबंधित एक मामले में भी सवाल उठे थे। बताया जाता है कि केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने अनुराग गुप्ता के कार्यकाल विस्तार की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण कुछ प्रमोशन मामलों पर फैसला टाल दिया था। इन तमाम घटनाक्रमों ने उनके पद पर बने रहने को लेकर असमंजस की स्थिति को गहरा दिया था। सूत्रों का मानना है कि केंद्र की मंजूरी के बिना उनका पद पर बने रहना मुश्किल था, जिसके चलते उन्होंने इस्तीफा देना ही उचित समझा।
कौन हैं डीजीपी अनुराग गुप्ता
अनुराग गुप्ता भारतीय पुलिस सेवा में 1990 बैच के अधिकारी हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री हासिल करने वाले अनुराग गुप्ता पहली बार 26 जुलाई 2024 को प्रभारी डीजीपी नियुक्त हुए। बाद में फरवरी 2025 में उन्हें नियमित डीजीपी बनाया गया। इससे पहले अनुराग गुप्ता सीआईडी के डीजी, एंटी करप्शन ब्यूरो के डीजी और डीजी ट्रेनिंग के रूप में भी काम कर चुके हैं। अनुराग गुप्ता रांची के एसएसपी के अलावा गढ़वा, गिरिडीह, और हजारीबाग के एसपी के रूप में भी काम कर चुके हैं। जबकि बोकारो रेंज के डीआईजी पद की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
नियुक्ति पर विवाद और कानूनी चुनौती
भाजपा नेता और झारखंड में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने उनकी नियुक्ति को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दायर अवमानना याचिका स्वीकृत नहीं की जा सकती है।
केंद्र सरकार ने इस नियुक्ति को लेकर लगातार तीन बार राज्य सरकार को पत्र लिखकर इसे नियम विरुद्ध करार दिया था। उन्हें आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति से संबंधित यूपीएससी की बैठक में भी आमंत्रित नहीं किया गया था, जो केंद्र के असंतोष को दर्शाता था।
पद को लेकर बढ़ा असमंजस
डीजीपी अनुराग गुप्ता की भूमिका पर झारखंड के डीएसपी रैंक के अधिकारियों के प्रमोशन से संबंधित एक मामले में भी सवाल उठे थे। बताया जाता है कि केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने अनुराग गुप्ता के कार्यकाल विस्तार की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण कुछ प्रमोशन मामलों पर फैसला टाल दिया था। इन तमाम घटनाक्रमों ने उनके पद पर बने रहने को लेकर असमंजस की स्थिति को गहरा दिया था। सूत्रों का मानना है कि केंद्र की मंजूरी के बिना उनका पद पर बने रहना मुश्किल था, जिसके चलते उन्होंने इस्तीफा देना ही उचित समझा।
कौन हैं डीजीपी अनुराग गुप्ता
अनुराग गुप्ता भारतीय पुलिस सेवा में 1990 बैच के अधिकारी हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री हासिल करने वाले अनुराग गुप्ता पहली बार 26 जुलाई 2024 को प्रभारी डीजीपी नियुक्त हुए। बाद में फरवरी 2025 में उन्हें नियमित डीजीपी बनाया गया। इससे पहले अनुराग गुप्ता सीआईडी के डीजी, एंटी करप्शन ब्यूरो के डीजी और डीजी ट्रेनिंग के रूप में भी काम कर चुके हैं। अनुराग गुप्ता रांची के एसएसपी के अलावा गढ़वा, गिरिडीह, और हजारीबाग के एसपी के रूप में भी काम कर चुके हैं। जबकि बोकारो रेंज के डीआईजी पद की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
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