कोच्चि : अगर आपका बच्चा भी हर समय मोबाइल यूज करता है तो आपके लिए अलार्मिंग है। बच्चे मोबाइल पर क्या सर्च कर रहे हैं और क्या देख रहे हैं, उस पर नजर रखें। कहीं ऐसा न हो कि आपका बच्चा मुसीबत में फंस जाए। ऐसा ही एक मामला केरल में सामने आया है। केरल में एक 16 साल का पड़ता ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स के चक्कर में पड़ गया। वह डेटिंड ऐप में मिली लड़की से मिलने गया लेकिन उसके साथ जो हुआ वह रोंगटे खड़ा कर देनेवाला है।
16 साल के लड़के के साथ 14 लोगों को गलत हरकत की। किशोर का आप्राकृतिक यौन शोषण किया गया। ये सारे लोग गे कम्युनिटी से जुड़े थे। उन्होंने लड़के के यौन शोषण का वीडियो बनाया और उसे ब्लैकमेल करना शुरू किया।
कई बार हुआ उत्पीड़नजब लड़के की मां को पता चला तब तक देर हो चुकी थी। लड़के ने काफी रुपये आरोपियों को दिए और कई बार उनकी गलत हरकत का शिकार बना। जब मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि लड़का 14 साल की उम्र से डेटिंग ऐप का यूज कर रहा ता। उसने यहां फर्जी नाम से प्रोफाइल बनाई थी। दुर्भाग्य से, पुलिस के लिए इस तरह की हिंसक घटना कोई दुर्लभ घटना नहीं है। उनकी रिपोर्ट है कि इस तरह के अपराध तेज़ी से आम होते जा रहे हैं।
डिजिटल डी एडिक्शन प्रोग्राम में हुआ खुलासापुलिस का कहना है कि यह उनके डिजिटल डि-एडिक्शन (डी-डैड) कार्यक्रम के दौरान नियमित रूप से सामने आने वाले पैटर्न के अंतर्गत आता है। यह एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य ऑनलाइन गेम, सोशल मीडिया और पोर्नोग्राफ़ी की लत में फंसे बच्चों की पहचान करना और उनका पुनर्वास करना है। 2023 में शुरू की गई डी-डीएडी परियोजना देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है।
केरल में 6 सेंटरकेरल में अभी इसके अंतर्गत छह केंद्र संचालित हैं- तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर, कोझिकोड और कन्नूर में। अभिभावकों, स्कूलों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिलने के बाद, पुलिस अब 2025-26 वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले इस पहल का विस्तार पथानामथिट्टा, अलप्पुझा, कोट्टायम, पलक्कड़, मलप्पुरम, वायनाड, इडुक्की और कासरगोड तक करने की योजना बना रही है।
आंकड़े चौंका देंगेआधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 और जुलाई 2025 के बीच, डी-डैड केंद्रों ने डिजिटल लत के 1992 मामलों को संभाला। इनमें से 571 मामले ऐसे बच्चों के थे जो विशेष रूप से ऑनलाइन गेम के आदी थे। एर्नाकुलम में स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) परियोजना के नोडल अधिकारी और जिले के डी-डैड केंद्र के समन्वयक, सूरज कुमार एम बी ने कहा कि इस पहल ने सैकड़ों बच्चों के लिए समय पर हस्तक्षेप प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि हम जो रुझान देख रहे हैं वह यह है कि लड़के ज़्यादातर ऑनलाइन गेम के आदी हैं जबकि लड़कियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ओर ज़्यादा आकर्षित होती हैं। हमारे परामर्शदाता इन आदतों से उबरने के व्यावहारिक तरीके सुझाते हैं और इस प्रक्रिया में माता-पिता को भी शामिल करते हैं।
सूरज के अनुसार, इस परियोजना की एक बड़ी सफलता माता-पिता के नज़रिए को बदलना रही है। पहले, कई परिवार शराब या नशीली दवाओं के विपरीत, मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लत मानने से इनकार करते थे। अब, ज़्यादा मामले सामने आने के साथ, माता-पिता समझ रहे हैं कि डिजिटल लत वास्तविक है-और वे चाहते हैं कि उनके बच्चे इससे बाहर आएं।
16 साल के लड़के के साथ 14 लोगों को गलत हरकत की। किशोर का आप्राकृतिक यौन शोषण किया गया। ये सारे लोग गे कम्युनिटी से जुड़े थे। उन्होंने लड़के के यौन शोषण का वीडियो बनाया और उसे ब्लैकमेल करना शुरू किया।
कई बार हुआ उत्पीड़नजब लड़के की मां को पता चला तब तक देर हो चुकी थी। लड़के ने काफी रुपये आरोपियों को दिए और कई बार उनकी गलत हरकत का शिकार बना। जब मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि लड़का 14 साल की उम्र से डेटिंग ऐप का यूज कर रहा ता। उसने यहां फर्जी नाम से प्रोफाइल बनाई थी। दुर्भाग्य से, पुलिस के लिए इस तरह की हिंसक घटना कोई दुर्लभ घटना नहीं है। उनकी रिपोर्ट है कि इस तरह के अपराध तेज़ी से आम होते जा रहे हैं।
डिजिटल डी एडिक्शन प्रोग्राम में हुआ खुलासापुलिस का कहना है कि यह उनके डिजिटल डि-एडिक्शन (डी-डैड) कार्यक्रम के दौरान नियमित रूप से सामने आने वाले पैटर्न के अंतर्गत आता है। यह एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य ऑनलाइन गेम, सोशल मीडिया और पोर्नोग्राफ़ी की लत में फंसे बच्चों की पहचान करना और उनका पुनर्वास करना है। 2023 में शुरू की गई डी-डीएडी परियोजना देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है।
केरल में 6 सेंटरकेरल में अभी इसके अंतर्गत छह केंद्र संचालित हैं- तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर, कोझिकोड और कन्नूर में। अभिभावकों, स्कूलों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिलने के बाद, पुलिस अब 2025-26 वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले इस पहल का विस्तार पथानामथिट्टा, अलप्पुझा, कोट्टायम, पलक्कड़, मलप्पुरम, वायनाड, इडुक्की और कासरगोड तक करने की योजना बना रही है।
आंकड़े चौंका देंगेआधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 और जुलाई 2025 के बीच, डी-डैड केंद्रों ने डिजिटल लत के 1992 मामलों को संभाला। इनमें से 571 मामले ऐसे बच्चों के थे जो विशेष रूप से ऑनलाइन गेम के आदी थे। एर्नाकुलम में स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) परियोजना के नोडल अधिकारी और जिले के डी-डैड केंद्र के समन्वयक, सूरज कुमार एम बी ने कहा कि इस पहल ने सैकड़ों बच्चों के लिए समय पर हस्तक्षेप प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि हम जो रुझान देख रहे हैं वह यह है कि लड़के ज़्यादातर ऑनलाइन गेम के आदी हैं जबकि लड़कियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ओर ज़्यादा आकर्षित होती हैं। हमारे परामर्शदाता इन आदतों से उबरने के व्यावहारिक तरीके सुझाते हैं और इस प्रक्रिया में माता-पिता को भी शामिल करते हैं।
सूरज के अनुसार, इस परियोजना की एक बड़ी सफलता माता-पिता के नज़रिए को बदलना रही है। पहले, कई परिवार शराब या नशीली दवाओं के विपरीत, मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लत मानने से इनकार करते थे। अब, ज़्यादा मामले सामने आने के साथ, माता-पिता समझ रहे हैं कि डिजिटल लत वास्तविक है-और वे चाहते हैं कि उनके बच्चे इससे बाहर आएं।
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