नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की बधाई दी है। साथ ही उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के लिए लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की है। साथ ही पीएम ने बीजेपी वरिष्ठ नेता को महान दृष्टिकोण वाला राजनेता बताया है।
पीएम मोदी ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा, लाल कृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। एक दूरदर्शी और महान बुद्धिमत्ता से संपन्न राजनेता के रूप में उन्होंने अपना जीवन भारत की प्रगति को सशक्त करने के लिए समर्पित किया है। वे निस्वार्थ सेवा और अटूट सिद्धांतों की भावना के प्रतीक हैं। उनके योगदानों ने भारत के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। भगवान उन्हें अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद दें।'
महज 14 वर्ष की उम्र में RSS में हुए शामिल
8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी का बचपन देश के विभाजन की त्रासदी से जुड़ा है। विभाजन के समय आडवाणी ने भी दिल्ली का रुख किया। सेंट पैट्रिक स्कूल, कराची और बाद में बॉम्बे लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने वाले आडवाणी किशोर अवस्था में ही राष्ट्रसेवा से जुड़ गए थे। महज 14 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए।
1950 के दशक में वे जनसंघ से जुड़े और धीरे-धीरे संगठन के प्रमुख स्तंभ बन गए। 1970 में वे राज्यसभा पहुंचे और 1973 में जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। आपातकाल के दौरान 1975 में वे बेंगलुरु जेल में महीनों तक कैद रहे।
1977 में बने थे सूचना एवं प्रसारण मंत्री
1977 में जनता पार्टी सरकार बनने पर आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ, तब वे इसके संस्थापक सदस्य बने। 1986 से 1998 तक अध्यक्ष रहे। उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने 1984 के मात्र 2 सीटों से 1989 में 86 सीटों, और 1996 में 161 सीटों तक का चमत्कारी सफर तय किया।
उनकी राम रथ यात्रा (1990) ने भाजपा को जनआंदोलन की पार्टी बना दिया और भारतीय राजनीति में वैचारिक विमर्श को नई दिशा दी। बाद में स्वर्ण जयंती रथ यात्रा (1997) से उन्होंने स्वतंत्रता के 50 वर्षों के राष्ट्रीय उत्सव को जनता तक पहुंचाया।
1999 से 2004 तक वे गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल के प्रमुख स्तंभ रहे। इस अवधि में भारत की आंतरिक सुरक्षा और वैश्विक छवि को सुदृढ़ करने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही।
पीएम मोदी ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा, लाल कृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। एक दूरदर्शी और महान बुद्धिमत्ता से संपन्न राजनेता के रूप में उन्होंने अपना जीवन भारत की प्रगति को सशक्त करने के लिए समर्पित किया है। वे निस्वार्थ सेवा और अटूट सिद्धांतों की भावना के प्रतीक हैं। उनके योगदानों ने भारत के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। भगवान उन्हें अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद दें।'
महज 14 वर्ष की उम्र में RSS में हुए शामिल
8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी का बचपन देश के विभाजन की त्रासदी से जुड़ा है। विभाजन के समय आडवाणी ने भी दिल्ली का रुख किया। सेंट पैट्रिक स्कूल, कराची और बाद में बॉम्बे लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने वाले आडवाणी किशोर अवस्था में ही राष्ट्रसेवा से जुड़ गए थे। महज 14 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए।
1950 के दशक में वे जनसंघ से जुड़े और धीरे-धीरे संगठन के प्रमुख स्तंभ बन गए। 1970 में वे राज्यसभा पहुंचे और 1973 में जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। आपातकाल के दौरान 1975 में वे बेंगलुरु जेल में महीनों तक कैद रहे।
1977 में बने थे सूचना एवं प्रसारण मंत्री
1977 में जनता पार्टी सरकार बनने पर आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ, तब वे इसके संस्थापक सदस्य बने। 1986 से 1998 तक अध्यक्ष रहे। उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने 1984 के मात्र 2 सीटों से 1989 में 86 सीटों, और 1996 में 161 सीटों तक का चमत्कारी सफर तय किया।
उनकी राम रथ यात्रा (1990) ने भाजपा को जनआंदोलन की पार्टी बना दिया और भारतीय राजनीति में वैचारिक विमर्श को नई दिशा दी। बाद में स्वर्ण जयंती रथ यात्रा (1997) से उन्होंने स्वतंत्रता के 50 वर्षों के राष्ट्रीय उत्सव को जनता तक पहुंचाया।
1999 से 2004 तक वे गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल के प्रमुख स्तंभ रहे। इस अवधि में भारत की आंतरिक सुरक्षा और वैश्विक छवि को सुदृढ़ करने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही।
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