नई दिल्ली : दिल्ली की लालकिला रेड लाइट पर सोमवार शाम को हुए कार धमाके के पैटर्न को देखते हुए इसकी जांच पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की तरफ जाती लग रही है। जिसने 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों पर और 13 दिसंबर, 2001 को लश्कर-ए-तैबा के साथ मिलकर भारतीय संसद पर फिदायीन हमला किया था।
प्रेशर फिदायीन हमला मान रही एजेंसियां
एजेंसियों के सूत्र लालकिला ब्लास्ट को भी प्रेशर फिदायीन हमला मान रहे हैं। जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा फरीदाबाद में तीन हजार किलो विस्फोटक और आठ आरोपियों को पकड़ने के बाद दिल्ली में जानबूझकर लालकिला के सामने यह धमाका किया गया।
जांच एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती
जांच एजेंसियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें शक है कि जिस तरह से लालकिला के सामने धमाका करने के लिए एक कार का इस्तेमाल किया गया। आशंका है कि आरोपियों ने और भी कुछ कारों या अन्य जगहों पर इस तरह का विस्फोटक प्लांट किया हो सकता है। जो की फट ना जाए।
डॉक्टर के पास न हो दूसरी कार
इसकी एक बड़ी वजह कथित रूप से धमाके वाली आई-20 कार चला रहे फिदायीन डॉक्टर उमर मोहम्मद के साथ एक और साथी का इनपुट मिलना है। जिसे डॉक्टर के नाम से जाना जाता है। डर है कि इसके पास भी विस्फोटक भरी कोई कार ना हो या इसने कहीं और विस्फोटक प्लांट ना कर रखा हो। जिसे यह ब्लास्ट कर दे।
जांच कर रही इतनी टीमें
इस मामले में अलग-अलग चीजों की जांच के लिए एनआईए ने सात टीमों को लगाया है। सूत्रों का कहना है कि वैसे, जांच आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के अलावा लश्कर-ए-तैबा और गजवा-ए-हिंद समेत जम्मू-कश्मीर के कुछ लोकल ग्रुप पर भी जा रही है।
बड़ी घटना को अंजाम देना चाहते थे आतंकी
सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से यह हमला किया गया। यह काम जैश-ए-मोहम्मद का ही लग रहा है। लेकिन फिर भी जांच पूरी होने के बाद ही साफ हो सकेगा। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि आरोपियों का दिल्ली-एनसीआर में सीरियल ब्लास्ट करने का मंसूबा लग रहा था। वह किसी बड़ी घटना को अंजाम देना चाहते थे।
दवाब में आतंकियों ने किया ब्लास्ट
लेकिन इससे पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद से करीब तीन हजार किलो विस्फोटक समेत आठ आरोपियों को पकड़ लिया।
इससे इनके मंसूबे फेल हो गए और संभवत: दबाव में समय से पहले लालकिले के सामने यह मैसेज देने के लिए ब्लास्ट करना पड़ गया।
अकेले नाइट्रेट से नहीं हो सकता बड़ा धमाका
धमाके के लिए क्या-क्या विस्फोटक इस्तेमाल किया गया। एजेंसियां इस पर मौन हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इतना बड़ा धमाका अकेले अमोनियम नाइट्रेट से नहीं किया जा सकता। आशंका है कि इसमें आरडीएक्स या अन्य कोई विस्फोटक भी मिक्स किया गया। धमाके के लिए रिमोट का ही इस्तेमाल किया गया।
सीमा पार से जुड़ रहे लिंक
इस धमाके में जांच एजेंसियों को जम्मू-कश्मीर से लेकर फरीदाबाद तक के सीधे लिंक मिल रहे हैं। आशंका है कि आरोपियों के ठिकानों से जिस तरह से एके-47, एके-56, बेरेटा और ग्लोक पिस्टल समेत अन्य हथियार बरामद हुए। उससे यह भी लगता है कि यह कहीं ना कहीं ओपन फायरिंग भी करने वाले थे।
सीसीटीवी में कैद हुई घटना
धमाके वाली कार को पुलवामा निवासी डॉक्टर उमर मोहम्मद चला रहा था। इसकी फुटेज लालकिला के सामने लगे हाई क्वालिटी वाले सीसीटीवी कैमरों और अन्य जगहों के कैमरों में में भी कैद हुई है। एजेंसियां सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से इसकी कार की पूरी ट्रेल का पीछा कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पुलवामा में कार चला रहे संदिग्ध उमर की मां को भी डीएनए सैंपल के लिए बुलाया।
प्रेशर फिदायीन हमला मान रही एजेंसियां
एजेंसियों के सूत्र लालकिला ब्लास्ट को भी प्रेशर फिदायीन हमला मान रहे हैं। जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा फरीदाबाद में तीन हजार किलो विस्फोटक और आठ आरोपियों को पकड़ने के बाद दिल्ली में जानबूझकर लालकिला के सामने यह धमाका किया गया।
जांच एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती
जांच एजेंसियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें शक है कि जिस तरह से लालकिला के सामने धमाका करने के लिए एक कार का इस्तेमाल किया गया। आशंका है कि आरोपियों ने और भी कुछ कारों या अन्य जगहों पर इस तरह का विस्फोटक प्लांट किया हो सकता है। जो की फट ना जाए।
डॉक्टर के पास न हो दूसरी कार
इसकी एक बड़ी वजह कथित रूप से धमाके वाली आई-20 कार चला रहे फिदायीन डॉक्टर उमर मोहम्मद के साथ एक और साथी का इनपुट मिलना है। जिसे डॉक्टर के नाम से जाना जाता है। डर है कि इसके पास भी विस्फोटक भरी कोई कार ना हो या इसने कहीं और विस्फोटक प्लांट ना कर रखा हो। जिसे यह ब्लास्ट कर दे।
जांच कर रही इतनी टीमें
इस मामले में अलग-अलग चीजों की जांच के लिए एनआईए ने सात टीमों को लगाया है। सूत्रों का कहना है कि वैसे, जांच आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के अलावा लश्कर-ए-तैबा और गजवा-ए-हिंद समेत जम्मू-कश्मीर के कुछ लोकल ग्रुप पर भी जा रही है।
बड़ी घटना को अंजाम देना चाहते थे आतंकी
सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से यह हमला किया गया। यह काम जैश-ए-मोहम्मद का ही लग रहा है। लेकिन फिर भी जांच पूरी होने के बाद ही साफ हो सकेगा। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि आरोपियों का दिल्ली-एनसीआर में सीरियल ब्लास्ट करने का मंसूबा लग रहा था। वह किसी बड़ी घटना को अंजाम देना चाहते थे।
दवाब में आतंकियों ने किया ब्लास्ट
लेकिन इससे पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद से करीब तीन हजार किलो विस्फोटक समेत आठ आरोपियों को पकड़ लिया।
इससे इनके मंसूबे फेल हो गए और संभवत: दबाव में समय से पहले लालकिले के सामने यह मैसेज देने के लिए ब्लास्ट करना पड़ गया।
अकेले नाइट्रेट से नहीं हो सकता बड़ा धमाका
धमाके के लिए क्या-क्या विस्फोटक इस्तेमाल किया गया। एजेंसियां इस पर मौन हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इतना बड़ा धमाका अकेले अमोनियम नाइट्रेट से नहीं किया जा सकता। आशंका है कि इसमें आरडीएक्स या अन्य कोई विस्फोटक भी मिक्स किया गया। धमाके के लिए रिमोट का ही इस्तेमाल किया गया।
सीमा पार से जुड़ रहे लिंक
इस धमाके में जांच एजेंसियों को जम्मू-कश्मीर से लेकर फरीदाबाद तक के सीधे लिंक मिल रहे हैं। आशंका है कि आरोपियों के ठिकानों से जिस तरह से एके-47, एके-56, बेरेटा और ग्लोक पिस्टल समेत अन्य हथियार बरामद हुए। उससे यह भी लगता है कि यह कहीं ना कहीं ओपन फायरिंग भी करने वाले थे।
सीसीटीवी में कैद हुई घटना
धमाके वाली कार को पुलवामा निवासी डॉक्टर उमर मोहम्मद चला रहा था। इसकी फुटेज लालकिला के सामने लगे हाई क्वालिटी वाले सीसीटीवी कैमरों और अन्य जगहों के कैमरों में में भी कैद हुई है। एजेंसियां सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से इसकी कार की पूरी ट्रेल का पीछा कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पुलवामा में कार चला रहे संदिग्ध उमर की मां को भी डीएनए सैंपल के लिए बुलाया।
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