नई दिल्ली: मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान की वीरता के बारे में शायद ही ऐसा कोई होगा जो नहीं जानता हो। कैसे उन्होंने अपनी सेना के साथ मिलकर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्होंने समय-समय नए हथियारों का अविष्कार कराया। रॉकेट का आविष्कार, बंदूक, पिस्तौल, तोप समेत कई हथियारों का इस्तेमाल किया। उनके लिए बनाई गई दो पिस्तौल की अब लंदन में नीलामी हुई है। जिसमें टीपू सुल्तान की चांदी जड़ी फ्लिंटलॉक पिस्तौलों की जोड़ी 11 लाख पाउंड में एक निजी संग्रहकर्ता को बेची गई, जो अनुमानित मूल्य का लगभग 14 गुना है।   
   
टीपू सुल्तान के पिस्तौल की नीलामी
टीपू सुल्तान के जिन पिस्तौल की नीलामी हुई उसका इस्तेमाल उन्होंने अंग्रेजों के साथ लड़ाई में किया था। 11 लाख पाउंड में नीलाम हुई उनकी पिस्तौल की भारत में कीमत 128359220 रुपये आंकी जा रही। टीपू सुल्तान की यह पिस्तौलें 1799 में ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से श्रीरंगपट्टनम की घेराबंदी के दौरान उनके खजाने से मिली थीं। उस संघर्ष में सुल्तान की मृत्यु हो गई थी और उनके अनेक बहुमूल्य शस्त्र ब्रिटेन ले जाए गए थे।
   
चांदी की पिस्तौल, मिरर डिजाइन
नीलामी को लेकर कैटलॉग में कहा गया कि टीपू सुल्तान की पिस्तौलों की विशेषता यह है कि वे अक्सर ‘मिरर’ डिजाइन में बनवाई जाती थीं- एक बाएं हाथ की ताली (लॉक) वाली और दूसरी दाएं हाथ की ताली वाली। कहा जाता है कि सुल्तान को यह संयोजन विशेष रूप से पसंद था और वे इन्हें अपने सार्वजनिक दरबारों में प्रदर्शित करते थे। पिस्तौलों के अलावा, टीपू सुल्तान के लिए बनी एक अन्य चांदी जड़ी फ्लिंटलॉक ‘ब्लंडरबस’ या ‘बुकमार’ बंदूक 5 लाख 71 हजार 500 पाउंड में बिकी।
   
      
   
इतने में हुई महाराजा रणजीत सिंह की पेटिंग की नीलामी
‘आर्ट्स ऑफ द इस्लामिक वर्ल्ड एंड इंडिया’ शीर्षक से हुई इस नीलामी में कुल एक करोड़ पाउंड से अधिक की राशि प्राप्त हुई। इनमें ऐतिहासिक भारतीय कलाकृतियों ने अनुमानित मूल्य से कहीं अधिक दाम हासिल किए। टीपू सुल्तान की पिस्तौल के अलावा महाराजा रणजीत सिंह की एक बारीक पेंटिंग ने इस सप्ताह लंदन में हुई नीलामी में नए कीर्तिमान स्थापित किए। उन्नीसवीं सदी के सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह की एक पेंटिंग 9 लाख 52 हजार 500 पाउंड (952,500 पाउंड) में बिकी।
   
क्या खास था रणजीत सिंह की पेंटिंग में
महाराजा रणजीत सिंह ये पेंटिंग सिख कला के क्षेत्र में अब तक का नया रिकॉर्ड है और इसे एक संस्थान ने खरीदा। पेंटिंग में कलाकार बिशन सिंह ने उन्हें लाहौर के एक बाजार से जुलूस में जाते हुए दर्शाया है। संग्रहकर्ता संस्था ‘सोथबी’ के कैटलॉग में इस पेंटिंग के बारे में कहा गया है कि यह सुंदर और बारीकी से बनी झांकी महाराजा रणजीत सिंह को हाथी पर सवार होकर लाहौर के बाजार से गुजरते हुए दिखाती है।
   
महाराजा रणजीत सिंह के साथ उनका भव्य दरबार, चंवर और छत्र धारी सेवक, बाज पालक और घोड़े और ऊंटों की ओर से खींची जाने वाली सवारियां हैं जिनमें उनका पुत्र शेर सिंह, एक गणिका और उनके धार्मिक और राजनीतिक सलाहकार भाई राम सिंह और राजा गुलाब सिंह सम्मिलित हैं।
   
      
   
इन ऐतिहासिक वस्तुओं की हुई नीलामी
कैटलॉग में आगे बताया गया है कि चित्र के अग्रभाग में संन्यासी और सड़क कलाकार महाराजा का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि पृष्ठभूमि में शिल्पकार, पतंग बनाने वाले और दुकानदार अपने काम में व्यस्त दिखते हैं। नीलामी की पहली वस्तु, मुगल सम्राट अकबर के पुस्तकालय से प्राप्त 16वीं सदी के उत्तरार्ध का एक दुर्लभ कुरान पांडुलिपि थी, जो 15 मिनट तक चली बोली के बाद 8 लाख 63 हजार 600 पाउंड में नीलाम हुई।
   
      
मुगल कालीन खंजर की भी नीलामी
भारत से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं में 52 भारतीय परिधानों के चित्रों वाले एलबमों का एक सेट भी शामिल था, जो 225 वर्षों से एक ही परिवार के पास था। यह 6 लाख 9 हजार 600 पाउंड में बिका। एक मुगलकालीन जेड (जड़ाऊ) घोड़े के सिर के आकार के हत्थे वाला खंजर और उसकी म्यान 4 लाख 6 हजार 400 पाउंड में बिकी, जबकि भारत की 17वीं सदी की ‘पहाड़ी झील में खेलते हाथियों’ की एक पेंटिंग 1 लाख 39 हजार 700 पाउंड में नीलाम हुई। सोथबीज के अनुसार, इस सप्ताह की नीलामी में 20 फीसदी खरीदार नए थे। नीलामी में भारत सहित 25 देशों के बोलीदाताओं ने हिस्सा लिया।
  
टीपू सुल्तान के पिस्तौल की नीलामी
टीपू सुल्तान के जिन पिस्तौल की नीलामी हुई उसका इस्तेमाल उन्होंने अंग्रेजों के साथ लड़ाई में किया था। 11 लाख पाउंड में नीलाम हुई उनकी पिस्तौल की भारत में कीमत 128359220 रुपये आंकी जा रही। टीपू सुल्तान की यह पिस्तौलें 1799 में ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से श्रीरंगपट्टनम की घेराबंदी के दौरान उनके खजाने से मिली थीं। उस संघर्ष में सुल्तान की मृत्यु हो गई थी और उनके अनेक बहुमूल्य शस्त्र ब्रिटेन ले जाए गए थे।
चांदी की पिस्तौल, मिरर डिजाइन
नीलामी को लेकर कैटलॉग में कहा गया कि टीपू सुल्तान की पिस्तौलों की विशेषता यह है कि वे अक्सर ‘मिरर’ डिजाइन में बनवाई जाती थीं- एक बाएं हाथ की ताली (लॉक) वाली और दूसरी दाएं हाथ की ताली वाली। कहा जाता है कि सुल्तान को यह संयोजन विशेष रूप से पसंद था और वे इन्हें अपने सार्वजनिक दरबारों में प्रदर्शित करते थे। पिस्तौलों के अलावा, टीपू सुल्तान के लिए बनी एक अन्य चांदी जड़ी फ्लिंटलॉक ‘ब्लंडरबस’ या ‘बुकमार’ बंदूक 5 लाख 71 हजार 500 पाउंड में बिकी।
इतने में हुई महाराजा रणजीत सिंह की पेटिंग की नीलामी
‘आर्ट्स ऑफ द इस्लामिक वर्ल्ड एंड इंडिया’ शीर्षक से हुई इस नीलामी में कुल एक करोड़ पाउंड से अधिक की राशि प्राप्त हुई। इनमें ऐतिहासिक भारतीय कलाकृतियों ने अनुमानित मूल्य से कहीं अधिक दाम हासिल किए। टीपू सुल्तान की पिस्तौल के अलावा महाराजा रणजीत सिंह की एक बारीक पेंटिंग ने इस सप्ताह लंदन में हुई नीलामी में नए कीर्तिमान स्थापित किए। उन्नीसवीं सदी के सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह की एक पेंटिंग 9 लाख 52 हजार 500 पाउंड (952,500 पाउंड) में बिकी।
क्या खास था रणजीत सिंह की पेंटिंग में
महाराजा रणजीत सिंह ये पेंटिंग सिख कला के क्षेत्र में अब तक का नया रिकॉर्ड है और इसे एक संस्थान ने खरीदा। पेंटिंग में कलाकार बिशन सिंह ने उन्हें लाहौर के एक बाजार से जुलूस में जाते हुए दर्शाया है। संग्रहकर्ता संस्था ‘सोथबी’ के कैटलॉग में इस पेंटिंग के बारे में कहा गया है कि यह सुंदर और बारीकी से बनी झांकी महाराजा रणजीत सिंह को हाथी पर सवार होकर लाहौर के बाजार से गुजरते हुए दिखाती है।
महाराजा रणजीत सिंह के साथ उनका भव्य दरबार, चंवर और छत्र धारी सेवक, बाज पालक और घोड़े और ऊंटों की ओर से खींची जाने वाली सवारियां हैं जिनमें उनका पुत्र शेर सिंह, एक गणिका और उनके धार्मिक और राजनीतिक सलाहकार भाई राम सिंह और राजा गुलाब सिंह सम्मिलित हैं।
इन ऐतिहासिक वस्तुओं की हुई नीलामी
कैटलॉग में आगे बताया गया है कि चित्र के अग्रभाग में संन्यासी और सड़क कलाकार महाराजा का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि पृष्ठभूमि में शिल्पकार, पतंग बनाने वाले और दुकानदार अपने काम में व्यस्त दिखते हैं। नीलामी की पहली वस्तु, मुगल सम्राट अकबर के पुस्तकालय से प्राप्त 16वीं सदी के उत्तरार्ध का एक दुर्लभ कुरान पांडुलिपि थी, जो 15 मिनट तक चली बोली के बाद 8 लाख 63 हजार 600 पाउंड में नीलाम हुई।
मुगल कालीन खंजर की भी नीलामी
भारत से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं में 52 भारतीय परिधानों के चित्रों वाले एलबमों का एक सेट भी शामिल था, जो 225 वर्षों से एक ही परिवार के पास था। यह 6 लाख 9 हजार 600 पाउंड में बिका। एक मुगलकालीन जेड (जड़ाऊ) घोड़े के सिर के आकार के हत्थे वाला खंजर और उसकी म्यान 4 लाख 6 हजार 400 पाउंड में बिकी, जबकि भारत की 17वीं सदी की ‘पहाड़ी झील में खेलते हाथियों’ की एक पेंटिंग 1 लाख 39 हजार 700 पाउंड में नीलाम हुई। सोथबीज के अनुसार, इस सप्ताह की नीलामी में 20 फीसदी खरीदार नए थे। नीलामी में भारत सहित 25 देशों के बोलीदाताओं ने हिस्सा लिया।
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