सिर और गर्दन के कैंसर से जूझना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इससे उबरना भी उतना ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील सफर है। इलाज के बाद मरीजों को न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी रिकवरी की ज़रूरत होती है। इस दौरान सही देखभाल और मार्गदर्शन से उनकी ज़िंदगी को फिर से सामान्य बनाया जा सकता है।
डॉक्टर अक्षत मलिक, प्रिंसिपल कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑंकोलॉजी/ कैंसर केयर, हेड एंड नेक ऑंकोलॉजी, रोबोटिक सर्जरी, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, न्यू दिल्ली के मुताबिक, कैंसर का प्रभाव सिर्फ शरीर के एक हिस्से तक सीमित नहीं रहता; यह बोलने, खाने, निगलने और चेहरे की बनावट तक पर असर डाल सकता है। ऐसे में जरूरी है कि मरीज को फिजिकल थेरेपी, पोषण, स्पीच थेरेपी, और मानसिक समर्थन जैसे उपायों से संपूर्ण रूप से सहायता दी जाए। यही नहीं, मुंह की साफ-सफाई और एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना भी रिकवरी को काफी बेहतर बना सकता है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे 7 ऐसे आसान और असरदार उपाय जो सिर और गर्दन के कैंसर से जूझ चुके मरीजों को फिर से आत्मनिर्भर और स्वस्थ जीवन की ओर ले जाने में मदद कर सकते हैं। इन उपायों को जानना और अपनाना मरीज और उनके परिवार दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।(Photo credit):Canva
नियमित फिजियोथेरेपी से पाएं राहत और लचीलापन
इलाज के बाद कई मरीजों को गर्दन और कंधों में जकड़न, दर्द या कमजोरी की शिकायत रहती है। ऐसे में फिजियोथेरेपी न केवल मांसपेशियों को मजबूत बनाती है, बल्कि शरीर की गतिशीलता भी वापस लाती है। नियमित व्यायाम और पेशेवर फिजियोथेरेपिस्ट के मार्गदर्शन से रिकवरी की गति तेज होती है और दर्द भी कम होता है।
सही पोषण से बढ़ाएं शरीर की हीलिंग पावर
कैंसर के इलाज के बाद शरीर को अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है, खासकर जब निगलने में दिक्कत हो। डाइटीशियन द्वारा तैयार किया गया पर्सनल डाइट प्लान न सिर्फ घाव भरने में मदद करता है, बल्कि मरीज को ताकत भी देता है। मुलायम, हाई प्रोटीन और हाई कैलोरी वाले आहार सबसे उपयुक्त होते हैं।
स्पीच और स्वैलो थेरेपी से पाएं फिर से आवाज़ और सहजता
रेडिएशन या सर्जरी के बाद बोलने और निगलने में समस्या आना आम बात है। स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट की मदद से विशेष एक्सरसाइज़ और तकनीकें सिखाई जाती हैं, जो इन परेशानियों को काफी हद तक सुधार सकती हैं। इससे मरीज का आत्मविश्वास भी लौटता है और संवाद आसान हो जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सहयोग पर दें ध्यान

चेहरे में बदलाव, खाने में दिक्कत या बोलने में परेशानी मरीज को मानसिक रूप से प्रभावित कर सकती है। ऐसे में परिवार और दोस्तों का साथ, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह और सपोर्ट ग्रुप्स का सहयोग बेहद जरूरी हो जाता है। यह सब मिलकर मरीज को सामाजिक रूप से फिर से सक्रिय करने में मदद करता है।
हेल्दी लाइफस्टाइल से पाएं लंबी राहत
हेल्दी लाइफस्टाइल किस तरह से जिएं ये हर कोई सोचता है। लेकिन इसके लिए रोजाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज, पर्याप्त नींद, हेल्दी फूड और तंबाकू व शराब से दूरी बनाना जरूरी होता है। ये सब उपाय न सिर्फ थकान को कम करते हैं, बल्कि दोबारा कैंसर होने की संभावना को भी घटाते हैं और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता । ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें । एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है ।