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मुंबई में एक और मेट्रो कॉरिडोर शुरू करने की तैयारी, वडाला से गेट वे तक मेट्रो-11 के लिए नियुक्त होगा कंसल्टेंट

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मुंबई: मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एमएमआरसी) ने मुंबई की पहली अंडरग्राउंड मेट्रो के बाद अब वडाला से गेट वे ऑफ इंडिया तक अपनी दूसरी मेट्रो लाइन पर ध्यान केंद्रित किया है। इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए, एमएमआरसी ने अंतरिम कंसल्टेंट की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कंसल्टेंट परियोजना की योजना बनाने, डिजाइन तैयार करने, निर्माण की निगरानी करने और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा। कंसल्टेंट यह भी सुनिश्चित करेगा कि परियोजना समय पर और निर्धारित मानकों के अनुसार पूरी हो।


इसके अलावा, कंसल्टेंट परियोजना से संबंधित टेंडर (बोली) तैयार करने में एमएमआरसी की मदद करेगा। कंसल्टेंट का सबसे महत्वपूर्ण काम साइट पर चल रहे निर्माण कार्यों पर बारीकी से नज़र रखना होता है। कंसल्टेंट की नियुक्ति के बाद, परियोजना से संबंधित अन्य टेंडर प्रक्रियाएं भी आगे बढ़ेंगी। इस नियुक्ति के लिए एमएमआरसी ने टेंडर आमंत्रित किए हैं। इसके लिए 4 नवंबर को प्री-बिड मीटिंग (बोली से पहले की बैठक) रखी गई है, जबकि कंपनियां 3 दिसंबर तक आवेदन कर सकती हैं।



मेट्रो परियोजनाओं का विस्तार तेजी से हो रहा

मुंबई में मेट्रो परियोजनाओं का विस्तार तेजी से हो रहा है। पहली अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन के सफल लॉन्च के बाद, एमएमआरसी अब एक और महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रही है। यह नई मेट्रो लाइन वडाला को मुंबई के प्रतिष्ठित गेट वे ऑफ इंडिया से जोड़ेगी। इस परियोजना को सफल बनाने के लिए, एमएमआरसी ने एक अंतरिम कंसल्टेंट की तलाश शुरू कर दी है। कंसल्टेंट एक ऐसा विशेषज्ञ होता है जो किसी भी बड़े प्रोजेक्ट को शुरू से अंत तक सही तरीके से चलाने में मदद करता है। वह प्रोजेक्ट की पूरी योजना बनाता है, उसका नक्शा (डिजाइन) तैयार करता है, निर्माण कार्य की देखरेख करता है और यह सुनिश्चित करता है कि काम अच्छी क्वालिटी का हो।


कंसल्टेंट की जिम्मेदारी सिर्फ योजना बनाने तक सीमित नहीं

कंसल्टेंट की जिम्मेदारी सिर्फ योजना बनाने तक सीमित नहीं है। उसे यह भी पक्का करना होता है कि पूरा प्रोजेक्ट तय समय सीमा के अंदर और तय किए गए मानकों के हिसाब से ही पूरा हो। सोचिए, अगर कोई बिल्डिंग बन रही है और उसका कंसल्टेंट ठीक से काम न करे, तो बिल्डिंग कमजोर बन सकती है या उसे बनने में बहुत देर लग सकती है। इसी तरह, मेट्रो परियोजना में कंसल्टेंट की भूमिका बहुत अहम होती है। वह यह भी सुनिश्चित करता है कि निर्माण सामग्री अच्छी क्वालिटी की हो और काम करने वाले लोग सुरक्षित रहें।


टेंडर तैयार करने में भी मदद करेगा

इसके अलावा, कंसल्टेंट एमएमआरसी को टेंडर तैयार करने में भी मदद करेगा। टेंडर वह प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा कंपनियां किसी काम को करने के लिए अपनी बोली लगाती हैं। कंसल्टेंट यह सुनिश्चित करता है कि टेंडर की शर्तें स्पष्ट हों और सही कंपनियां ही बोली लगाएं। कंसल्टेंट का सबसे बड़ा काम साइट पर चल रहे निर्माण कार्यों पर लगातार नज़र रखना होता है। वह हर छोटी-बड़ी चीज की जांच करता है ताकि कोई गड़बड़ी न हो।


टेंडर प्रक्रियाएं भी तेजी से आगे बढ़ेंगी

कंसल्टेंट की नियुक्ति के बाद, परियोजना से जुड़ी अन्य टेंडर प्रक्रियाएं भी तेजी से आगे बढ़ेंगी। इसका मतलब है कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए ठेकेदारों को चुना जाएगा। एमएमआरसी ने इस कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। इस प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए, 4 नवंबर को एक प्री-बिड मीटिंग रखी गई है। इस मीटिंग में इच्छुक कंपनियां परियोजना के बारे में और जानकारी हासिल कर सकती हैं और अपने सवाल पूछ सकती हैं। जो कंपनियां इस काम में रुचि रखती हैं, वे 3 दिसंबर तक आवेदन कर सकती हैं। यह समय सीमा कंपनियों को अपनी तैयारी करने और सही बोली लगाने का मौका देगी।


नई मेट्रो लाइन फायदेमंद होगी साबित

यह नई मेट्रो लाइन मुंबई के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। वडाला से गेट वे ऑफ इंडिया तक यात्रा करना बहुत आसान हो जाएगा। इससे ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी और लोगों का समय बचेगा। यह परियोजना मुंबई के विकास में एक और मील का पत्थर साबित होगी। एमएमआरसी इस परियोजना को लेकर काफी उत्साहित है और इसे जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश कर रही है। कंसल्टेंट की नियुक्ति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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