किशनगंज: बिहार में फर्जीवाड़े का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। फर्जी निवास प्रमाण पत्र रैकेट के मास्टरमाइंड राजन कुमार को पुलिस ने धर दबोचा। राजन इतना शातिर है कि महज 30 सेकेंड में फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर देता था। समस्तीपुर के खानपुर का ये शातिर अपराधी पूरे बिहार में अपने जाल के जरिए फर्जीवाड़ा चला रहा था। वाट्सऐप ग्रुप के जरिए नेटवर्क चलाने वाले इस गिरोह के सरगना के बैंक खातों से 26 लाख रुपये जब्त किए गए। सरगना राजन अपने गुर्गों को आईडी पासवर्ड जारी करता था और एक लिंक बनाकर देता था। राज्य भर में इसका जाल बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। ये मामला इतना गंभीर है कि अब चुनाव आयोग की नींद उड़ने वाली है, क्योंकि SIR (Special Intensive Revision) में जमा सभी निवास प्रमाण पत्रों की जांच अब जरूरी हो गई है।
फर्जी निवास प्रमाण पत्र रैकेटकिशनगंज पुलिस ने शनिवार को इस सनसनीखेज रैकेट का पर्दाफाश करते हुए राजन कुमार को गिरफ्तार किया। एसपी सागर कुमार ने बताया कि गंधर्वडांगा में कॉमन सर्विस सेंटर चलाने वाले अजय कुमार साह की गिरफ्तारी के बाद जांच ने रफ्तार पकड़ी। पूछताछ में राजन का नाम सामने आया, जो एक फर्जी वेबसाइट के जरिए ये गोरखधंधा चला रहा था। जांच में सामने आया कि प्रमाण पत्रों में दिघलबैंक की स्पेलिंग में गलती थी, जिसने पुलिस का शक गहराया।
1000 की वेबसाइट, लाखों का फर्जीवाड़ापुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि राजन ने मात्र 1000 रुपये में बनाई गई वेबसाइट के जरिए ये पूरी साजिश रची। बीएससी ऑनर्स की पढ़ाई कर चुका ये शातिर अपराधी हर फर्जी प्रमाण पत्र के लिए अपने गुर्गों से सिर्फ 20 रुपये लेता था, लेकिन उसका नेटवर्क इतना बड़ा था कि उसने 26 लाख रुपये की संपत्ति जमा कर ली थी। पुलिस ने उसके छह बैंक खातों को सील कर इन पैसों को जब्त कर लिया है।
पूरे बिहार में राजन का नेटवर्कपुलिस सूत्रों के मुताबिक, राजन का नेटवर्क बिहार के कई जिलों में फैला हुआ था। वो वाट्सऐप ग्रुप के जरिए अपने गुर्गों से जुड़ा रहता था और 30 सेकेंड में फर्जी निवास प्रमाण पत्र तैयार कर देता था। इस खुलासे ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है क्योंकि इसका असर SIR और अन्य सरकारी प्रक्रियाओं पर पड़ सकता है। इस गिरफ्तारी ने चुनाव आयोग के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। अब SIR में जमा सभी निवास प्रमाण पत्रों की गहन जांच जरूरी हो गई है, ताकि फर्जीवाड़े का दायरा और गहराई पता चल सके। पुलिस का कहना है कि जांच अभी जारी है और इस रैकेट से जुड़े अन्य अपराधियों की तलाश तेज कर दी गई है।
फर्जी निवास प्रमाण पत्र रैकेटकिशनगंज पुलिस ने शनिवार को इस सनसनीखेज रैकेट का पर्दाफाश करते हुए राजन कुमार को गिरफ्तार किया। एसपी सागर कुमार ने बताया कि गंधर्वडांगा में कॉमन सर्विस सेंटर चलाने वाले अजय कुमार साह की गिरफ्तारी के बाद जांच ने रफ्तार पकड़ी। पूछताछ में राजन का नाम सामने आया, जो एक फर्जी वेबसाइट के जरिए ये गोरखधंधा चला रहा था। जांच में सामने आया कि प्रमाण पत्रों में दिघलबैंक की स्पेलिंग में गलती थी, जिसने पुलिस का शक गहराया।
1000 की वेबसाइट, लाखों का फर्जीवाड़ापुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि राजन ने मात्र 1000 रुपये में बनाई गई वेबसाइट के जरिए ये पूरी साजिश रची। बीएससी ऑनर्स की पढ़ाई कर चुका ये शातिर अपराधी हर फर्जी प्रमाण पत्र के लिए अपने गुर्गों से सिर्फ 20 रुपये लेता था, लेकिन उसका नेटवर्क इतना बड़ा था कि उसने 26 लाख रुपये की संपत्ति जमा कर ली थी। पुलिस ने उसके छह बैंक खातों को सील कर इन पैसों को जब्त कर लिया है।
पूरे बिहार में राजन का नेटवर्कपुलिस सूत्रों के मुताबिक, राजन का नेटवर्क बिहार के कई जिलों में फैला हुआ था। वो वाट्सऐप ग्रुप के जरिए अपने गुर्गों से जुड़ा रहता था और 30 सेकेंड में फर्जी निवास प्रमाण पत्र तैयार कर देता था। इस खुलासे ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है क्योंकि इसका असर SIR और अन्य सरकारी प्रक्रियाओं पर पड़ सकता है। इस गिरफ्तारी ने चुनाव आयोग के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। अब SIR में जमा सभी निवास प्रमाण पत्रों की गहन जांच जरूरी हो गई है, ताकि फर्जीवाड़े का दायरा और गहराई पता चल सके। पुलिस का कहना है कि जांच अभी जारी है और इस रैकेट से जुड़े अन्य अपराधियों की तलाश तेज कर दी गई है।
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