नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी जल्द ही एक वर्किंग ग्रुप बनाएगा जो शॉर्ट सेलिंग और सिक्योरिटीज लेंडिंग एंड बॉरोइंग (SLB) के नियमों की पूरी तरह से समीक्षा करेगा। यह जानकारी सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने शुक्रवार को दी। CNBC-TV18 ग्लोबल लीडरशिप समिट में बोलते हुए सेबी चीफ ने कहा हम जल्द ही शॉर्ट सेलिंग और SLB फ्रेमवर्क की व्यापक समीक्षा के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाएंगे।
क्या है शॉर्ट सेलिंग?
शेयर बाजार में शॉर्ट सेलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें निवेशक ऐसे शेयर बेचते हैं जो उनके पास नहीं होते, बल्कि उधार लिए होते हैं। यह आमतौर पर तब किया जाता है जब निवेशक को लगता है कि शेयर का दाम गिर जाएगा और वे गिरावट से लाभ कमा सकते हैं। क्या है SLB सिस्टम?
SLB एक व्यवस्था है जो निवेशकों या संस्थानों को उनके डिमैट अकाउंट में रखे शेयर दूसरों को एक तय शुल्क पर उधार देने की अनुमति देता है। यह लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होता है और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन की गारंटी होती है जिससे सब कुछ सुरक्षित और आसानी से हो जाए। कब शुरू हुआ था?
शॉर्ट सेलिंग के लिए नियम 2007 में बनाए गए तब से इनमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। इसी तरह, SLB व्यवस्था 2008 में शुरू हुई थी और कुछ बदलावों के बावजूद यह आज भी ग्लोबल मार्केट्स के मुकाबले उतनी विकसित नहीं है। क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि उधार लेने वाले इन सिक्योरिटीज का इस्तेमाल आमतौर पर शॉर्ट सेलिंग के लिए या फिर सेटलमेंट में चूक से बचने के लिए करते हैं। SLB फ्रेमवर्क से न सिर्फ उधार देने वालों को अपने खाली पड़े शेयरों पर अतिरिक्त कमाई करने का मौका मिलता है, बल्कि इससे बाजार में लिक्विडिटी(कैश फ्लो) और ओवरऑल एफिशिएंसी भी बेहतर होती है। वीकली एक्सपायरी का क्या होगा?
वीकली एक्सपायरी पर "बैन के मसले पर सेबी चीफ ने कोई भी साफ जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सेबी का तरीका हमेशा नपा-तुला और आंकड़ों पर आधारित रहेगा, जिसका मकसद बाजार की खामियों को बिना किसी जल्दबाजी के दूर करना है। MF में क्या करेंगे?
पांडे ने कहा कि स्टॉक ब्रोकर और म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों की भी बड़ी समीक्षा पहले से ही चल रही है। उन्होंने कहा, हम जल्द ही लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) 2015 और सेटलमेंट के नियमों की भी ऐसी ही गहराई से समीक्षा करेंगे।
शेयर बाजार में शॉर्ट सेलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें निवेशक ऐसे शेयर बेचते हैं जो उनके पास नहीं होते, बल्कि उधार लिए होते हैं। यह आमतौर पर तब किया जाता है जब निवेशक को लगता है कि शेयर का दाम गिर जाएगा और वे गिरावट से लाभ कमा सकते हैं।
SLB एक व्यवस्था है जो निवेशकों या संस्थानों को उनके डिमैट अकाउंट में रखे शेयर दूसरों को एक तय शुल्क पर उधार देने की अनुमति देता है। यह लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होता है और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन की गारंटी होती है जिससे सब कुछ सुरक्षित और आसानी से हो जाए।
शॉर्ट सेलिंग के लिए नियम 2007 में बनाए गए तब से इनमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। इसी तरह, SLB व्यवस्था 2008 में शुरू हुई थी और कुछ बदलावों के बावजूद यह आज भी ग्लोबल मार्केट्स के मुकाबले उतनी विकसित नहीं है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि उधार लेने वाले इन सिक्योरिटीज का इस्तेमाल आमतौर पर शॉर्ट सेलिंग के लिए या फिर सेटलमेंट में चूक से बचने के लिए करते हैं। SLB फ्रेमवर्क से न सिर्फ उधार देने वालों को अपने खाली पड़े शेयरों पर अतिरिक्त कमाई करने का मौका मिलता है, बल्कि इससे बाजार में लिक्विडिटी(कैश फ्लो) और ओवरऑल एफिशिएंसी भी बेहतर होती है।
वीकली एक्सपायरी पर "बैन के मसले पर सेबी चीफ ने कोई भी साफ जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सेबी का तरीका हमेशा नपा-तुला और आंकड़ों पर आधारित रहेगा, जिसका मकसद बाजार की खामियों को बिना किसी जल्दबाजी के दूर करना है।
पांडे ने कहा कि स्टॉक ब्रोकर और म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों की भी बड़ी समीक्षा पहले से ही चल रही है। उन्होंने कहा, हम जल्द ही लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) 2015 और सेटलमेंट के नियमों की भी ऐसी ही गहराई से समीक्षा करेंगे।
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