इस्लामाबाद: पाकिस्तान के जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (F) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तानी सेना से नाराज हैं। फजलुर रहमान को पाकिस्तान में मौलाना डीजल के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अफगानिस्तान के साथ तनाव को लेकर पाकिस्तानी सेना को जमकर खरीखोटी सुनाई है। अफगानिस्तान के खिलाफ आक्रामक सैन्य अभियान पर बोलते हुए मौलाना डीजल ने कहा कि "पाकिस्तान एक और आत्मघाती युद्ध नहीं झेल सकता।"
मौलाना डीजल ने पाकिस्तानी सेना को कोसा
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना डीजल ने कहा, "1971 के बांग्लादेश और 1999 के कारगिल युद्ध को पाकिस्तानी सेना के परवेज़ मुशर्रफ और अन्य लोगों द्वारा किए गए लापरवाह कारनामों के उदाहरण के रूप में न भूलें, जिससे देश की वैश्विक विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचा।" मौलाना ने कहा कि सेना को सीमाओं पर लड़ने के बजाय ख़ैबर पख्तूनख्वा में आतंकवाद, आर्थिक पतन और शासन की गतिहीनता से निपटना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने जनता में भय पैदा करने की सेना की आदत की आलोचना की।
तालिबान के खिलाफ नैरेटिव बनाने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा, "इस्लाम किसी मुस्लिम पड़ोसी के खिलाफ अन्यायपूर्ण आक्रमण को पसंद नहीं करता।" वह अप्रत्यक्ष रूप से अफ़ग़ानिस्तान के प्रति सेना के रुख को गैर-इस्लामी और राजनीतिक रूप से आत्मघाती बता रहे थे। मौलाना डीजल के इस तरह के बयानों से उन्हें पाकिस्तानी सेना पर रणनीतिक दबाव बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
पाकिस्तानी सेना पर दबाव बना रहे मौलाना डीजल
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि "भारतीय खुफिया विभाग इसे अफगान तालिबान के व्यापक मनोवैज्ञानिक प्रतिरोध का हिस्सा मानता है। फज़लुर रहमान जैसे मौलवी पाकिस्तान के आंतरिक युद्ध के आख्यान को कमजोर करेंगे।" फजलुर रहमान के अलावा पाकिस्तान में तालिबान के बहुत अधिक शुभचिंतक हैं, जो प्रभावशाली भूमिका रखते हैं।
मौलाना डीजल ने पाकिस्तानी सेना को कोसा
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना डीजल ने कहा, "1971 के बांग्लादेश और 1999 के कारगिल युद्ध को पाकिस्तानी सेना के परवेज़ मुशर्रफ और अन्य लोगों द्वारा किए गए लापरवाह कारनामों के उदाहरण के रूप में न भूलें, जिससे देश की वैश्विक विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचा।" मौलाना ने कहा कि सेना को सीमाओं पर लड़ने के बजाय ख़ैबर पख्तूनख्वा में आतंकवाद, आर्थिक पतन और शासन की गतिहीनता से निपटना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने जनता में भय पैदा करने की सेना की आदत की आलोचना की।
तालिबान के खिलाफ नैरेटिव बनाने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा, "इस्लाम किसी मुस्लिम पड़ोसी के खिलाफ अन्यायपूर्ण आक्रमण को पसंद नहीं करता।" वह अप्रत्यक्ष रूप से अफ़ग़ानिस्तान के प्रति सेना के रुख को गैर-इस्लामी और राजनीतिक रूप से आत्मघाती बता रहे थे। मौलाना डीजल के इस तरह के बयानों से उन्हें पाकिस्तानी सेना पर रणनीतिक दबाव बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
पाकिस्तानी सेना पर दबाव बना रहे मौलाना डीजल
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि "भारतीय खुफिया विभाग इसे अफगान तालिबान के व्यापक मनोवैज्ञानिक प्रतिरोध का हिस्सा मानता है। फज़लुर रहमान जैसे मौलवी पाकिस्तान के आंतरिक युद्ध के आख्यान को कमजोर करेंगे।" फजलुर रहमान के अलावा पाकिस्तान में तालिबान के बहुत अधिक शुभचिंतक हैं, जो प्रभावशाली भूमिका रखते हैं।
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