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भारत के 'चिकेन नेक' के पास चीनी एयर डिफेंस रडार तैनात करेगा बांग्लादेश, पहुंचाए गये पार्ट्स, पाकिस्तानी सेना के मोहरा बने यूनुस

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ढाका: भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान की आपत्तियों के बावजूद, बांग्लादेश वायु सेना (BAF) लालमोनिरहाट एयरबेस पर लड़ाकू विमानों के लिए नए हैंगर का निर्माण लगाकार कर रहा है। जबकि अब इस बात के पुख्ता संकेत मिलने लगे हैं कि भारत की सीमा के बेहद करीब इस जगह पर बांग्लादेश एक नई रडार सिस्टम की स्थापना के लिए तैयारी कर रहा है। जिसका मकसद भारतीय क्षेत्र में जासूसी करना, भारत के चिकेन नेक यानि सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर नजर रखना है।

नॉर्थ ईस्ट आई ने बांग्लादेश के सुरक्षा सूत्रों के हवाले से कहा है कि नये रडार सिस्टम के अलग अलग पार्ट्स करीब 2 हफ्ते पहले विशाल लालमोनिरहाट एयरबेस पर पहुंचा दिए गये हैं। सूत्रों ने बताया है कि डिफेंस रडार सिस्टम स्थापित करने के लिए एक कंक्रीट प्लेटफॉर्म और एक उपयुक्त इमारत बनाने की योजनाएं चल रही हैं, जो लालमोनिरहाट एयरबेस पर मौजूदा पुरानी प्रणाली का अपग्रेडेशन होगा। नए हैंगर से करीब 70 मीटर की दूरी पर एक छोटा कंक्रीट ढांचा, वायरलेस रूम मौजूद है। पिछले छह महीनों में एयरबेस परिसर के अंदर नए आवासीय परिसर भी बनाए गये हैं।

सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास बांग्लादेश का एयर डिफेंस
आपको बता दें कि एयर डिफेंस सिस्टम के रडार एक मजबूत सर्विलांस नेटवर्क बनाते हैं। इससे खतरे का पता लगाने, लक्ष्य निर्धारण किया जाता है। एक सैन्य-स्तरीय रडार सिस्टम के मुख्य घटकों में एक ट्रांसमीटर, एंटेना, एक रिसीवर और एक प्रोसेसर के साथ-साथ कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर, ट्रैकिंग सिस्टम और हथियार लॉन्चर जैसे अन्य प्रमुख भाग शामिल होते हैं। लालमोनिरहाट एयरबेस में एक पुराना रडार सिस्टम है। जिस नए सिस्टम के निर्माण की योजना बनाई जा रही है, वह पुराने ढांचे के पास ही होगा। जानकार सूत्रों ने बताया है कि लालमोनिरहाट एयरबेस पर हर महीने कम से कम हेलीकॉप्टर और एक छोटे विमान से उड़ानें भरी जाती हैं।

नॉर्थईस्ट न्यूज की पहले की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कम से कम 10-12 लड़ाकू विमानों की पार्किंग के लिए एक बड़े हैंगर का काम लगभग पूरा हो चुका है। यह रिपोर्ट एक मेजर जनरल के नेतृत्व में भारतीय सैन्य खुफिया अधिकारियों की तीन सदस्यीय टीम द्वारा 16 अक्टूबर को लालमोनिरहाट और पास के ठाकुरगांव एयरबेस के अलावा, रंगपुर डिवीजन के नीलफामारी और सैदाबाद में अज्ञात ठिकानों का दौरा करने के तुरंत बाद प्रकाशित हुई थी। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान और एक लेफ्टिनेंट जनरल भारतीय मिलिट्री इंटेलिजेंस टीम के साथ आए थे।

बांग्लादेश की प्लानिंग आखिर है क्या?
बांग्लादेश खुद भारत के लिए खतरा नहीं है, लेकिन भारत के दुश्मनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण प्यादा साबित हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के सुरक्षा सूत्रों ने स्वीकार किया है कि भारतीय टीम द्वारा लालमोनिरहाट एयरबेस के दौरे के बाद हैंगर पर काम कुछ दिनों के लिए रोक दिया गया था, लेकिन छत और खाड़ी की दीवारों सहित सुविधा के बाकी हिस्से पर निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया है और "पूरा होने वाला है"।

नॉर्थईस्ट न्यूज की पहले की एक और रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल ऑफ ऑर्डिनेंस ब्रांच, मेजर जनरल अबू बकर सिद्दीकी खान के साथ कुछ और सीनियर अधिकारियों ने 13 मई को चाइना वैनगार्ड कंपनी लिमिटेड के अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम से मुलाकात की और HQ-17AE सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (SAMs), JSG रडार और FK-3 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (MSAMs) की खरीद की योजनाओं पर चर्चा की थी।

भारत की सीमा के पास लगेगा चीनी रडार
आपको बता दें कि JSG-400 TDR रडार एक चीनी फायर कंट्रोल रडार है, जो HQ-9BE मिसाइल डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है। इसका इस्तेमाल बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ इंटरसेप्टर को गाइड करने के लिए किया जाता है। इसे पहली बार 2021 झुहाई एयरशो में एक इन्फोग्राफिक में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था और इसे CASIC निर्माण सुविधा में देखा गया है। इसके अलावा 18 जून को बांग्लादेश एयरफोर्स ने बोगुरा में अपना दूसरा GM 403-एम लंबी दूरी का एयर सर्विलांस रडार भी एक्टिव कर दिया। यह स्थापना बीएएफ द्वारा ढाका के मीरपुर में 71वें स्क्वाड्रन के साथ अपना पहला जीएम 403-एम रडार शामिल करने के लगभग दो महीने बाद हुई। GM 403-M को थेल्सरेथियॉनसिस्टम्स (TRS) ने डेवलप किया है और ये डिजिटल 3डी एयर डिफेंस ग्राउंड मास्टर रडार फैमिली से आता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत बहुत ऊंची से लेकर बहुत कम ऊंचाई तक में सर्विलांस करना होता है।
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