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तानाशाही के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ; ट्रम्प सरकार के खिलाफ गुस्से की लहर में अमेरिका में हजारों नागरिक सड़कों पर उतरे

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वाशिंगटन/न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विवादास्पद और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में गुस्से की लहर भड़क उठी है, हजारों नागरिक सड़कों पर उतरकर सरकार की कार्रवाई का कड़ा विरोध कर रहे हैं। न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डी.सी., शिकागो, लॉस एंजिल्स और जैक्सनविले, फ्लोरिडा सहित देश भर के विभिन्न शहरों में लगभग 400 स्थानों पर प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गईं।

इन प्रदर्शनों में भाग लेने वाले नागरिकों का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन की नीतियों से देश में लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों को खतरा पैदा हो गया है। उनका आरोप है कि ट्रम्प प्रशासन कानून के शासन को कमजोर कर रहा है, आम नागरिकों के अधिकारों को कुचल रहा है तथा तानाशाही रवैये से शासन कर रहा है।

‘राजा’ ट्रम्प के खिलाफ लोगों का आक्रोश

इन प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। कुछ महीने पहले ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर स्वयं को “राजा” बताकर काफी आक्रोश पैदा कर दिया था। इसके बाद 17 फरवरी को ‘नाइन किंग्स डे’ नाम से विरोध प्रदर्शन हुए। 20 जनवरी को ट्रम्प के पदभार ग्रहण करने के बाद से यह चौथा बड़ा विरोध प्रदर्शन था। इन प्रदर्शनों में भाग लेने वाले विभिन्न समूह ट्रम्प सरकार की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नीतियों का विरोध करने के लिए एक साथ आए।

प्रमुख सार्वजनिक शिकायतें और चिंताएँ

नागरिकों द्वारा व्यक्त की गई शिकायतें बहुआयामी हैं। मुख्य एक है

सरकारी नौकरियों में भारी कटौती

बाजार पर आर्थिक नीतियों का नकारात्मक प्रभाव

बढ़ती बेरोजगारी

मानव अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता पर सीमाएं

कुछ समाचार संगठनों को प्रेस पूल से हटाना

आव्रजन नीतियों में व्यापक परिवर्तन

इससे समाज में असंतोष बढ़ रहा है और कई लोग ट्रम्प और एलन मस्क की नीतियों को देश के भविष्य के लिए खतरनाक बता रहे हैं।

“यह सरकार जनता के लिए नहीं है” आंदोलन की प्रकृति और उद्देश्य

विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले समूहों की प्रवक्ता हीथर डन ने बताया, “यह आंदोलन किसी भी हिंसा के खिलाफ है। हमारा उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि देश के संविधान की रक्षा करना और एक ईमानदार, पारदर्शी सरकार बनाने के लिए अपनी आवाज उठाना है।” यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि यह आंदोलन केवल डेमोक्रेटिक पार्टी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें रिपब्लिकन, स्वतंत्र और विभिन्न सामाजिक समूह भी शामिल हैं।

लोकतंत्र का ख़तरा

अमेरिका में हो रहे इन प्रदर्शनों ने एक बात स्पष्ट कर दी है। लोकतंत्र केवल मतदान तक सीमित नहीं है, बल्कि नागरिकों की जागरूकता और प्रत्यक्ष भागीदारी पर निर्भर करता है। ट्रम्प प्रशासन के शासन के प्रति असंतोष इतना बढ़ गया है कि जनता अब व्यापक स्तर पर संगठित हो गई है और संविधान की रक्षा के लिए मोर्चा खोल दिया है। इससे न केवल अमेरिका में बल्कि विश्व स्तर पर भी लोकतांत्रिक मूल्यों पर चर्चा के लिए एक आंदोलन शुरू होने की संभावना है।

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