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"पापा, धुंधला दिख रहा है" - बच्चों के ये कहने का इंतजार न करें! जानिए क्यों 5 साल से पहले जरूरी है आंखों की जांच

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जब बात बच्चों की सेहत की आती है,तो माता-पिता उनके खाने-पीने से लेकर सर्दी-जुकाम तक,हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखते हैं। लेकिन एक चीज है जिसे अक्सर तब तक नजरअंदाज कर दिया जाता है,जब तक कि समस्या गंभीर न हो जाए - और वो है बच्चों की आंखें। आज के डिजिटल युग में,जहां बच्चे घंटों तक मोबाइल,टैबलेट और टीवी स्क्रीन से चिपके रहते हैं,उनकी आंखों का स्वास्थ्य एक बड़े खतरे में है।आंखों के डॉक्टर (Ophthalmologists)चेतावनी दे रहे हैं कि बच्चों की आंखों की शुरुआती जांच सिर्फ चश्मे का नंबर पता लगाने के लिए नहीं,बल्कि उनकी आंखों की रोशनी को जीवन भर के लिए बचाने के लिए जरूरी है।क्यों बचपन के पहले5साल इतने ज़रूरी हैं?जन्म से लेकर शुरुआती कुछ सालों तक,बच्चे की आंखें और दिमाग एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना सीखते हैं। यह वह समय होता है जब उनकी देखने की क्षमता तेजी से विकसित होती है। अगर इस दौरान आंखों में कोई समस्या (जैसे भेंगापन,एक आंख का कमजोर होना या चश्मे का नंबर) होती है,तो दिमाग उस कमजोर आंख से मिलने वाले सिग्नल को नजरअंदाज करना शुरू कर देता है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए,तो यह कमजोरी स्थायी हो सकती है और बच्चा अपनी देखने की पूरी क्षमता खो सकता है।बच्चों में होने वाली आम समस्याएं जिन्हें नजरअंदाज न करेंभेंगापन (Strabismus):इसमें दोनों आंखें एक साथ एक दिशा में नहीं देखती हैं। इसे सिर्फ खूबसूरती से जुड़ी समस्या समझने की गलती न करें,यह बच्चे की3Dविजन क्षमता को खत्म कर सकती है।चश्मे का नंबर (Refractive Errors):बच्चों को दूर (मायोपिया) या पास (हाइपरमेट्रोपिया) का देखने में दिक्कत हो सकती है। अगर सही नंबर का चश्मा न लगाया जाए,तो यह उनकी पढ़ाई और विकास पर बुरा असर डाल सकता है।माता-पिता इन लक्षणों पर रखें नजरछोटे बच्चे अपनी परेशानी बता नहीं पाते,इसलिए आपको इन संकेतों पर ध्यान देना होगा:टीवी के बहुत पास जाकर बैठना।बार-बार आंखों को मलना या सिर दर्द की शिकायत करना।पढ़ाई में ध्यान न लगा पाना या अक्षरों को पहचानने में गलती करना।एक आंख का दूसरी की तुलना में अलग दिशा में घूमना।कब कराएं आंखों की जांच?भले ही आपके बच्चे में कोई लक्षण न दिखे,फिर भी डॉक्टर इन समय पर आंखों की जांच की सलाह देते हैं:3साल की उम्र में:दूसरी जांच।स्कूल जाने से ठीक पहले (5-6साल की उम्र में):तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण जांच।याद रखें,आपके बच्चे की आंखें दुनिया को देखने के लिए उनकी खिड़की हैं। एक छोटी सी जांच उनकी इस खूबसूरत दुनिया को हमेशा के लिए रोशन और साफ रख सकती है। उनके कहने का इंतजार न करें,आज ही एक्शन लें।
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