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Sunderkand recitation on Saturday: जीवन की हर मुश्किल का चमत्कारिक हल! क्यों दूर होते हैं सारे दुख?

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Sunderkand recitation on Saturday: जीवन की हर मुश्किल का चमत्कारिक हल! क्यों दूर होते हैं सारे दुख?

क्या आपके जीवन में परेशानियाँ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं? क्या आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, भय या असफलता आपको घेरे हुए हैं? तो एक ऐसा आध्यात्मिक उपाय है, जो न सिर्फ़ आपके कष्टों को दूर करने की शक्ति रखता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और हनुमान जी का आशीर्वाद भी लाता है – वो है सुंदरकांड का पाठ! और ख़ासकर, शनिवार के दिन किया गया इसका पाठ किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता।

सुंदरकांड क्या है और इसका महत्व क्या है?
सुंदरकांड, ‘श्रीरामचरितमानस’ का एक अध्याय है, जो भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी की लंका यात्रा, सीता जी की खोज और लंका दहन की वीरगाथा बताता है। इस पूरे कांड में हनुमान जी के साहस, बल, बुद्धि और भक्ति का अद्भुत वर्णन है। माना जाता है कि इसे पढ़ने या सुनने से स्वयं हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

शनिवार को ही क्यों करें सुंदरकांड का पाठ?
शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है, लेकिन इस दिन बजरंगबली की पूजा का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि भगवान हनुमान जी ने शनिदेव को उनके प्रकोप से बचाया था, जिसके बाद शनिदेव ने वरदान दिया था कि उनकी पूजा करने वालों पर शनि का कोई बुरा प्रभाव नहीं होगा। इसलिए, शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने से शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं और हनुमान जी की कृपा से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

किन लोगों को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए?

  • जो व्यक्ति किसी गंभीर परेशानी या मुश्किल से जूझ रहा हो।

  • जिनके जीवन में असफलताएं लगातार आ रही हों।

  • जिन्हें हर कार्य में बाधाएं आ रही हों।

  • जो मानसिक तनाव, चिंता या भय से ग्रसित हों।

  • जो घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा चाहते हों।

कैसे करें सुंदरकांड का सही पाठ? (कुछ आसान नियम)

सुंदरकांड का पाठ पूरी श्रद्धा और सात्विक मन से करना चाहिए। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखें:

  • स्वच्छता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • स्थान: घर के पूजा घर या किसी शांत और स्वच्छ स्थान का चुनाव करें।

  • आसन: लाल रंग के आसन पर बैठकर पाठ करना शुभ माना जाता है।

  • दिशा: पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।

  • सामग्री: सामने भगवान हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर रखें। घी का दीपक और अगरबत्ती/धूपबत्ती जलाएं। पुष्प और नैवेद्य (गुड़, चना, या कोई भी मीठा) अर्पित करें।

  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले भगवान हनुमान जी का ध्यान करें और मन ही मन अपनी मनोकामना कहें।

  • पाठ शुरू करें: “ॐ श्री हनुमते नमः” का जाप करके सुंदरकांड का पाठ शुरू करें। पाठ के दौरान ध्यान भटके नहीं, इसकी कोशिश करें।

  • विश्वास: सबसे महत्वपूर्ण, पाठ करते समय आपके मन में बजरंगबली के प्रति अटूट विश्वास होना चाहिए।

  • यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अटूट विश्वास, सकारात्मकता और आंतरिक शक्ति का प्रतीक भी है। जब आप पूरे मन से इसका पाठ करते हैं, तो आपका मन शांत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और ब्रह्मांडीय ऊर्जा आपके अनुकूल काम करने लगती है।

    निश्चित रूप से, शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ आपको हनुमान जी के विशेष आशीर्वाद से जीवन की तमाम कठिनाइयों से बाहर निकलने में मदद कर सकता है। इसे करके देखें, आपको खुद इसके चमत्कारिक प्रभाव का अनुभव होगा!

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