जब दुनिया के किसी कोने में शांति की कोई पहल होती है,तो सबकी नज़रें उस पर टिक जाती हैं। इस बार सुर्खियों में हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप,जो जल्द ही इज़राइल और मिस्र के दौरे पर जाने की तैयारी कर रहे हैं।खबर है कि उनका यह दौरा हाल ही में मध्य-पूर्व में हुए युद्धविराम (Ceasefire)का जश्न मनाने और एक स्थायी शांति समझौते की नींव रखने के लिए है।क्या है ट्रंप का'शांति मिशन'?डोनाल्ड ट्रंप इस दौरे के दौरान इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी से मुलाकात करेंगे,दोनों ही उनके पुराने और करीबी दोस्त माने जाते हैं। मिस्र ने हाल ही में हुई लड़ाई को रुकवाने में एक बड़ी और समझदारी भरी भूमिका निभाई थी,और ट्रंप इस शांति का जश्न मनाने के लिए काहिरा (मिस्र) और यरुशलम (इज़राइल) दोनों जगहों पर जाएंगे।यह दौरा सिर्फ़ जश्न मनाने तक ही सीमित नहीं है। ट्रंप की टीम का कहना है कि वे इस मौके का इस्तेमाल एक बड़े और ज़्यादा स्थायी शांति समझौते की संभावनाओं को तलाशने के लिए भी करेंगे।क्या यह सिर्फ़ शांति की पहल है या इसके पीछे कोई और मकसद है?डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से खुद को एक'डील-मेकर'के तौर पर पेश करते आए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में'अब्राहम अकॉर्ड्स' (Abraham Accords)जैसा ऐतिहासिक शांति समझौता भी कराया था,जिसमें इज़राइल और कई अरब देशों के बीच रिश्ते सामान्य हुए थे।कई लोग ट्रंप के इस दौरे को उसी सफलता की अगली कड़ी के तौर पर देख रहे हैं। हालांकि,इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। व्हाइट हाउस में न होते हुए भी,ट्रंप का यह दौरा यह दिखाने की एक कोशिश है कि जब मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने की बात आती है,तो आज भी वे दुनिया के एक बड़े और प्रभावशाली नेता हैं।वजह चाहे जो भी हो,यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एक पूर्व राष्ट्रपति का यह'शांति मिशन'सच में मध्य-पूर्व में कोई स्थायी बदलाव ला पाएगा,या यह सिर्फ एक सियासी स्टंट बनकर रह जाएगा।
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