जयपुर। भजनलाल सरकार प्रदेश में संचालित नि:शुल्क दवा योजना के तहत वितरित खांसी की सीरप की गुणवत्ता की शिकायत के प्रकरण में अब बड़ा कदम उठा रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग गंभीरता के साथ कार्रवाई सुनिश्चित कर रहा है। भरतपुर एवं सीकर जिले में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही बच्चों को खांसी की दवा डेक्सट्रोमैटोरफन नहीं लिखी गई थी। विभाग ने सीकर जिले में हाथीदेह पीएचसी में बच्चों के लिए खांसी की प्रतिबंधित दवा लिखे जाने पर एक चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट को निलंबित करने की कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी है।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि भरतपुर एवं सीकर में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया है कि चिकित्सक द्वारा दोनों ही बच्चों को Dextromethorphan HBr Syrup नहीं लिखी गई है। प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह दवा नहीं लिखी जाती है। सीकर के अजीतगढ़ ब्लॉक की हाथीदेह पीएचसी पर एक बच्चे को खांसी की यह दवा लिखे जाने का मामला सामने आया था, जिस पर चिकित्सक डॉ. पलक एवं फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित करने की कार्रवाई की जा रही है।
गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रकरण सामने आने पर तत्काल जांच किए जाने के निर्देश दिए थे
आपको बता दें कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रकरण सामने आने पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मामले की जांच किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद आरएमएससीएल ने संबंधित दवा के वितरण एवं उपयोग पर रोक लगा दी थी और जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया था। साथ ही, दवा का वैधानिक नमूना लेकर जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी भेजा गया है।
PC:dipr.rajasthan
अपडेट खबरों के लिए हमारावॉट्सएप चैनलफोलो करें
You may also like
बिहार : जन सुराज का एक साल पूरा, 9 अक्टूबर को उम्मीदवारों की पहली सूची होगी जारी
प्रधानमंत्री 4 अक्टूबर को 62,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की विभिन्न युवा-केंद्रित पहलों का करेंगे अनावरण
पूर्वोत्तर के छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता: सीएम रेखा गुप्ता
लगातार बारिश से बांधों का जलस्तर बढ़ा, अहरौरा व जरगो जलाशय के गेट खुलने की संभावना
दिग्विजय सिंह की चिंता, कहा- हिंदुओं से ज्यादा मुस्लिम आबादी घटी