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भारत की कूटनीति से घबराये ट्रम्प ,अमेरिकी दूतावास को आयी भारत जैसे दोस्त की याद

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नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के रिश्ते एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में हैं। एक तरफ अमेरिकी दूतावास भारत को "21वीं सदी का निर्णायक साझेदार" बताते हुए रिश्तों की गहराई और सहयोग की नई ऊंचाइयों पर जोर दे रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत के कुछ उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने का निर्णय दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा रहा है। यह स्थिति ऐसे समय में सामने आई है जब दोनों देश मार्च 2025 से चल रही द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को अंतिम रूप देने की कोशिशों में जुटे हैं।

अमेरिकी दूतावास का सकारात्मक संदेश

भारत में अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट साझा कर कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है और यह संबंध 21वीं सदी का निर्णायक संबंध है। इस संदेश में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का बयान भी शामिल किया गया, जिसमें उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका के लोगों के बीच स्थायी मित्रता ही हमारे सहयोग की नींव है और यही हमें भविष्य की ओर ले जाती है, खासकर जब दोनों देश अपनी आर्थिक संभावनाओं को साकार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।” दूतावास ने यह भी कहा कि यह साझेदारी केवल रणनीतिक मोर्चे तक सीमित नहीं है, बल्कि नवाचार, स्टार्टअप्स, रक्षा, तकनीक और लोगों से जुड़ी साझेदारियों में भी नए आयाम छू रही है। इसी महीने अमेरिका ने “USIndiaFWDforOurPeople” अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत भारत-अमेरिका सहयोग की कहानियों और संभावनाओं को उजागर किया जा रहा है।

टैरिफ विवाद ने बढ़ाया तनाव

इस सकारात्मक माहौल के बीच अमेरिका और भारत के बीच एक बड़ा व्यापारिक विवाद सामने आया है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग (CBP) ने 27 अगस्त से भारत के कुछ उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो पहले भी भारत को "टैरिफ किंग" कह चुके हैं, ने इस फैसले को भारत के साथ व्यापार घाटे और रूस से भारत द्वारा तेल व हथियारों की खरीद से जोड़ा है। उनका मानना है कि भारत को अमेरिकी बाजार से लाभ तो मिलता है लेकिन वह अमेरिकी कंपनियों को पर्याप्त अवसर नहीं देता। यह कदम भारत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि इसका असर कृषि, डेयरी, और लघु उद्योगों से जुड़े कई उत्पादों पर पड़ सकता है।

भारत का सख्त जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विवाद पर कहा है कि उनकी सरकार छोटे किसानों, डेयरी व्यवसायियों और उद्यमियों के हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत राष्ट्रीय हितों से किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। वहीं, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि सरकार अमेरिकी टैरिफ के असर का आकलन कर रही है और इसका जवाब राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत बातचीत का रास्ता खुला रखेगा लेकिन दबाव की राजनीति स्वीकार नहीं करेगा।

व्यापार समझौते पर निगाहें

भारत और अमेरिका के बीच मार्च 2025 से द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही है। सूत्रों के अनुसार, इस समझौते का पहला चरण अक्टूबर-नवंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, इसमें सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका की वह मांग है जिसमें भारत से कृषि और डेयरी सेक्टर को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने को कहा गया है। भारत सरकार इस मुद्दे पर बेहद सतर्क है क्योंकि यह सीधे छोटे किसानों और घरेलू उद्योगों को प्रभावित कर सकता है। अमेरिकी दूतावास के सकारात्मक बयान के बाद कूटनीतिक हलकों में उम्मीद जताई जा रही है कि बातचीत में तेजी आएगी और व्यापारिक मतभेदों को सुलझाने की कोशिश होगी।

राजनीतिक और व्यापारिक हलकों की प्रतिक्रिया

भारत में अमेरिकी दूतावास के इस बयान को लेकर राजनीतिक और व्यापारिक हलकों में अलग-अलग राय देखने को मिली।

  • भारत सरकार ने इसे सकारात्मक संकेत बताया और कहा कि यह रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में अहम कदम है।

  • व्यापार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया कि यह बयान ऐसे समय में आया है जब टैरिफ विवाद गहराता जा रहा है, इसलिए इसे "ट्रेड टेंशन" को बैलेंस करने का अमेरिकी प्रयास भी माना जा सकता है।

  • कूटनीति विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह रुख चीन को रणनीतिक जवाब देने का हिस्सा भी हो सकता है, क्योंकि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका का महत्वपूर्ण साझेदार है।

मजबूत हो रही रणनीतिक साझेदारी

भारत और अमेरिका की साझेदारी सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है। पिछले एक दशक में दोनों देशों के बीच रक्षा, साइबर सुरक्षा, शिक्षा, तकनीकी अनुसंधान और ऊर्जा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

  • QUAD समूह में भारत की सक्रिय भूमिका दोनों देशों की साझेदारी को नई दिशा दे रही है।

  • इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत को एक अहम स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है।

  • सेमीकंडक्टर और हाई-टेक सहयोग में भी दोनों देशों ने हाल के वर्षों में गहराई से काम किया है।

इन सभी क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग से यह स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका की साझेदारी भविष्य में और गहरी हो सकती है, चाहे व्यापारिक विवाद अस्थायी रूप से सामने क्यों न आएं। भारत और अमेरिका के रिश्तों में गहराई और मजबूती की तस्वीर अमेरिकी दूतावास के बयान से साफ झलकती है। दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता और रणनीतिक साझेदारी कई मोर्चों पर नई ऊंचाइयों को छू रही है। लेकिन साथ ही टैरिफ विवाद और व्यापारिक मतभेद रिश्तों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। अगले कुछ महीनों में होने वाली BTA की वार्ताएं इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकती हैं। यदि दोनों देश संतुलन बनाकर आगे बढ़ते हैं तो यह साझेदारी न सिर्फ उनके लिए बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक अहम मोड़ साबित होगी।

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