भारतीय रेल देशभर में रेल बुनियादी ढांचे के विस्तार और माल ढुलाई क्षमता को बढ़ाने के लिए तेज़ी से काम कर रही है। इसी क्रम में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) के तहत पूर्व मध्य रेल और पूर्व रेलवे के बीच दो महत्वपूर्ण मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं — सोननगर-अंडाल (375 किमी) और अंडाल-डानकुनी (160 किमी) — को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाली माल ढुलाई नेटवर्क में नई जान आएगी।
हाल ही में संसद के चालू मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 12,334 करोड़ रुपये की लागत वाली सोननगर-अंडाल परियोजना पर काम तेज़ी से चल रहा है। रेल मंत्री ने जानकारी दी कि इस परियोजना के लिए कुल 977.6 हेक्टेयर जमीन में से 95 प्रतिशत से अधिक जमीन का अधिग्रहण पूरा हो चुका है। जहां-जहां भूमि उपलब्ध हो गई है, वहां निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
सोननगर-अंडाल सेक्शन भारतीय रेलवे के डीडीयू (दीन दयाल उपाध्याय) मंडल के अधीन आता है और यह सेक्शन मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह परियोजना भारतीय रेल के माल ढुलाई ढांचे को सुदृढ़ बनाएगी, जिससे कोयला, इस्पात, सीमेंट और अन्य भारी वस्तुओं के परिवहन में सुविधा होगी। साथ ही पूर्वी भारत के औद्योगिक विकास को भी इससे बल मिलेगा।
इसी तरह, अंडाल-डानकुनी मल्टीट्रैकिंग परियोजना, जिसकी लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है, को भी समान महत्व दिया गया है। यह परियोजना पश्चिम बंगाल के औद्योगिक केंद्रों को फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ेगी, जिससे कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयों को माल परिवहन में बड़ी सुविधा होगी।
ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का यह खंड पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों को जोड़ता है और यह दिल्ली-हावड़ा मुख्य मार्ग से अलग एक स्वतंत्र मालवाहक रूट बन जाएगा। इससे पैसेंजर ट्रेनों पर बोझ कम होगा और समयपालनता में भी सुधार आएगा।
रेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन परियोजनाओं को तय समय सीमा में पूरा करने के लिए ठेकेदारों और अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही, अधिग्रहण की बची हुई जमीन के लिए राज्य सरकारों के सहयोग से प्रक्रिया को जल्द निपटाने की योजना है।
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