नई दिल्ली/मुंबई, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । देश का चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में घटकर 2.4 अरब डॉलर रह गया जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.2 फीसदी है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सोमवार को जारी आंकड़ों में बताया कि चालू खाता संतुलन में ये सुधार मुख्य रूप से सेवाओं के निर्यात का नतीजा है। आरबीआई के मुताबिक भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जून तिमाही में तेजी से घटकर 2.4 अरब डॉलर यान जीडीपी का 0.2 फीसदी रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 8.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.9 फीसदी) था।
आरबीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में चालू खाता 13.5 अरब डॉलर के अधिशेष में था, जो जीडीपी का 1.3 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में देश का चालू खाता घाटा 23.3 अरब डॉलर रहा, जो जीडीपी का 0.6 फीसदी है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 26 अरब डॉलर (0.7 फीसदी) रहा था।
रिजर्व बैंक के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही के दौरान वस्तु व्यापार घाटा बढ़कर 68.5 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 63.8 अरब डॉलर था। सेवाओं से शुद्ध प्राप्तियां बढ़कर 47.9 अरब डॉलर हो गईं, जो एक साल पहले इसी अवधि में 39.7 अरब डॉलर थीं। आरबीआई के मुताबिक जून तिमाही में व्यवसायिक सेवाओं और कंप्यूटर सेवाओं के निर्यात में सालाना आधार पर अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है।
आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय खाते के संदर्भ में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में पहली तिमाही में 5.7 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 6.2 अरब डॉलर था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के रूप में 1.6 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया जो पिछले वित्त वर्ष 0.9 अरब डॉलर था।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
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